देहरादून: साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उत्तराखंड राज्य की पांचों लोकसभा सीटों को लेकर प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने जोड़ गणित शुरू कर दिया है. वर्तमान स्थिति ये है कि दोनों ही पार्टियां लोकसभा वाइज विधानसभा सीटों को मजबूत करने की कवायद में जुट गई हैं. ऐसे में दोनों ही पार्टियों की क्या मुद्दे रहने वाले हैं और लोकसभा वार क्या है प्रदेश में पार्टी की स्थिति और रणनीति? इस खास रिपोर्ट में जानिए.
इन दो सीटों पर कांग्रेस को चुनौती: दरअसल, साल 2017 के मुकाबले 2022 विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने थोड़ा बेहतर प्रदर्शन किया है. ऐसे में कांग्रेस को उम्मीद है कि आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रदेश की पांचों लोकसभा सीटों पर लड़ाई लड़ सकती है. हालांकि, विधानसभा वार कांग्रेस की स्थिति को देखें तो पौड़ी गढ़वाल और टिहरी लोकसभा सीट की विधानसभाओं में कांग्रेस की स्थिति बेहद खराब है. ऐसे में कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव में पौड़ी गढ़वाल और टिहरी लोकसभा की विधानसभा सीटों पर विशेष ध्यान देने की कवायद में जुट गई है.
जानें विधानसभा वार स्थिति: बता दें कि, प्रदेश की हर एक लोकसभा सीट पर 14-14 विधानसभा सीटें आती हैं. साल 2022 में हुए विधानसभा चुनावों पर गौर करें तो पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट की 14 विधानसभा सीटों में से 13 सीटों पर भाजपा और केवल एक सीट पर कांग्रेस काबिज है. इसी क्रम में टिहरी लोकसभा सीट की 14 विधानसभा सीटों में से 11 सीटों पर भाजपा और केवल दो सीटों पर कांग्रेस है. एक सीट पर निर्दलीय के खाते में हैं.
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हरिद्वार लोकसभा की 14 विधानसभा सीटों में से 6 पर भाजपा, 5 पर कांग्रेस, 2 सीटों पर बसपा और एक सीट निर्दलीय के खाते में है. नैनीताल लोकसभा की 14 विधानसभा सीटों में से 8 सीटों पर भाजपा और 6 सीटों पर कांग्रेस काबिज है. इसी क्रम में अल्मोड़ा लोकसभा की 14 विधानसभा सीटों में से 9 सीटों पर भाजपा और 5 सीटों पर कांग्रेस काबिज है.
पांचों लोकसभा सीटों पर चुनौती बरकरार: कुल मिलाकर, प्रदेश की पांचों लोकसभा सीटें दोनों ही पार्टियों के लिए बड़ी चुनौती है. पिछले दो बार से लोकसभा चुनाव में भाजपा पांचों लोकसभा सीटों पर अपना कब्जा बनाए हुई है, जिसके चलते भाजपा इस बार भी कॉन्फिडेंस में है लेकिन लगातार तीसरी बार भाजपा के लिए अपना वर्चस्व बरकरार रखना बड़ी चुनौती है. तो वहीं, कांग्रेस के लिए पांचों सीटों पर ही कड़ी टक्कर रहने वाली है क्योंकि दो लोकसभा सीटों की विधानसभाओं में कांग्रेस की स्थिति कुछ खास ठीक नहीं है लेकिन बाकी तीन लोकसभा सीटों पर कांग्रेस भाजपा को कड़ी टक्कर दे सकती है.
केंद्रीय मुद्दे रहे हैं हावी: उत्तराखंड राज्य में हमेशा से ही केंद्रीय राजनीति हावी रही है चाहे वो लोकसभा चुनाव हों या विधानसभा. हालांकि दोनों ही पार्टियां राज्य की मुद्दों को उठाने की कोशिश जरूर करती हैं, लेकिन केंद्रीय राजनीति के चलते राज्य के मुद्दों का कोई खास असर नहीं पड़ता. यही वजह है कि बीजेपी अभी से ही केंद्रीय मुद्दों को जनता के बीच ले जाने की कवायद में है और कांग्रेस केंद्र सरकार की नाकामियों को जनता के बीच रखने के लिए पूरी लिस्ट तैयार कर रही है.
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लोकसभा से पहले निकाय की टेंशन: कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता गरिमा गसौनी का कहना है कि कांग्रेस आने वाले लोकसभा चुनाव की रणनीति बना रही है और इन रणनीतियों को सार्वजनिक तौर पर नहीं बताया जाता है. यही नहीं, पहले भारत जोड़ो यात्रा और फिर हाथ जोड़ो यात्रा के तहत सभी को जोड़ने का प्रयास किया गया. इसके बाद अब जन संकल्प सत्याग्रह कार्यक्रम चलाया जा रहा है. सभी लोग अपने-अपने क्षेत्र में चुनाव को लेकर सक्रिय हैं. हालांकि, पहले निकाय चुनाव होने हैं उसके बाद लोकसभा चुनाव के लिए जिला व और विधानसभा वार रणनीतियां तैयार की जानी है.
इतिहास दोहराने को तैयार बीजेपी: उधर, इस पूरे मामले पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता वीरेंद्र बिष्ट ने बताया कि भाजपा एकमात्र ऐसी पार्टी जो हमेशा चुनावी मूड में रहती है और उनके कार्यकर्ता 24 घंटे काम करते हैं. हालांकि, चुनाव के मद्देनजर भाजपा, राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं और उपलब्धियों को जनता के बीच ले जाने का काम कर रही है. इसके अलावा भाजपा के नेता तमाम कार्यक्रमों और प्रवास के जरिए लोगों से लगातार जुड़े रहते हैं. वीरेंद्र बिष्ट का कहना है कि आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा अपने इतिहास को कायम रखते हुए पांचों सीटों को जीतेगी.