देहरादून: उत्तराखंड में उपनल और तदर्थ कर्मचारियों को लेकर शासन के आदेश के बाद अब कर्मचारियों के लिए नौकरी के लाले पड़ने लगे हैं. स्थिति यह है कि अब तक जो कर्मचारी कई महीनो से वेतन नहीं मिलने की लड़ाई लड़ रहे थे अब उन्हें अपनी नौकरी बचानी भी मुश्किल हो रहा है. मामला अपर मुख्य सचिव के उस पत्र का है जिसमें साल 2018 के शासनादेश की याद दिलाते हुए पद के सापेक्ष वाले कर्मचारियों को ही वेतन मद से भुगतान करने के निर्देश दिए गए थे.
उत्तराखंड वन विभाग के मुख्यालय पर आज बड़ी संख्या में उपनल कर्मचारियों ने पहुंच कर विरोध प्रदर्शन किया. उपनल कर्मचारीयों को नौकरियों से हटाए जाने पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई. इस दौरान कर्मचारी शासन स्तर पर उसे पत्र के बाद कर्मचारी के वेतन में आई दिक्कतों को दूर करने की मांग कर रहे थे, जिसके तहत पद के सापेक्ष नियुक्ति न पाने वाले उपनल कर्मचारीयों को दैनिक श्रमिक मध्य के आधार पर भुगतान करने की बात कही गई थी. बड़ी बात यह है कि इस आदेश के होने के बाद वन विभाग में ही करीब 100 से ज्यादा कर्मचारियों को हटाया जा चुका है. ऐसे में अब कर्मचारियों को चिंता सता रही है कि कहीं पद के सापेक्ष नियुक्ति न पाने वाले कर्मचारियों की सेवाएं खत्म ना कर दी जायें. इस मामले में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश अध्यक्ष अरुण पांडे ने भी इन कर्मचारियों के पक्ष में अफसर से बातचीत की.
उधर दूसरी तरफ उपनल कर्मचारियों की मानें तो शासन के पत्र के बाद अब तक 100 से ज्यादा उपनल कर्मचारी को वन विभाग से हटाया जा चुका है. यही नहीं उद्यान विभाग से भी 16 उपनल कर्मचारियों को हटाया गया है. इससे पूर्व में यह स्पष्ट आदेश है कि उपनल कर्मचारियों को बेवजह नहीं हटाया जाएगा. उधर दूसरी तरफ कर्मचारियों ने मांगें पूरी न होने पर आंदोलन तेज करने की भी चेतावनी दी है.