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सोशल मीडिया वॉर... उत्तराखंड बीजेपी ने तैयार किया हाईटेक वॉर रूम, 2019 की रणभूमि में यहां से चलेंगे सियासी तीर

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Published : Mar 25, 2019, 11:18 PM IST

चुनाव के दौरान बीजेपी प्रदेश मुख्यालय में लोगों की आवाजाही को देखते हुए वॉर रूम पार्टी कार्यालय से दूर बनाया गया है. इस वॉर रूम में पार्टी के अधिकृत लोगों के अलावा अन्य किसी को भी जाने की अनुमति नहीं है.

सोशल मीडिया वॉर

देहरादून: लोकसभा चुनाव 2019 की रणभूमि तैयार है. उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर 11 अप्रैल को मतदान होना है. उत्तराखंड में सोशल मीडिया पर चुनावी जंग लड़ने के लिए बीजेपी ने अपनी कमर कस ली है. 2019 के रण में बीस रहने के लिए बीजेपी ने वॉर रूम तैयार कर लिए हैं.

सोशल मीडिया वॉर

पढ़ें-बिना OTP के खाते से निकल गई रकम, शिकायत पर बैंक प्रबंधक चुप, परेशान पीड़ित

चुनाव के दौरान बीजेपी प्रदेश मुख्यालय में लोगों की आवाजाही को देखते हुए वॉर रूम पार्टी कार्यालय से दूर बनाया गया है. इस वॉर रूम में पार्टी के अधिकृत लोगों के अलावा अन्य किसी को भी जाने की अनुमति नहीं है. मीडिया से भी दूरी बनाई गई है, लेकिन ईटीवी भारत बीजेपी के वॉर रूम की सारी बारीकियां बताएगा और साथ में आपको वॉर रूम में हैश टैग से खेलने वाले धुरंधरों से भी मिलवाएगा.

आधुनिक और तकनीकी के इस बदलते वर्चुअल दौर का चुनाव पर कितना असर होता है. इसका उदाहरण 2014 के लोकसभा चुनाव में देखने को मिला था. जिसके बल पर बीजेपी ने सत्ता हासिल की थी और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने थे.

पढ़ें-UKD ने आखिरी दिन बदला अपना प्रत्याशी, टिहरी से केंद्रीय महामंत्री जय प्रकाश उपाध्याय पर जताया भरोसा

2019 का रण जीतने के लिए बीजेपी ने वॉर रूम प्रोफेशनल्स से भर दिया है. बीजेपी ने भी आईटी सेल को वॉर रूम में तब्दील कर दिया है. आज हम आपको बताते हैं कि किस तरह 2 दर्जन से अधिक आईटी एक्सपर्ट वॉर रूम में हर पल मुद्दा आधारित चुनावी नफा नुकसान का आंकलन कर मतदाताओं को रिझाने के लिए सियासी तीर छोड़ रहे हैं.

इस वॉर रूम में आईटी एक्सपर्ट के साथ पार्टी के समर्पित और विश्वासपात्र कार्यकर्ता ही रहते हैं, जो लोकल स्तर पर सामाजिक और राजनीतिक विषयों पर अच्छी पकड़ रखते हैं. बीजेपी का यह वॉर रूम केंद्र के आईटी सेल से सीधा कनेक्ट रहता है और दिल्ली में मौजूद राष्ट्रीय बीजेपी के आईटी सेल से हर रोज कई तरह के निर्देश और फीडबैक इस वॉर रूम से आदान प्रदान किए जाते हैं.

उत्तराखंड बीजेपी के आईटी सेल प्रबंधक अजेंद्र अजय के अनुसार सोशल मीडिया पर चल रही कोई भी जानकारी वॉर रूम में मौजूद आईटी एक्सपर्ट की नजरों से नहीं बच सकती है. इसके अलावा राज्य सरकार की योजनाओं को सोशल मीडिया के जरिए जन-जन तक पहुंचाने का काम इसी वॉर रूम से किया जा रहा है. इसी के साथ पार्टी के सभी नेताओं के ट्विटर हैंडलर और फेसबुक अकाउंट पर भी वॉर रूम से नजर रखी जाती है.

हाल ही में वायरल हुआ 'मैं भी चौकीदार' समेत तमाम तरह के हैश टैग पर भी इसी वॉर रूम से नजर रखी जाती है. यहां चुनाव प्रचार से लिए नए-नए प्रयोग किए जाते हैं. बता दें कि इन्हीं वॉर रूम में मोदी टी-शर्ट, मोदी स्लोगन के अलावा लोकल स्तर पर पार्टी के प्रचार प्रसार से जुड़ी सभी विषय वस्तुओं पर चर्चा की जाती है और फिर उन्हें पार्टी के माध्यम से धरातल पर उतारा जाता है.

देहरादून: लोकसभा चुनाव 2019 की रणभूमि तैयार है. उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर 11 अप्रैल को मतदान होना है. उत्तराखंड में सोशल मीडिया पर चुनावी जंग लड़ने के लिए बीजेपी ने अपनी कमर कस ली है. 2019 के रण में बीस रहने के लिए बीजेपी ने वॉर रूम तैयार कर लिए हैं.

सोशल मीडिया वॉर

पढ़ें-बिना OTP के खाते से निकल गई रकम, शिकायत पर बैंक प्रबंधक चुप, परेशान पीड़ित

चुनाव के दौरान बीजेपी प्रदेश मुख्यालय में लोगों की आवाजाही को देखते हुए वॉर रूम पार्टी कार्यालय से दूर बनाया गया है. इस वॉर रूम में पार्टी के अधिकृत लोगों के अलावा अन्य किसी को भी जाने की अनुमति नहीं है. मीडिया से भी दूरी बनाई गई है, लेकिन ईटीवी भारत बीजेपी के वॉर रूम की सारी बारीकियां बताएगा और साथ में आपको वॉर रूम में हैश टैग से खेलने वाले धुरंधरों से भी मिलवाएगा.

आधुनिक और तकनीकी के इस बदलते वर्चुअल दौर का चुनाव पर कितना असर होता है. इसका उदाहरण 2014 के लोकसभा चुनाव में देखने को मिला था. जिसके बल पर बीजेपी ने सत्ता हासिल की थी और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने थे.

पढ़ें-UKD ने आखिरी दिन बदला अपना प्रत्याशी, टिहरी से केंद्रीय महामंत्री जय प्रकाश उपाध्याय पर जताया भरोसा

2019 का रण जीतने के लिए बीजेपी ने वॉर रूम प्रोफेशनल्स से भर दिया है. बीजेपी ने भी आईटी सेल को वॉर रूम में तब्दील कर दिया है. आज हम आपको बताते हैं कि किस तरह 2 दर्जन से अधिक आईटी एक्सपर्ट वॉर रूम में हर पल मुद्दा आधारित चुनावी नफा नुकसान का आंकलन कर मतदाताओं को रिझाने के लिए सियासी तीर छोड़ रहे हैं.

इस वॉर रूम में आईटी एक्सपर्ट के साथ पार्टी के समर्पित और विश्वासपात्र कार्यकर्ता ही रहते हैं, जो लोकल स्तर पर सामाजिक और राजनीतिक विषयों पर अच्छी पकड़ रखते हैं. बीजेपी का यह वॉर रूम केंद्र के आईटी सेल से सीधा कनेक्ट रहता है और दिल्ली में मौजूद राष्ट्रीय बीजेपी के आईटी सेल से हर रोज कई तरह के निर्देश और फीडबैक इस वॉर रूम से आदान प्रदान किए जाते हैं.

उत्तराखंड बीजेपी के आईटी सेल प्रबंधक अजेंद्र अजय के अनुसार सोशल मीडिया पर चल रही कोई भी जानकारी वॉर रूम में मौजूद आईटी एक्सपर्ट की नजरों से नहीं बच सकती है. इसके अलावा राज्य सरकार की योजनाओं को सोशल मीडिया के जरिए जन-जन तक पहुंचाने का काम इसी वॉर रूम से किया जा रहा है. इसी के साथ पार्टी के सभी नेताओं के ट्विटर हैंडलर और फेसबुक अकाउंट पर भी वॉर रूम से नजर रखी जाती है.

हाल ही में वायरल हुआ 'मैं भी चौकीदार' समेत तमाम तरह के हैश टैग पर भी इसी वॉर रूम से नजर रखी जाती है. यहां चुनाव प्रचार से लिए नए-नए प्रयोग किए जाते हैं. बता दें कि इन्हीं वॉर रूम में मोदी टी-शर्ट, मोदी स्लोगन के अलावा लोकल स्तर पर पार्टी के प्रचार प्रसार से जुड़ी सभी विषय वस्तुओं पर चर्चा की जाती है और फिर उन्हें पार्टी के माध्यम से धरातल पर उतारा जाता है.

Intro:Election Special

वर्चुअल लड़ाई के लिए तैयार बीजेपी का वॉर रूम, मीडिया से दूर इसी वॉर रूम में तैनात बीजेपी के हेजटेग धुरंदर।

बीजेपी के स्ट्रांग रूम पर एक्ससीलुसिव रिपोर्ट

एंकर- लोकसभा चुनाव मैं जहां जमीनी जंग शुरू हो चुकी है तो वहीं बीजेपी ने वर्चुअल जंग के लिए भी वॉर रूम तैयार कर लिया है। उत्तराखंड बीजेपी ने इस वॉर रूम को लोगों की आवाजाही को देखते हुए प्रदेश कार्यालय से काफी दूर बनाया है। खास बात यह है कि इस वॉर रूम में पार्टी के अधिकृत लोगों के अलावा किसी के भी जाने की अनुमति नहीं है और ना ही मीडिया में इसको लेकर कुछ खास बताया जा रहा है। लेकिन हम अपनी इस एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में हम आपको बीजेपी के वॉर रूम की सारी बारीकियां बताएंगे और साथ में आपको वॉर रूम में हेज़ टैग से खेलने वाले धुरंधरों से भी मिलाएंगे।


Body:वीओ 1- आधुनिकी और तकनीकी के इस बदलते वर्चुअल दौर का चुनाव पर कितना असर होता है, 2014 लोकसभा चुनाव इसका जीता जागता उदाहरण है। इसी यही वजह है कि इस बार भी जमीनी जंग के समानांतर एक जंग काल्पनिक जगत यानी वर्चुअल वर्ल्ड पर भी जारी है। "मैं भी चौकीदार जैसे हैशटैग" की जंग टि्वटर से शुरू होकर जितनी चुनावी मैदान में नेताओं की जुबान पर थी उतनी ही सोशल मीडिया पर भी। इस सोशल मीडिया की जंग में लड़ने वाले धुरंधर ही वॉर रूम के सिपाही है जिन्हें कैमरे के सामने आपने नहीं देखे होंगा और ना ही इन्हें इसकी अनुमति होती है। लोकसभा चुनाव के इस सियासी रण में उत्तराखंड बीजेपी ने भी आईटी सेल को वॉर रूम में तब्दील कर दिया है।

वीओ 2- उत्तराखंड बीजेपी ने देहरादून में मौजूद प्रदेश कार्यालय से कुछ दूरी पर इस वॉर रूम को बनाया है। बीजेपी ने इस वॉर रूम को बिल्कुल स्ट्रांग रूम के तर्ज पर लोगों की आवाजाही से बिल्कुल दूर रखा है और इस वॉर रूम में केवल पार्टी के चंद अधिकृत लोग ही प्रवेश कर सकते हैं। लोगों के अलावा मीडिया को भी इस वॉर रूम को बहुत दूर रखा गया है। बीजेपी के इस वॉर रूम में तकरीबन 2 दर्जन से ज्यादा आईटी एक्सपर्ट युवा 24 घंटे काम कर रहे हैं। इस वॉर में आईटी एक्सपर्ट के साथ साथ पार्टी में पूरी तरह से समर्पित और विश्वास के लोगों को भी रखा गया है, जो लोकल स्तर पर सामाजिक और राजनीतिक विषयों पर तगड़ी पकड़ रखते हैं। बीजेपी का यह वॉर रूम केंद्र के आईटी सेल से सीधा कनेक्ट रहता है और दिल्ली में मौजूद राष्ट्रीय बीजेपी के आईटी सेल से हर रोज कई तरह के निर्देश और फीडबैक इस वॉर रूम से आदान प्रदान किए जाते हैं।

वॉक थ्रो वॉर रूम

वीओ 3- उत्तराखंड बीजेपी के आईटी प्रबंधक अजेंद्र अजय के अनुसार शोसल मीडिया में तैर रही किसी भी तरह की जानकारी इस वॉर रूम में मौजूद आईटी एक्सपर्ट की नजरों से बचना नामुनकिन है वहीं केंद्र सरकार और राज्य सरकार की योजनाओं को जन-जन तक सोशल मीडिया की मदद से पहुंचाने का काम इसी वॉर रूम से किया जाता है। इसके अलावा पार्टी के सभी नेताओं के ट्विटर हैंडलर, फेसबुक अकाउंट, पर भी ऐसी वॉर रूम से नजर रखी जाती है। हाल ही में बीजेपी के वर्चुअल मुहिम 'मैं भी चौकीदार' और तमाम तरह के हैश टैग पर भी इसी वॉर रूम से नजर रखी जाती है। प्रदेश के सभी सामाजिक और राजनीतिक चहल कदमों पर यहीं से नजर रखी जाती है और इस पर रिसर्च कर नए प्रयोग किए जाते हैं जिसे संगठन के प्रचार-प्रसार से सीधे तौर पर जोर दिया जाता है। आपको बता दें कि इन्ही वॉर रूम में मोदी टी-शर्ट, मोदी स्लोगन के अलावा लोकल स्तर पर पार्टी के प्रचार प्रसार से जुड़ी सभी विषय वस्तुओं पर चर्चा की जाती है और फिर उन्हें पार्टी के माध्यम से धरातल पर उतारा जाता है।




Conclusion:फाइनल वीओ- बहरहाल सोशल मीडिया और आईटी में मजबूती रखना निश्चित तौर से आज के इस बदलते दौर मजबूरी है और इस बात से चाहकर भी मुंह नहीं फेरा जा सकता है। इस मामले में इस बात को कहने से भी गुरेज नहीं कि बीजेपी आईटी मैनेजमेंट में दो कदम आगे है लेकिन सारी बातों के इतर यह भी सवाल खड़ा है कि मीडिया की पहुंच से दूर बीजेपी के आईटी सेल में ऐसा क्या है जो वह मीडिया और आम लोगों से छिपा रही है।
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