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कर्मचारियों को झटकाः त्रिवेंद्र सरकार ने प्रमोशन पर लगाई रोक, जानिए क्या है वजह - उत्तराखंड में प्रमोशन पर रोक

प्रदेश भर में प्रमोशन की सभी प्रक्रियाओं पर रोक लगा दी गई है. जिसके बाद अब हाई कोर्ट के अंतिम आदेश या सरकार द्वारा नीतिगत निर्णय लिए जाने तक डीपीसी की प्रक्रिया को स्थगित करने के आदेश दिए गये हैं. उत्तराखंड में अभी करीब 15,000 पद खाली हैं.

प्रमोशन का इंतजार करने वाले कर्मियों को लगा झटका
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Published : Sep 11, 2019, 7:47 PM IST

Updated : Sep 11, 2019, 9:27 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में राज्याधीन सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों के प्रमोशन पर अनिश्चितकाल तक के लिए रोक लगा दी गई है. यह रोक हाई कोर्ट से अंतिम आदेश या राज्य सरकार द्वारा कोई निर्णय लिए जाने तक जारी रहेगी. इस रोक के बाद प्रदेश में सालों से प्रमोशन के इंतजार में बैठे कर्मचारी मायूस हो गये हैं.

प्रमोशन का इंतजार करने वाले कर्मियों को लगा झटका

बता दें कि राज्य सरकार ने 5 सितंबर 2012 को अधिसूचना जारी कर पदोन्नत्ति में एससी/एसटी को आरक्षण देने की व्यवस्था को खत्म कर दिया था. जिसके बाद हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार की अधिसूचना को निरस्त करने के आदेश दिए. करीब एक माह पहले हाई कोर्ट के अधिसूचना को निरस्त करने के बाद फिर प्रमोशन में आरक्षण की व्यवस्था लागू हो गयी. लेकिन इसके बाद फिर हाई कोर्ट में पुनर्विचार याचिका लगाकर कुछ कर्माचारियों ने हाई कोर्ट के आदेश को ही चुनौती दी है.

पढे़ं- उत्तराखंड सरकार पर बढ़ता कर्ज, वायु सेना के पत्र से तेज हुई हलचल

जिसके बाद अब मुख्य सचिव उत्पल कुमार ने आदेश जारी कर प्रदेश भर में प्रमोशन की सभी प्रक्रियाओं पर रोक लगा दी है. जानकारी के अनुसार अब हाई कोर्ट के अंतिम आदेश या सरकार द्वारा नीतिगत निर्णय लिए जाने तक डीपीसी की प्रक्रिया को स्थगित करने के आदेश दिए गये हैं. वहीं जनरल ओबीसी एम्पलाइज फेडरेशन के मुख्य प्रवक्ता राकेश जोशी ने सरकार के इस निर्णय को कर्मचारियों के हितों पर कुठाराघात बताया है.

आरक्षण को लेकर शुरू हुए विवाद के चलते सालों से प्रमोशन का इंतजार करने वाले कर्मचारियों को एक बार फिर झटका लगा है. आरक्षण को लेकर हुए विवाद में अगर जल्द ही समाधान नहीं निकला तो कर्मचारियों को प्रमोशन के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है. जानकारी के अनुसार प्रदेश में अभी करीब 15,000 पद रिक्त हैं. जिन पर डीपीसी किया जाना लंबित है.

देहरादून: उत्तराखंड में राज्याधीन सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों के प्रमोशन पर अनिश्चितकाल तक के लिए रोक लगा दी गई है. यह रोक हाई कोर्ट से अंतिम आदेश या राज्य सरकार द्वारा कोई निर्णय लिए जाने तक जारी रहेगी. इस रोक के बाद प्रदेश में सालों से प्रमोशन के इंतजार में बैठे कर्मचारी मायूस हो गये हैं.

प्रमोशन का इंतजार करने वाले कर्मियों को लगा झटका

बता दें कि राज्य सरकार ने 5 सितंबर 2012 को अधिसूचना जारी कर पदोन्नत्ति में एससी/एसटी को आरक्षण देने की व्यवस्था को खत्म कर दिया था. जिसके बाद हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार की अधिसूचना को निरस्त करने के आदेश दिए. करीब एक माह पहले हाई कोर्ट के अधिसूचना को निरस्त करने के बाद फिर प्रमोशन में आरक्षण की व्यवस्था लागू हो गयी. लेकिन इसके बाद फिर हाई कोर्ट में पुनर्विचार याचिका लगाकर कुछ कर्माचारियों ने हाई कोर्ट के आदेश को ही चुनौती दी है.

पढे़ं- उत्तराखंड सरकार पर बढ़ता कर्ज, वायु सेना के पत्र से तेज हुई हलचल

जिसके बाद अब मुख्य सचिव उत्पल कुमार ने आदेश जारी कर प्रदेश भर में प्रमोशन की सभी प्रक्रियाओं पर रोक लगा दी है. जानकारी के अनुसार अब हाई कोर्ट के अंतिम आदेश या सरकार द्वारा नीतिगत निर्णय लिए जाने तक डीपीसी की प्रक्रिया को स्थगित करने के आदेश दिए गये हैं. वहीं जनरल ओबीसी एम्पलाइज फेडरेशन के मुख्य प्रवक्ता राकेश जोशी ने सरकार के इस निर्णय को कर्मचारियों के हितों पर कुठाराघात बताया है.

आरक्षण को लेकर शुरू हुए विवाद के चलते सालों से प्रमोशन का इंतजार करने वाले कर्मचारियों को एक बार फिर झटका लगा है. आरक्षण को लेकर हुए विवाद में अगर जल्द ही समाधान नहीं निकला तो कर्मचारियों को प्रमोशन के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है. जानकारी के अनुसार प्रदेश में अभी करीब 15,000 पद रिक्त हैं. जिन पर डीपीसी किया जाना लंबित है.

Intro:Summary- उत्तराखंड में राज्याधीन सेवाओं से जुड़े कर्मियों के प्रमोशन पर अनिश्चितकाल तक के लिए रोक लगा दी गई है...ये रोक हाईकोर्ट से अंतिम आदेश या राज्य सरकार के इस पर कोई नीतिगत निर्णय लेने तक जारी रहेगी...


प्रदेश में सालों से प्रमोशन की उम्मीद लगाए कर्मियों को एक बार फिर तगड़ा झटका लगा है.. राज्य सरकार ने राज्याधीन सभी कर्मियों की पदोन्नतियों पर रोक लगाकर डीपीसी की बैठकें स्थगित करने के आदेश दिए हैं....




Body:उत्तराखंड में रोजगार के ज्यादा से ज्यादा अवसर तलाशने वाली त्रिवेंद्र सरकार ने राज्याधीन सेवाओं में रिक्त पदों पर जल्द पदोन्नत्तियों को करने और इसके बाद खाली होने वाले पदों को  सीधी भर्ती के जरिए भरने का प्लान तो तैयार किया...लेकिन प्रमोशन में आरक्षण के विवाद ने इस पूरी प्रक्रिया को खटाई में डाल दिया... दरअसल प्रमोशन में आरक्षण के खिलाफ सरकार के शासनादेश को नैनीताल हाईकोर्ट ने निरस्त किया तो इसके खिलाफ पुनर्विचार याचिका लगने के बाद शासन ने इस पर आदेश जारी कर प्रदेश भर में प्रमोशन की सभी प्रक्रियाओं पर रोक लगाते हुए हाई कोर्ट के अंतिम आदेश या सरकार द्वारा नीतिगत निर्णय लिए जाने तक डीपीसी की प्रक्रिया को स्थगित करने के आदेश दिए हैं।। हालांकि जनरल ओबीसी एम्पलाइज फेडरेशन के मुख्य प्रवक्ता राकेश जोशी ने सरकार के इस निर्णय को कर्मचारियों के हितों पर कुठाराघात बताया है..


बाइट राकेश जोशी, मुख्य प्रवक्ता, जनरल ओबीसी एम्पलाइज फेडरेशन 


मुख्य सचिव उत्पल कुमार द्वारा जारी आदेश यूं तो हाईकोर्ट के निर्णय के लिहाज से दिया गया है लेकिन हकीकत यह भी है कि आरक्षण को लेकर शुरू हुए विवाद के चलते सालों से प्रमोशन का इंतजार करने वाले कर्मचारियों को एक बार फिर तगड़ा झटका लगा है.. आरक्षण को लेकर हुए विवाद में फिलहाल यदि कोई हल नहीं निकलता है तो कर्मचारियों को प्रमोशन के लिए और भी लंबा इंतजार करना पड़ सकता है... जानकारी के अनुसार प्रदेश में अभी करीब 15,000 पद रिक्त हैं जिन पर डीपीसी किया जाना लंबित है...


बाइट भागीरथ शर्मा वरिष्ठ पत्रकार




Conclusion:
Last Updated : Sep 11, 2019, 9:27 PM IST
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