देहरादून: एक समय था जब देश में कांग्रेस की जड़े इतनी मजबूत थी कि उसे हिला पाना किसी के लिए आसान नहीं था. कांग्रेस पार्टी की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 6 दशक से भी ज्यादा देश में कांग्रेस की सरकार रही, लेकिन एक कहावत बड़ी मशहूर है कि हर किसी का दिन ढलता है. शायद ऐसा ही पिछले कुछ सालों से कांग्रेस के साथ भी हो रहा है. देशभर में कांग्रेस हर चुनाव के साथ-साथ और कमजोर होती जा रही है.
कांग्रेस सदस्यता के नाम मोटा शुल्क: उत्तराखंड में भी कांग्रेस का कुछ ऐसा ही है. आलम यह है कि कांग्रेस से जुड़ने से ज्यादा पार्टी छोड़ने वालों की फेहरिस्त लंबी है. इसके बावजूद कांग्रेस ने अपने साथ जुड़ने वाले सदस्यों से मोटी रकम वसूली रही है. यह रकम पहले जहां 1700 रुपये थी. वहीं, अब सदस्यता के नाम 2500 रुपये लिए जा रहे हैं. ऐसे में आने वाले दिनों में कांग्रेस के हाथ से हाथ जोड़ने की चाहत रखने वालों को भी सदस्यता लेने के लिए सोचना पड़ सकता है.
उत्तराखंड कांग्रेस में गुटबाजी हावी: पूरे देश की तरह उत्तराखंड में भी कांग्रेस की हालत बेहद खस्ता है. जिसके पीछे की सबसे बड़ी वजह प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ही है. जिनकी महत्वाकांक्षा, आपसी मनमुटाव और सामंजस्य की कमी की वजह से प्रदेश में कांग्रेस दो बार लोकसभा चुनाव और दो बार विधानसभा चुनाव में करारी हार का स्वाद चख चुकी है. इतना ही नहीं पूर्व सीएम हरीश रावत 2017 में दो विधानसभा सीट और 2022 में लालकुआं से भी चुनाव में हार चुके हैं. इसके बावजूद कांग्रेस खुद को बूथ स्तर पर मजबूत करने और जनता को अपने साथ जोड़ने की जगह सदस्यता देने के नाम पर मोटी रकम वसूलने में मशगूल हैं.
कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं की लंबी लिस्ट: इतना ही नहीं जब भी चुनाव का वक्त आता है तो, कांग्रेस पार्टी से कार्यकर्ता, नेताओं और विधायक हार की डर से पलायन करने लगते हैं. अभी भी यकीन न हो तो सुन लीजिए किस तरह 2022 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सरिता आर्य कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुई और विधायक बन गईं. वहीं, चुनाव से पहले कांग्रेस की डूबती नैय्या देख कांग्रेस पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय भी भाजपा में शामिल हुए और टिहरी से विधायक का चुनाव जीत गए. कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे जोत सिंह बिष्ट भी पार्टी छोड़ आम आदमी में शामिल हो गए. इतना ही नहीं कांग्रेस का दामन छोड़ संजय डोभाल ने यमुनोत्री सीट से निर्दलीय चुनाव जीता. दुर्गेश लाल भाजपा में शामिल हुए और पुरोला से चुनाव भी जीता. पूर्व विधायक नारायण पाल भी कांग्रेस छोड़ बसपा में शामिल हो चुके हैं.
बीजेपी और आप में मेंबरशिप फीस: कांग्रेस की सदस्यता लेने के लिए पहले 1700 रुपए की रसीद कटवानी पड़ती थी, लेकिन अब राज्य में कांग्रेस की सदस्यता के लिए 2500 रुपए शुल्क के रूप में लिए जा रहे हैं. इसको लेकर कांग्रेस नेताओं में ही घमासान मचा हुआ है. वही, प्रदेश में अन्य पार्टियों की सदस्यता फीस न सिर्फ बेहद कम है, बल्कि कुछ पार्टियों की फीस शून्य है. प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी समेत अन्य विपक्षी दलों की भी सदस्यता शुल्क न के बराबर है.
राजनीतिक पार्टियों की सदस्यता अभियान: गौरतलब है कि राजनीतिक पार्टियां अपने कुनबे को बढ़ाने के लिए समय-समय पर सदस्यता अभियान चलाती रहती है. ताकि, चुनावों में पार्टियों को फायदा मिल सके. यही नहीं, जो कार्यकर्ता सक्रिय रूप से पार्टियों में सेवाएं दे रहे हैं, उन्हे पार्टी का सदस्य बने रहने के लिए पार्टी के ओर से तय शुल्क का भुगतान करना होता है. जिससे पार्टी कार्यालय का खर्चा चलता रहता है, लेकिन हाल फिलहाल में कांग्रेस पार्टी में सदस्यता शुल्क को लेकर हाय तौबा मचा हुआ है. दरअसल, सोशल मीडिया पर इस बात को प्रचारित किया गया कि प्रदेश कांग्रेस पार्टी में सदस्यता शुल्क जो पहले 1700 रुपए था, उसे बढ़ाकर 2500 रुपए कर दिया गया है.
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सदस्यता शुल्क को लेकर कांग्रेस की सफाई: इस मामले पर कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष मथुरा दत्त जोशी से सवाल किया गया तो, उन्होंने बताया कांग्रेस पार्टी की एक प्रक्रिया है. जिसके तहत जो पार्टी के पदाधिकारी है, उनको सदस्यता के लिए एक निर्धारित शुल्क का भुगतान करना होता है. इस भुगतान के बाद उस पदाधिकारी को रसीद भी दिया जाता है. पार्टी के किसी भी पदाधिकारी ने कोई सवाल नहीं उठाया है और अगर कोई सवाल उठता है, उसका निस्तारण किया जाएगा. प्रदेश में 225 सदस्य है, जिन्हे 2500 रुपए सदस्यता शुल्क देना होता है. इसी तरह जो एआईसीसी का सदस्य है, उसे 4300 रुपये अंशदान देना होता है.
बीजेपी में मेंबरशिप शुल्क न के बराबर: वहीं, विश्व की सबसे बड़ी पार्टी का दम भरने वाली भाजपा अपनी पार्टी में आम लोगों को जोड़ने के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं लेती. बीजेपी प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान ने सदस्यता शुल्क पर कहा प्रदेश वार पार्टी में अलग-अलग सदस्यता शुल्क निर्धारित है. हालांकि, भाजपा में जो सक्रिय सदस्य हैं, उनको ही सदस्यता शुल्क देना होता है. जिसके तहत, सक्रिय सदस्य को करीब 230 रुपए देना होता है. इसके अलावा पहले कार्यकर्ताओं के लिए सदस्यता शुल्क 5 से 10 रुपए था, लेकिन अब उसे फ्री करते हुए सदस्यता को ऑनलाइन कर दिया गया है. जिसके तहत कोई भी मिस्ड कॉल कर भाजपा का सदस्य बन सकता है. लिहाजा, कार्यकर्ताओं को कोई शुल्क नहीं देना होता है.
आप में मेंबरशिप फीस शून्य: सदस्यता शुल्क पर आम आदमी पार्टी के गढ़वाल मीडिया प्रभारी रविन्द्र आनंद ने बताया आम आदमी पार्टी में शुल्क का कोई प्रावधान नहीं है. किसी भी कार्यकर्ता या सक्रिय कार्यकर्ता से सदस्यता शुल्क नहीं लिया जाता है. जो भी पार्टी से जुड़ना चाहता है वो ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों माध्यमों से पार्टी की सदस्यता ले सकता है. जो भी चाहे वह आप की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन और कार्यालय में जाकर ऑफलाइन माध्यम से पार्टी का सदस्य बन सकता है.
ऐसे में देखा जाए तो केंद्र से लेकर राज्यों में जीत हासिल करने वाली देश की वर्तमान में सबसे बड़ी पार्टी भाजपा केवल सक्रिय सदस्यों से 230 रुपये लेती है. वहीं, दिल्ली और पंजाब में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी अपने सदस्यों से कोई शुल्क नहीं लेती. वहीं, राजनीतिक क्षेत्र में अपनी नाकामियों से जूझ रही कांग्रेस अपने सदस्यों से शुल्क के नाम पर मोटी रकम वसूलने का काम कर रही है. ऐसे में कांग्रेस ने जो अपना कुनाब बढ़ाने का लक्ष्य रखा है, उसे पूरा करना टेढ़ी खीर साबित हो सकती है.