देहरादून: उत्तराखंड में मुख्यमंत्री आवास को अब कोविड केयर सेंटर के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा. मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने आज खुद इस बात की जानकारी देते हुए कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर मुख्यमंत्री आवास का भी इस्तेमाल किए जाने की बात कही है.
उत्तराखंड में कोरोना की तीसरी लहर की आशंकाओं को देखते हुए कोरोना प्रोटोकॉल से संबंधित सभी तैयारियों की कोशिशें की जा रही हैं. इस दिशा में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि राज्य में कोविड की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए तैयारियों के मद्देनजर सभी प्रयास किए जा रहे हैं. इस दिशा में सरकार संभावित लहर को देखते हुए अपनी तैयारियों के रूप में विभिन्न सेंटर्स भी बना रही है.
इसी को लेकर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि उनके आवास को भी कोविड केयर सेंटर के रूप में स्थापित किया जाएगा, ताकि ऐसी स्थिति में किसी तरह की कोई कमी मरीजों के लिए न रहे. बता दें कि मुख्यमंत्री आवास लंबे समय से खाली पड़ा है. पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के आवास को खाली करने के बाद से ही इस आवास पर तीरथ सिंह रावत नहीं गए हैं. लिहाजा खाली पड़े मुख्यमंत्री आवास को अब कोविड केयर सेंटर के रूप में स्थापित किया जाएगा.
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सीएम आवास क्यों पड़ा है खाली?
आपको बता दें कि करोड़ों रुपए की लागत से पहाड़ी शैली में बना उत्तराखंड मुख्यमंत्री आवास अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है. हालांकि, इस बंगले को लेकर एक मिथक भी जुड़ा हुआ है. वो ये कि इस बंगले में रहने वाले मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाते और यहां निवास करने वाले सीएम को अपनी कुर्सी से हाथ धोना पड़ता है. शायद यही कारण है कि प्रदेश के कुछ मंत्रियों ने इस आवास से दूरी बनाई. हरीश रावत के बाद तीरथ सिंह रावत ने भी बंगला खाली होने के बावजूद भी यहां रहने में दिलचस्पी नहीं दिखाई और यह बंगला त्रिवेंद्र सिंह रावत के खाली करने के बाद से ही खाली पड़ा है. लिहाजा इसके खालीपन और सुनसान परिसर को चहलकदमी में बदलने और इसका उपयोग करने के लिए तीरथ सिंह रावत ने कोविड-19 केयर सेंटर के रूप में से स्थापित करने का प्लान बनाया है.
कैसे जुड़ा मिथक?
गढ़ी कैंट में राजभवन के बराबर में बने मुख्यमंत्री आवास का निर्माणकार्य तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी की सरकार में हुआ था. हालांकि, जबतक मुख्यमंत्री आवास का निर्माण कार्य पूरा होता, उसके पहले ही उनका पांच साल का कार्यकाल पूरा हो गया. इसके बाद 2007 में बीजेपी की सरकार बनी और प्रदेश की कमान मुख्यमंत्री के तौर पर बीसी खंडूड़ी को मिली. उन्होंने इस बंगले का निर्माण तो पूरा करवाया लेकिन इसमें रहने से पहले ही उनकी सरकार चली गई. इसके बाद हरीश रावत को पहले मुख्यमंत्री थे जिन्होंने सीधे तौर पर इस बंगले से दूरी बनाई थी. इसके बाद त्रिवेंद्र ने हर अफवाह को दरकिनार कर इस बंगले से रिश्ता जोड़ा लेकिन बदकिस्मती ही कहेंगे कि चार साल का कार्यकाल पूरा होने से 10 दिन पहले ही उनको सीएम पद से हाथ धोना पड़ा. उनके जाने के बाद से ही तीरथ सिंह रावत ने इस बंगले से दूरी बनाई हुई है.
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रेस्ट हाउस से बना मुख्यमंत्री आवास
ये आलिशान मुख्यमंत्री आवास राज्य गठन से पहले एक रेस्ट हाउस हुआ करता था. उत्तराखंड राज्य बना तो अंतरिम सरकार ने उसे मुख्यमंत्री आवास बना दिया गया. जानकार बताते हैं कि तत्कालीन सीएम नित्यानंद स्वामी ने इसे अपने कार्यालय के तौर पर इस्तेमाल किया लेकिन वो भी अपने घर ही रहने जाते थे. मुख्यमंत्री एनडी तिवारी इसके बगल में सर्किट हाउस में रहा करते थे. मतलब कोई भी इसमें रहा नहीं, जो रहा वो सत्ता में नहीं रहा.
महंगे पत्थरों से बना है सीएम आवास
इस मकान में बेहद महंगे पत्थरों को लगाया गया है. सीएम आवास के आलावा इसमें एक बड़ा दफ्तर है, जिसमें लगभग 12 ऑफिस हैं. पहाड़ी शैली से बना ये आवास न केवल राजस्थानी पत्थरों की खूबसूरती से सजा है बल्कि बेशकीमती लकड़ियों का भी इसमें खूब इस्तेमाल किया गया है. एक बड़ा गार्डन होने के साथ-साथ वो हर सुविधा इस आवास में है जो एक फाइव स्टार होटल में होती हैं.