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UKD स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी और शहीद राज्य आंदोलनकारियों का करेगी श्राद्ध

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Published : Sep 16, 2020, 1:21 PM IST

देहरादून में उत्तराखंड क्रांति दल पहाड़ के गांधी के नाम से विख्यात स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी और शहीद राज्य आंदोलनकारियों के लिए पितृ श्राद्ध करेगी. आखिरी अमावस्या यानी 17 तारीख को यूकेडी ने इसके लिए वृहद तैयारियां की हैं.

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उत्तराखंड क्रांति दल

देहरादून: उत्तराखंड क्रांति दल पहाड़ के गांधी के नाम से विख्यात स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी और शहीद राज्य आंदोलनकारियों के लिए पितृ श्राद्ध करेगा. आखिरी अमावस्या यानी 17 सितंबर को यूकेडी ने इसके लिए वृहद तैयारियां की हैं. इसी दिन उक्रांद के नेता और कार्यकर्ता यह प्रतिज्ञा भी लेंगे कि शहीद हुए राज्य आंदोलनकारियों के बलिदानों को व्यर्थ नहीं जाने दिया जाएगा. साथ ही उनके सपनों को साकार किया जाएगा.

UKD स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी और शहीद राज्य आंदोलनकारियों का करेगी श्राद्ध.

उत्तराखंड क्रांति दल के नेता सुनील ध्यानी ने कहा कि उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुए 20 वर्ष हो चुके हैं. लेकिन शहीदों ने जिस उत्तराखंड राज्य की परिकल्पना करते हुए अपना जीवन न्योछावर किया, उस उत्तराखंड राज्य का सपना अभी भी पूरा नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि कहीं न कहीं उनकी आत्मा यह कह रही होगी कि यह कैसा उत्तराखंड बना है, जहां बेरोजगारी और पलायन जैसे हालात बदस्तूर बने हुए हैं. उन्होंने कहा कि पितृ श्राद्ध में पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्धकर्म किए जाते हैं. इसलिए आखिरी अमावस्या यानी गुरुवार को उत्तराखंड राज्य के शहीदों और दल के पितृ पहाड़ के गांधी स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी को पितृ श्राद्ध दिया जाना तय किया गया है. इसके लिए सभी राज्य आंदोलनकारी संगठनों और गणमान्य लोगों को पितृ प्रसाद ग्रहण करने के लिए आमंत्रित किया गया है. उन्होंने बताया कि कार्यक्रम में दल के सभी नेतागण पितृ तर्पण में शामिल होने जा रहे हैं.

पढ़ें: लोकसभा ने संसद सदस्य वेतन, भत्ता और पेंशन संशोधन विधेयक को मंजूरी दी

बता दें कि, राज्य गठन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाली यूकेडी आज प्रदेश में अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने में लगी हुई है. दल का मानना है कि पितृ श्राद्ध के दिन केंद्रीय अध्यक्ष दिवाकर भट्ट यूकेडी के आगामी कार्यक्रमों की घोषणा भी करेंगे. उस दिन दल के नेता और कार्यकर्ता यह प्रतिज्ञा भी लेंगे कि जिस त्याग को राज्य के शहीदों ने किया है उनके बलिदानों को व्यर्थ नहीं जाने दिया जाएगा. उनके अधूरे सपनों को यूकेडी पूरा करेगी. यह वही उत्तराखंड क्रांति दल है जिसने उत्तराखंड राज्य स्थापना की मांग की थी, क्षेत्रीय दल आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है.

पढ़ें: 2022 विंटर ओलंपिक की मेजबानी पर चीन का घेराव, तिब्बत मामले में IOC से दखल की अपील

1994 में उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश से अलग करने के आंदोलन में यूकेडी की बड़ी भूमिका थी. पार्टी ने 2002 में पहले विधानसभा चुनाव में 4 सीट पर जीत हासिल की थी. 2007 में पार्टी 3 सीटों पर सिमट कर रह गई. 2012 के विधानसभा चुनाव में यूकेडी को महज एक सीट हासिल हुई. आगामी 2022 के विधानसभा चुनाव के लिये उत्तराखंड क्रांति दल पूरे जोर-शोर से तैयारियों में जुटी हुई है. जल, जंगल, जमीन का नारा देने वाली यूकेडी का मानना है कि उत्तराखंड के विकास के लिए दल का गठन हुआ था इसलिए दल का संघर्ष जारी रहेगा.

देहरादून: उत्तराखंड क्रांति दल पहाड़ के गांधी के नाम से विख्यात स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी और शहीद राज्य आंदोलनकारियों के लिए पितृ श्राद्ध करेगा. आखिरी अमावस्या यानी 17 सितंबर को यूकेडी ने इसके लिए वृहद तैयारियां की हैं. इसी दिन उक्रांद के नेता और कार्यकर्ता यह प्रतिज्ञा भी लेंगे कि शहीद हुए राज्य आंदोलनकारियों के बलिदानों को व्यर्थ नहीं जाने दिया जाएगा. साथ ही उनके सपनों को साकार किया जाएगा.

UKD स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी और शहीद राज्य आंदोलनकारियों का करेगी श्राद्ध.

उत्तराखंड क्रांति दल के नेता सुनील ध्यानी ने कहा कि उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुए 20 वर्ष हो चुके हैं. लेकिन शहीदों ने जिस उत्तराखंड राज्य की परिकल्पना करते हुए अपना जीवन न्योछावर किया, उस उत्तराखंड राज्य का सपना अभी भी पूरा नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि कहीं न कहीं उनकी आत्मा यह कह रही होगी कि यह कैसा उत्तराखंड बना है, जहां बेरोजगारी और पलायन जैसे हालात बदस्तूर बने हुए हैं. उन्होंने कहा कि पितृ श्राद्ध में पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्धकर्म किए जाते हैं. इसलिए आखिरी अमावस्या यानी गुरुवार को उत्तराखंड राज्य के शहीदों और दल के पितृ पहाड़ के गांधी स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी को पितृ श्राद्ध दिया जाना तय किया गया है. इसके लिए सभी राज्य आंदोलनकारी संगठनों और गणमान्य लोगों को पितृ प्रसाद ग्रहण करने के लिए आमंत्रित किया गया है. उन्होंने बताया कि कार्यक्रम में दल के सभी नेतागण पितृ तर्पण में शामिल होने जा रहे हैं.

पढ़ें: लोकसभा ने संसद सदस्य वेतन, भत्ता और पेंशन संशोधन विधेयक को मंजूरी दी

बता दें कि, राज्य गठन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाली यूकेडी आज प्रदेश में अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने में लगी हुई है. दल का मानना है कि पितृ श्राद्ध के दिन केंद्रीय अध्यक्ष दिवाकर भट्ट यूकेडी के आगामी कार्यक्रमों की घोषणा भी करेंगे. उस दिन दल के नेता और कार्यकर्ता यह प्रतिज्ञा भी लेंगे कि जिस त्याग को राज्य के शहीदों ने किया है उनके बलिदानों को व्यर्थ नहीं जाने दिया जाएगा. उनके अधूरे सपनों को यूकेडी पूरा करेगी. यह वही उत्तराखंड क्रांति दल है जिसने उत्तराखंड राज्य स्थापना की मांग की थी, क्षेत्रीय दल आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है.

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1994 में उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश से अलग करने के आंदोलन में यूकेडी की बड़ी भूमिका थी. पार्टी ने 2002 में पहले विधानसभा चुनाव में 4 सीट पर जीत हासिल की थी. 2007 में पार्टी 3 सीटों पर सिमट कर रह गई. 2012 के विधानसभा चुनाव में यूकेडी को महज एक सीट हासिल हुई. आगामी 2022 के विधानसभा चुनाव के लिये उत्तराखंड क्रांति दल पूरे जोर-शोर से तैयारियों में जुटी हुई है. जल, जंगल, जमीन का नारा देने वाली यूकेडी का मानना है कि उत्तराखंड के विकास के लिए दल का गठन हुआ था इसलिए दल का संघर्ष जारी रहेगा.

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