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असम में विशालकाय गैंडों के लिए आफत बने आक्रामक पौधे, वन्यजीव प्रेमियों ने जताई चिंता - Assam One Horned Rhino

Assam One Horned Rhinos: असम दुनिया में एक सींग वाले गैंडों का सबसे बड़ा घर है. राज्य में हर साल 22 सितंबर को गैंडा दिवस (World Rhino Day) के रूप में मनाया जाता है, ताकि असम के राज्य पशु एक सींग वाले गैंडे के संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके. गुवाहाटी से ईटीवी भारत के अनूप शर्मा की गैंडों के आवासों पर रिपोर्ट.

असम में विशालकाय गैंडों के लिए आफत बने आक्रामक पौधे, वन्यजीव प्रेमियों ने जताई चिंता
असम में विशालकाय गैंडों के लिए आफत बने आक्रामक पौधे, वन्यजीव प्रेमियों ने जताई चिंता (Aaranyak / ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 22, 2024, 6:41 PM IST

Updated : Sep 22, 2024, 7:04 PM IST

गुवाहाटी: असम में एक सींग वाले गैंडों का शिकार कम हो रहा है, लेकिन ये सौम्य विशालकाय गैंडे अब विदेशी प्रजाति के आक्रामक पौधों (Alien invasive plants) के खिलाफ अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. ये पौधे हाल के दिनों में असम में अधिकांश गैंडों के आवास वाले क्षेत्रों में बड़ी चिंता का विषय बन गए हैं.

आक्रामक पौधे तेजी से बढ़ते हैं और फैलते हैं. ये आस-पास के पौधों की वृद्धि को रोकते हैं और कई तरह की पारिस्थितिक समस्याएं पैदा करते हैं.

असम सरकार के आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों से गैंडों के अवैध शिकार में कमी आई है. वर्ष 2013 और 2014 में गैंडों का सबसे अधिक अवैध शिकार दर्ज किया गया था, जिसमें प्रत्येक वर्ष 27 गैंडों के अवैध शिकार की रिपोर्ट थी. वर्ष 2022 में 45 वर्षों के बाद असम में एक भी गैंडे का अवैध शिकार नहीं किया गया. 2020 और 2021 में दो-दो गैंडे अवैध शिकार में मारे गए थे.

असम में विशालकाय गैंडों के लिए आफत बने आक्रामक पौधे
असम में विशालकाय गैंडों के लिए आफत बने आक्रामक पौधे (Aaranyak)

संरक्षणवादी और इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) के एशियन राइनो स्पेशलिस्ट ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. बिभाब तालुकदार ने कहा, "आक्रामक पौधे गैंडों के भोजन के स्रोतों को नष्ट कर देते हैं, जिनकी उन्हें चरने और खाने के लिए जरूरत होती है. असम में गैंडों के ज्यादातर आवासों में आक्रामक पौधों की वृद्धि बड़ी चिंता का विषय है."

उन्होंने कहा कि असम में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, मानस राष्ट्रीय उद्यान, ओरंग राष्ट्रीय उद्यान और पबितोरा वन्यजीव अभयारण्य सहित सभी प्रमुख गैंडों के आवासों में मिमोसा, क्रोमोलेना ओडोरेटा, मिकानिया माइक्रांथा और पार्थेनियम जैसे विदेशी पौधों की वृद्धि अलग-अलग स्तरों पर देखी गई है.

असम में विशालकाय गैंडों के लिए आफत बने आक्रामक पौधे,
असम में विशालकाय गैंडों के लिए आफत बने आक्रामक पौधे, (Aaranyak)

आक्रामक पौधे घास के मैदानों में भी फैल जाते हैं और उन्हें ढक लेते हैं, जिस कारण गैंडे आस-पास के खेतों में फसलों को खाने के लिए भटक जाते हैं, जिससे उनका मनुष्यों के साथ संघर्ष होता है.

आक्रामक पौधों की वृद्धि के बारे में जानकारी देते हुए आरण्यक (Aaranyak) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. बिभूति प्रसाद लहकर ने कहा कि काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में 30 प्रतिशत घास के मैदानों में आक्रामक पौधे फैल गए हैं, जिससे गैंडों के आवास पर असर पड़ रहा है.

40 प्रतिशत घास के मैदानों पर आक्रामक पौधों का कब्जा
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित संरक्षणवादी और पारिस्थितिकीविद् लहकर ने कहा, "पबितोरा वन्यजीव अभयारण्य में 40 प्रतिशत घास के मैदानों में आक्रामक पौधे फैल गए हैं. वर्तमान समय में विदेशी आक्रामक पौधे वन्यजीव आवास में बड़ी चिंता का विषय हैं."

प्रभावी वन प्रबंधन रणनीतियों की जरूरत...
बिभूति प्रसाद लहकर को 2016 में IUCN विश्व धरोहर नायक पुरस्कार मिल चुका है. उन्होंने कहा, "पहले असम में एक सींग वाले गैंडों का अवैध शिकार बड़ी चिंता का विषय हुआ करता था. हालांकि, असम सरकार द्वारा अपनाई गई बहुआयामी रणनीति के कारण हाल के वर्षों में अवैध शिकार में कमी आई है. लेकिन, ये आक्रामक विदेशी पौधे अब सभी गैंडों के आवासों के लिए बड़ी चिंता का विषय बन रहे हैं, जिसके लिए नियमित निगरानी और गैंडों के आवासों को सुरक्षित करने के लिए प्रभावी वन प्रबंधन रणनीतियों की जरूरत है."

अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की लाल सूची में शामिल एक सींग वाले विशालकाय गैंडों की आबादी जंगल में लगभग 4,000 होने का अनुमान है. 2022 की गैंडा जनगणना के अनुसार, जंगल में इन 4000 गैंडों की आबादी में से 90 प्रतिशत असम के विभिन्न संरक्षित क्षेत्रों में पाए जाते हैं. इनमें काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (2613), ओरंग राष्ट्रीय उद्यान (125), पबितोरा वन्यजीव अभयारण्य (107) और मानस राष्ट्रीय उद्यान (40) हैं.

यह भी पढ़ें- World Rhino Day : IUCN Red List में शामिल दुर्लभ 2900 गैंडों का घर है भारत, इसके संरक्षण के लिए उठाये जा रहे हैं कदम

गुवाहाटी: असम में एक सींग वाले गैंडों का शिकार कम हो रहा है, लेकिन ये सौम्य विशालकाय गैंडे अब विदेशी प्रजाति के आक्रामक पौधों (Alien invasive plants) के खिलाफ अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. ये पौधे हाल के दिनों में असम में अधिकांश गैंडों के आवास वाले क्षेत्रों में बड़ी चिंता का विषय बन गए हैं.

आक्रामक पौधे तेजी से बढ़ते हैं और फैलते हैं. ये आस-पास के पौधों की वृद्धि को रोकते हैं और कई तरह की पारिस्थितिक समस्याएं पैदा करते हैं.

असम सरकार के आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों से गैंडों के अवैध शिकार में कमी आई है. वर्ष 2013 और 2014 में गैंडों का सबसे अधिक अवैध शिकार दर्ज किया गया था, जिसमें प्रत्येक वर्ष 27 गैंडों के अवैध शिकार की रिपोर्ट थी. वर्ष 2022 में 45 वर्षों के बाद असम में एक भी गैंडे का अवैध शिकार नहीं किया गया. 2020 और 2021 में दो-दो गैंडे अवैध शिकार में मारे गए थे.

असम में विशालकाय गैंडों के लिए आफत बने आक्रामक पौधे
असम में विशालकाय गैंडों के लिए आफत बने आक्रामक पौधे (Aaranyak)

संरक्षणवादी और इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) के एशियन राइनो स्पेशलिस्ट ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. बिभाब तालुकदार ने कहा, "आक्रामक पौधे गैंडों के भोजन के स्रोतों को नष्ट कर देते हैं, जिनकी उन्हें चरने और खाने के लिए जरूरत होती है. असम में गैंडों के ज्यादातर आवासों में आक्रामक पौधों की वृद्धि बड़ी चिंता का विषय है."

उन्होंने कहा कि असम में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, मानस राष्ट्रीय उद्यान, ओरंग राष्ट्रीय उद्यान और पबितोरा वन्यजीव अभयारण्य सहित सभी प्रमुख गैंडों के आवासों में मिमोसा, क्रोमोलेना ओडोरेटा, मिकानिया माइक्रांथा और पार्थेनियम जैसे विदेशी पौधों की वृद्धि अलग-अलग स्तरों पर देखी गई है.

असम में विशालकाय गैंडों के लिए आफत बने आक्रामक पौधे,
असम में विशालकाय गैंडों के लिए आफत बने आक्रामक पौधे, (Aaranyak)

आक्रामक पौधे घास के मैदानों में भी फैल जाते हैं और उन्हें ढक लेते हैं, जिस कारण गैंडे आस-पास के खेतों में फसलों को खाने के लिए भटक जाते हैं, जिससे उनका मनुष्यों के साथ संघर्ष होता है.

आक्रामक पौधों की वृद्धि के बारे में जानकारी देते हुए आरण्यक (Aaranyak) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. बिभूति प्रसाद लहकर ने कहा कि काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में 30 प्रतिशत घास के मैदानों में आक्रामक पौधे फैल गए हैं, जिससे गैंडों के आवास पर असर पड़ रहा है.

40 प्रतिशत घास के मैदानों पर आक्रामक पौधों का कब्जा
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित संरक्षणवादी और पारिस्थितिकीविद् लहकर ने कहा, "पबितोरा वन्यजीव अभयारण्य में 40 प्रतिशत घास के मैदानों में आक्रामक पौधे फैल गए हैं. वर्तमान समय में विदेशी आक्रामक पौधे वन्यजीव आवास में बड़ी चिंता का विषय हैं."

प्रभावी वन प्रबंधन रणनीतियों की जरूरत...
बिभूति प्रसाद लहकर को 2016 में IUCN विश्व धरोहर नायक पुरस्कार मिल चुका है. उन्होंने कहा, "पहले असम में एक सींग वाले गैंडों का अवैध शिकार बड़ी चिंता का विषय हुआ करता था. हालांकि, असम सरकार द्वारा अपनाई गई बहुआयामी रणनीति के कारण हाल के वर्षों में अवैध शिकार में कमी आई है. लेकिन, ये आक्रामक विदेशी पौधे अब सभी गैंडों के आवासों के लिए बड़ी चिंता का विषय बन रहे हैं, जिसके लिए नियमित निगरानी और गैंडों के आवासों को सुरक्षित करने के लिए प्रभावी वन प्रबंधन रणनीतियों की जरूरत है."

अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की लाल सूची में शामिल एक सींग वाले विशालकाय गैंडों की आबादी जंगल में लगभग 4,000 होने का अनुमान है. 2022 की गैंडा जनगणना के अनुसार, जंगल में इन 4000 गैंडों की आबादी में से 90 प्रतिशत असम के विभिन्न संरक्षित क्षेत्रों में पाए जाते हैं. इनमें काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (2613), ओरंग राष्ट्रीय उद्यान (125), पबितोरा वन्यजीव अभयारण्य (107) और मानस राष्ट्रीय उद्यान (40) हैं.

यह भी पढ़ें- World Rhino Day : IUCN Red List में शामिल दुर्लभ 2900 गैंडों का घर है भारत, इसके संरक्षण के लिए उठाये जा रहे हैं कदम

Last Updated : Sep 22, 2024, 7:04 PM IST
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