देहरादून: हिमालय क्षेत्रों के देवालयों और मां गंगा में अगाध श्रद्धा रखने वाली बीजेपी की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने शुक्रवार को ट्वीट कर श्रीनगर के पास अलकनंदा पर बने श्रीनगर हाईड्रो पावर प्रोजेक्ट को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की है. एक के बाद एक ट्वीट करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि वो आज हिमालय से विदा ले रही हैं लेकिन श्रीनगर से गुजरते हुए उन्होंने गंगा की जो हालत देखी है, उससे वो बेहद आहत हैं.
उभा भारती ने इसका एक वीडियो भी बनाया है, जिसे उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राज्य सरकार, जल शक्ति केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को उचित कारवाई के लिए भेजा है. उमा भारती ने कहा कि, उनके गंगा अभियान का मुख्य उद्देश्य मां धारी देवी थीं, जो कि बदरी केदार के रास्ते में स्थित श्रीनगर के पास अलकनंदा (गंगा) के किनारे आसीन थीं. वहां पर राज्य एवं केंद्र सरकार की अनुमति से एक प्राइवेट पार्टी ने पावर प्रोजेक्ट लगाने की चेष्टा की, जिसने धारी देवी को डुबा दिया और गंगा की अविरलता खंडित हो गई.
उन्होंने आगे कहा कि, गंगा मंत्रालय ने साल 2018 में एक नोटिफिकेशन जारी किया था कि गंगा नदी की धारा किसी भी प्रोजेक्ट में खंडित नहीं होनी चाहिए और हमने उसको पर्यावरणीय प्रवाह (Ecological Flow) नाम दिया था. लेकिन आज (शुक्रवार) दोपहर को ही उन्होंने श्रीनगर में ही लगे हुए पावर प्रोजेक्ट का बेशर्म एवं निर्दय उल्लंघन देखा है. कई किलोमीटर का एक ऐसा हिस्सा दिखाई दिया जहां पानी तक नहीं था. पावर प्रोजेक्ट के पीक आवर के लिए पूरी गंगा का पानी रोककर नदी के दो टुकड़े कर दिए.
उमा भारती का ये मनाना है कि अगर स्थानीय जनता उनका साथ देती तो वो मंदिर को डूबने नहीं देतीं. इस पूरे मामले में तब स्थानीय लोग दो धड़ों में बंट चुके थे. एक पक्ष बांध निर्माण के विरोध में था और दूसरा बांध बनाने के पक्ष में. आधिकांश लोग वो थे जो बांध से प्रभावित थे.
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जानकारों की मानें तो अगर परियोजना को बढ़ाया नहीं जाता तो धारी देवी मंदिर डूबता नहीं. जब धारी देवी की मूर्ति को मूल स्थान से उठाया जा रहा था तो, इसको लेकर पूर्व जल संसाधन मंत्री उमा भारती और पूर्व मुख्य मंत्री रमेश पोखरियाल मंदिर में धरने पर भी बैठे, लेकिन इसके बाद भी मंदिर के मूल स्थान से मां धारी देवी की मूर्ति को अपलिफ्ट किया गया, जिसका दुःख आज तक उमा भारती को होता है.
भारती ने कहा कि, इस पावन हिमालय में गंगा की पवित्रतम मुख्य धारा अलकनंदा के साथ ऐसा हिंसक खिलवाड़ उन्होंने पहली बार देखा. यह तो पर्यावरणविदों, पीएमओ और भारत के महत्त्वपूर्ण मंत्रालयों के परामर्श के बाद जारी की गई नीति का उद्दंडता पूर्ण उल्लंघन है.
आगे उमा भारती ने बताया कि वो हिमालय से विदा ले रहीं हैं, वो बिठूर जहां गंगा विराजमान हैं. उनके साथ विंध्यवासिनी मिर्जापुर होते हुए गंगासागर की ओर बढ़ेंगी.
श्रीनगर जलविद्युत परियोजना: श्रीनगर जलविद्युत परियोजना को जीवीके कंपनी द्वारा साल 2004 में डेकन कंपनी से लिया गया, तब इसके निर्माण को 220 मेगावाट रखा गया था लेकिन बाद में इस परियोजना को बढ़ाते हुए 330 मेगावाट किया गया. जिसके चलते नदी की झील का फैलाव ओर गहराई भी बढ़ी. श्रीनगर जलविद्युत परियोजना ने 2015 में बिजली उत्पादन शुरु किया.