दिल्ली/देहरादून: केंद्रीय कैबिनेट की बैठक के बाद ब्रीफिंग के दौरान केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने जानकारी देते हुए बताया कि भारत-नेपाल के बीच महाकाली नदी पर 12 हजार करोड़ की लागत से ब्रिज बनाया जाएगा. इस प्रस्तावित पुल का काम तीन साल के भीतर पूरा कर लिया जाएगा. इस पुल पर करार हो जाने से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंध और बेहतर हो सकेंगे.
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि भारत-नेपाल के बीच महाकाली नदी के ऊपर धारचूला में एक पुल बनाने का निर्णय भी कैबिनेट की बैठक में लिया गया है. इससे संबंधित MoU जल्द साइन किया जाएगा. इससे उत्तराखंड में रहने वाले लोगों को लाभ होगा और नेपाल की तरफ रहने वाले लोगों को भी लाभ होगा. दोनों देश लंबे समय में गहरी दोस्ती और सांस्कृतिक रिश्ते रखते हैं, जिसका सबूत दोनों देशों के बीच ओपन बॉर्डर का होना रहा है. आपसी साझेदीर में ये पुल बड़ी भूमिका निभाएगा.
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पुल निर्माण से उत्तराखंड को फायदा: ये पुल बन जाने के बाद पिथौरागढ़ के धारचूला में रहने और वहां से आवाजाही करने वाले लोगों को सहूलियत होगी, साथ ही नेपाल के सीमांत इलाके से यात्रा करने वालों को भी काफी मदद मिलेगी.
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भारत- नेपाल के बीच महाकाली नदी के ऊपर धारचुला में एक पुल बनाने का निर्णय भी कैबिनेट की बैठक में लिया गया है। इससे संबंधित MoU जल्द साइन किया जाएगा। इससे उत्तराखंड में रहने वाले लोगों को लाभ होगा और नेपाल की तरफ रहने वाले लोगों को भी लाभ होगा । #CabinetDecisions pic.twitter.com/eL6TNHMGni
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काली नदी उत्तराखंड में भारत और नेपाल की सीमा निर्धारित करती है. उत्तराखंड के कुछ हिस्सों और उत्तर प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों में पहुंचने पर इसे शारदा नदी के नाम से जाना जाता है. काली नदी सरयू की सबसे बड़ी सहायक नदी है, जो कि पंचेश्वर नामक जगह पर मिलकर सरयू बन जाती है. काली नदी धारचूला नगर से होकर गुजरती है और जौलजीबी नामक स्थान पर गोरी नदी से मिलती है, जहां से यह महाकाली के नाम से जानी जाती है. काली गोरी नदी के संगम पर हर वर्ष मेले का आयोजन किया जाता है, जो कि तीन देशों भारत, नेपाल और चीन के बीच व्यापारिक महत्व को दर्शाता है.
पंचेश्वर बांध पर आगे नहीं बढ़ा काम: इससे पहले, भारत और नेपाल के बीच सिंचाई और बिजली उत्पादन के मकसद से 1995 में महाकाली नदी पर ही पंचेश्वर बांध परियोजना का काम पर बात चली थी लेकिन इस पर कोई निर्णय नहीं हो सका. 5600 मेगावाट उत्पादन के लिए प्रस्तावित पंचेश्वर डैम को लेकर 2013 में एक बार फिर बातचीत शुरू हुई थी, लेकिन ये मामला आगे नहीं बढ़ सका.