देहरादून: उत्तराखंड में तेजी से डिजिटल प्लेटफॉर्म पर फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन व ऑनलाइन बैंकिंग लेनदेन के चलते साइबर क्राइम का ग्राफ भी तेजी से बढ़ता जा रहा है. हालांकि, 80 से 90 फीसदी फाइनेंशियल फ्रॉड जैसे मामलों पर शिकायतों के आधार पर मुकदमे दर्ज कर साइबर पुलिस कार्रवाई कर रही है. बावजूद इसके कई तरह के हथकंडे अपनाकर साइबर अपराधी लोगों से फ्रॉड करते जा रहे हैं. पिछले 100 दिनों में देहरादून साइबर पुलिस थाने में 70 से अधिक डिजिटल प्लेटफॉर्म ऑनलाइन के जरिए ठगी के मामले दर्ज किए जा चुके हैं.
बीते 3 महीनों में स्पेशल टास्क फोर्स (STF) के अधीन आने वाली तकनीकी साइबर टीम ने तत्काल शिकायत दर्ज कराने वाले 140 लोगों के मामले पर त्वरित कार्रवाई करते हुए 50 लाख रुपए से अधिक रकम अलग-अलग तरीके से ठगी के शिकार लोगों के वापस दिलाए हैं.
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प्रभावी कार्रवाई को मिल रहा है बल: STF
ऑनलाइन ट्रांजेक्शन, ओटीपी, डिजिटल वॉलेट जैसे तमाम ऑनलाइन माध्यमों से होने वाले अधिकांश फाइनेंशियल फ्रॉड में सबसे बड़ी चुनौती शिकायतकर्ता द्वारा समय रहते सूचना न मिलना रहता है. ऐसे में अधिकांश ठगी के मामलों में रुपए की रिकवरी होना चुनौती बन चुका है. हालांकि, साइबर क्राइम संगठित अपराध पर केंद्रीय स्तर पर सभी राज्यों को एकसाथ मिलकर कार्रवाई करने पर काम चल रहा है. उत्तराखंड एसटीएफ एसएसपी अजय सिंह के मुताबिक, राष्ट्रीय स्तर पर एक ही प्लेटफार्म पर सभी राज्यों की साइबर पुलिस के आ जाने से देशभर में तेजी से फैलते जा रहे साइबर अपराध पर अंकुश लगाने में बड़ी मदद मिलेगी.
पब्लिक की जागरुकता बेहद जरूरी
STF एसएसपी अजय सिंह के मुताबिक साइबर अपराध से बचने के लिए सबसे जरूरी जन जागरुकता है. उत्तराखंड साइबर पुलिस अधिक से अधिक साइबर फ्रॉड जैसे मामलों के लिए जन जागरुकता अभियान चला रही है. ऐसा देखा गया है कि जो लोग साइबर क्राइम के प्रति जागरूक हुए हैं, उन्होंने कई बड़ी घटनाएं होने से खुद को बचाया है. इतना ही नहीं, ऐसे भी कई मामले साइबर पुलिस के पास आ रहे हैं जिनमें पब्लिक की जागरुकता के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साइबर अपराधियों को धर दबोचकर पर्दाफाश किया जा रहा है.