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रोक के बावजूद UPCL ने रिटायर्ड अधिकारी को किया लाखों का भुगतान, हुआ हंगामा - UPCL and JITCO company dispute

रोक के बावजूद यूपीसीएल ने रिटायर्ड अधिकारी को लाखों का भुगतान किया है. इससे पहले यूपीसीएल को जिटको कंपनी विवाद के कारण करोड़ों का चूना लग चुका है.

UPCL paid millions to retired officer
रोक के बावजूद UPCL ने रिटायर्ड अधिकारी को किया लाखों का भुगतान
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Published : Dec 28, 2020, 4:14 PM IST

देहरादून: साल 2004 में जिटको कंपनी को भुगतान में देरी किए जाने के प्रकरण में यूपीसीएल के कई अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट बनाई गई थी, जिसके बाद बाद यूपीसीएल ने इन अधिकारियों के भुगतान पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी. बावजूद इसके हाल ही में एक रिटायर्ड मुख्य अभियंता को मनमाने तरीके से 25 लाख रुपए का भुगतान कर दिया गया. वहीं, इस भुगतान के बाद अब यूपीसीएल में हंगामा शुरू हो गया है.

क्या था मामला

मामला साल 2004 का है. जब यूपीसीएल ने जिटको कंपनी के साथ बिजलीघरों के निर्माण और अन्य कार्यों के लिए करीब 30 करोड़ रुपये का एग्रीमेंट किया था. हालांकि उस दौरान जिटको कंपनी को 28 करोड़ से ज्यादा का भुगतान भी कर दिया गया था. मगर यह सभी काम तय समय पर नहीं किए जाने के साथ ही एग्रीमेंट से बाहर जाकर कार्य कराए जाने पर यूपीसीएल ने करीब 50 लाख रुपए के भुगतान पर रोक लगा दी थी. उसके बाद अपना पैसा लेने के लिए कंपनी कोर्ट की शरण में चली गई थी.

पढ़ें- हरिद्वार रेप-हत्याकांड मामला: फरार एक लाख का आरोपी राजीव गिरफ्तार, परिजनों ने की फांसी की मांग

करीब 15 साल चली सुनवाई

करीब 15 साल तक चली सुनवाई के बाद पिछले साल जनवरी में कोर्ट ने फैसला सुनाया कि 50 लाख रुपए के एवज में अब यूपीसीएल, जिटको कंपनी को 32 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी. साथ ही यह भी आदेश दिए गये कि अगर यूपीसीएल भुगतान करने में देरी करता है तो 12 प्रतिशत ब्याज भी देना होगा. कोर्ट के आदेश सुनाए जाने के बाद भी दिसंबर 2020 तक जिटको कंपनी को भुगतान नहीं किया गया. लिहाजा बकाया राशि 32 करोड़ से बढ़कर 40 करोड़ हो गई है.

पढ़ें- यमुनोत्री में सिर्फ लंगोट पहनकर साधना कर रहा साधु, बर्फ भी नहीं कर पाई ध्यान भंग

13 अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट

हालांकि हाल ही में यूपीसीएल ने जिटको कंपनी के साथ समझौता कर इस विवाद को सुलझाते हुए मात्र 15.68 करोड़ रुपए में ही निपटा दिया. यही नहीं, जिटको कंपनी को भुगतान किए जाने से पहले ही अगस्त महीने में इस पूरे प्रकरण की जांच को लेकर ऊर्जा सचिव राधिका झा ने यूपीसीएल के एमडी को इस मामले में जल्द से जल्द जांच कर कार्रवाई करने के आदेश दिए थे. जिसके बाद यूपीसीएल द्वारा कार्रवाई करते हुए 13 अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट जारी की गई. यहां तक कि यह भी तय किया गया था कि इन्हीं अधिकारियों से ही इस भुगतान की रिकवरी की जाएगी.

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फिर खड़ा हुआ हंगामा

मामला सुलझाने के बाद अब यूपीसीएल ने बीते दिनों जांच के आदेश दिए थे. जिसमें मुख्य रूप से 13 अधिकारियों समेत 22 अन्य लोगों के खिलाफ कार्रवाई की बात की जा रही थी. हालांकि वर्तमान समय में 13 अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट बनाई गई है. इन्हीं में से दो अधिकारी जो हाल ही में रिटायर होने वाले थे, उन अधिकारियों में मुख्य अभियंता राजेंद्र सिंह और महाप्रबंधक मोहम्मद इकबाल हैं. जिनके लिए 29 अक्टूबर को दो आदेश जारी किए गए. जिसमें इन दोनों अधिकारियों के भुगतान पर रोक लगा दी गई थी.

पढ़ें- हरिद्वार कुंभ की फरवरी अंत तक जारी होगी अधिसूचना, जानिए कितने दिन का होगा महाकुंभ

रोक लगाने के बावजूद हाल ही में मुख्य अभियंता राजेंद्र सिंह को रिटायरमेंट के बाद 25 लाख रुपए का भुगतान कर दिया गया. जिसके बाद से ही यूपीसीएल में हंगामा खड़ा हो गया है. अब इस मामले को लेकर यूपीसीएल का मानव संसाधन विंग विधिक राय लेने में जुट गया है. यूपीसीएल के अधिकारी के अनुसार अभी फिलहाल 13 लोगों के खिलाफ जो चार्जशीट दाखिल की गई है, उस पर कार्रवाई की डा रही है. जिसमें से दो अधिकारी रिटायर्ड हो चुके हैं.

देहरादून: साल 2004 में जिटको कंपनी को भुगतान में देरी किए जाने के प्रकरण में यूपीसीएल के कई अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट बनाई गई थी, जिसके बाद बाद यूपीसीएल ने इन अधिकारियों के भुगतान पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी. बावजूद इसके हाल ही में एक रिटायर्ड मुख्य अभियंता को मनमाने तरीके से 25 लाख रुपए का भुगतान कर दिया गया. वहीं, इस भुगतान के बाद अब यूपीसीएल में हंगामा शुरू हो गया है.

क्या था मामला

मामला साल 2004 का है. जब यूपीसीएल ने जिटको कंपनी के साथ बिजलीघरों के निर्माण और अन्य कार्यों के लिए करीब 30 करोड़ रुपये का एग्रीमेंट किया था. हालांकि उस दौरान जिटको कंपनी को 28 करोड़ से ज्यादा का भुगतान भी कर दिया गया था. मगर यह सभी काम तय समय पर नहीं किए जाने के साथ ही एग्रीमेंट से बाहर जाकर कार्य कराए जाने पर यूपीसीएल ने करीब 50 लाख रुपए के भुगतान पर रोक लगा दी थी. उसके बाद अपना पैसा लेने के लिए कंपनी कोर्ट की शरण में चली गई थी.

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करीब 15 साल चली सुनवाई

करीब 15 साल तक चली सुनवाई के बाद पिछले साल जनवरी में कोर्ट ने फैसला सुनाया कि 50 लाख रुपए के एवज में अब यूपीसीएल, जिटको कंपनी को 32 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी. साथ ही यह भी आदेश दिए गये कि अगर यूपीसीएल भुगतान करने में देरी करता है तो 12 प्रतिशत ब्याज भी देना होगा. कोर्ट के आदेश सुनाए जाने के बाद भी दिसंबर 2020 तक जिटको कंपनी को भुगतान नहीं किया गया. लिहाजा बकाया राशि 32 करोड़ से बढ़कर 40 करोड़ हो गई है.

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13 अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट

हालांकि हाल ही में यूपीसीएल ने जिटको कंपनी के साथ समझौता कर इस विवाद को सुलझाते हुए मात्र 15.68 करोड़ रुपए में ही निपटा दिया. यही नहीं, जिटको कंपनी को भुगतान किए जाने से पहले ही अगस्त महीने में इस पूरे प्रकरण की जांच को लेकर ऊर्जा सचिव राधिका झा ने यूपीसीएल के एमडी को इस मामले में जल्द से जल्द जांच कर कार्रवाई करने के आदेश दिए थे. जिसके बाद यूपीसीएल द्वारा कार्रवाई करते हुए 13 अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट जारी की गई. यहां तक कि यह भी तय किया गया था कि इन्हीं अधिकारियों से ही इस भुगतान की रिकवरी की जाएगी.

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फिर खड़ा हुआ हंगामा

मामला सुलझाने के बाद अब यूपीसीएल ने बीते दिनों जांच के आदेश दिए थे. जिसमें मुख्य रूप से 13 अधिकारियों समेत 22 अन्य लोगों के खिलाफ कार्रवाई की बात की जा रही थी. हालांकि वर्तमान समय में 13 अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट बनाई गई है. इन्हीं में से दो अधिकारी जो हाल ही में रिटायर होने वाले थे, उन अधिकारियों में मुख्य अभियंता राजेंद्र सिंह और महाप्रबंधक मोहम्मद इकबाल हैं. जिनके लिए 29 अक्टूबर को दो आदेश जारी किए गए. जिसमें इन दोनों अधिकारियों के भुगतान पर रोक लगा दी गई थी.

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रोक लगाने के बावजूद हाल ही में मुख्य अभियंता राजेंद्र सिंह को रिटायरमेंट के बाद 25 लाख रुपए का भुगतान कर दिया गया. जिसके बाद से ही यूपीसीएल में हंगामा खड़ा हो गया है. अब इस मामले को लेकर यूपीसीएल का मानव संसाधन विंग विधिक राय लेने में जुट गया है. यूपीसीएल के अधिकारी के अनुसार अभी फिलहाल 13 लोगों के खिलाफ जो चार्जशीट दाखिल की गई है, उस पर कार्रवाई की डा रही है. जिसमें से दो अधिकारी रिटायर्ड हो चुके हैं.

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