ऋषिकेश: मोक्षदायिनी गंगा में दूषित पानी को गिरने से रोकने के लिए करोड़ों रुपए के खर्च के बाद अब कचरे की रोकथाम के लिए बड़ी पहल की गई है. इसके लिए आबादी क्षेत्र से सटे गंगा के किनारों पर फेंसिंग का कार्य शुरू हो गया है. इस काम का जिम्मा उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) को सौंपा गया है.
दरअसल, तीर्थक्षेत्र ऋषिकेश और सटे क्षेत्रों में केंद्र सरकार ने नमामि गंगे योजना के तहत पंपिंग और ट्रीटमेंट प्लांट बनाए. इन सयंत्रों पर करोड़ों रुपए खर्च कर आबादी का दूषित पानी मोक्षदायिनी में गिरने से रोकने में काफी हद तक कामयाबी भी मिली. लेकिन गंगा में कुछ आबादी क्षेत्रों से ठोस कचरा प्रवाहित होता रहा है. केंद्र की डैम सेफ्टी कमीशन (डीएससी) की टीम ने बैराज और आसपास के क्षेत्रों में निरीक्षण के दौरान इसकी तस्दीक की. टीम ने उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) को कूड़े की रोकथाम के इंतजाम को कहा है.
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जल विद्युत निगम लिमिटेड के अधिशासी अभियंता ललित कुमार के मुताबिक डैम सेफ्टी कमीशन की सिफारिश पर आबादी से सटे गंगा के करीब डेढ किलोमीटर में फेसिंग का प्रस्ताव केंद्रीय जल आयोग को भेजा. 97 लाख रुपए के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद अब निगम ने विश्व बैंक के वित्तीय सहयोग से फेंसिंग का कार्य शुरू कर दिया है. बताया कि इस फेंसिंग से न सिर्फ कचरे की रोकथाम होगी, बल्कि यह जनसुरक्षा में भी कारगर साबित होगी.