देहरादून: उत्तराखंड में महंगाई और बेरोजगारी का मुद्दा इन दिनों चर्चाओं में है. प्रदेश में बेरोजगारी को लेकर हाल ही में जारी सीएमईआई की रिपोर्ट, राहत देने के साथ ही परेशान करने वाली है. सेंटर ऑफ मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमईआई) के ताजा आंकड़ों के अनुसार पिछले कुछ सालों की तुलना में बेरोजगारी दर के आंकड़ों में कमी आई है, जबकि पिछले महीने की तुलना में बेरोजगारी दर करीब दो गुना हो गयी है.
सीएमईआई की रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2017 में जब चुनाव जीतकर भाजपा सत्ता पर काबिज हुई थी. उस दौरान प्रदेश में बेरोजगारी दर 0.3 फीसदी थी. यानी जब कांग्रेस ने सत्ता छोड़ी, उस दौरान राज्य में बेरोजगारी दर 0.3 फीसदी थी. जिसके 3 साल बाद यानी मार्च 2020 में यह बेरोजगारी दर बढ़कर 19.9 फीसदी तक पहुंच गई. मार्च 2020 में उत्तराखंड में वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण ने दस्तक दी. जिसके बाद प्रदेश में बेरोजगारी दर में काफी बढ़ोतरी देखी गई.
पढ़ें- कांग्रेस ने BJP की जन आशीर्वाद रैली को बताया फ्लॉप, खाली कुर्सियों पर ली चुटकी
मार्च 2021 आते-आते बेरोजगारी दर मार्च 2020 के मुकाबले काफी कम हो गई, मार्च 2021 में बेरोजगारी दर मात्र 3.3 फीसदी ही रह गई, जो राज्य के लिए काफी राहत भरी खबर है. इसके बाद अप्रैल 2021 में एक बार फिर बेरोजगारी दर में उछाल देखा गया. अप्रैल 2021 में बेरोजगारी दर बढ़कर 6.0 फीसदी तक पहुंच गई. यही नहीं, जुलाई 2021 में बेरोजगारी दर घट कर 3.2 तक पहुंच गई थी, जो एक बार फिर एक महीने में ही बेरोजगारी दर करीब दोगुना बढ़कर 6.2 फीसदी तक पहुंच गई है.
पढ़ें- नहीं रहे IAS केशव देसी राजू, जिनके चलते उत्तराखंड में साकार हुई 108 एंबुलेंस सेवा
सेंटर ऑफ मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमईआई) की ताजा रिपोर्ट जारी होने के बाद मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं. कांग्रेस की गढ़वाल मीडिया प्रभारी गरिमा दसौनी ने बताया मार्च 2017 में जब कांग्रेस सत्ता छोड़ कर गई थी. उस दौरान बेरोजगारी दर 0.3 फीसदी थी. प्रचंड बहुमत और डबल इंजन की सरकार के आने के बाद ही बेरोजगारी दर ने रफ्तार पकड़ी. आलम यह रहा कि बेरोजगारी दर 20 से 22 फीसदी पहुंच गई. जुलाई 2021 में जो बेरोजगारी दर थी वह अगस्त 2021 में 2 गुना बढ़कर 6.2 फीसदी तक हो गई.