देहरादून: साल 2020 में पूर्ण रूप से अस्तित्व में आने के बाद उत्तराखंड देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड, चारधाम की व्यवस्थाओं को मुकम्मल करने के साथ ही बोर्ड में सदस्यों को शामिल करने की प्रक्रिया में लगा हुआ है. ताकि बोर्ड को पूरे मजबूती के साथ संचालित किया जा सके. इसी कड़ी में संस्कृति एवं धर्मस्व विभाग ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को एक प्रस्ताव भेजा था. जिसमें भारत सरकार के संस्कृति और पर्यटन विभाग के एक-एक संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में नामित किया जाए. जिस प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुहर लगा दी है.
उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने, यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा देने और प्रदेश के अन्य मंदिरों को भी एक बोर्ड के अधीन लाने के लिए राज्य सरकार ने उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड का गठन किया. बोर्ड में प्रदेश के मुख्यमंत्री को बोर्ड का अध्यक्ष, धर्मस्व मंत्री को बोर्ड का उपाध्यक्ष और सम्बंधित क्षेत्रों के सांसद, विधायक और प्रमुख दानकर्ता को बोर्ड में सदस्य के रूप में शामिल किया गया है.
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बोर्ड गठन को लेकर कब-कब, क्या हुआ
चारधाम समेत प्रदेश के 51 मंदिरों को एक बोर्ड के अधीन लाने को लेकर साल 2019 में प्रस्ताव तैयार किया गया था. जिसके बाद 27 नवंबर 2019 को सचिवालय में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में जम्मू-कश्मीर में बने श्राइन एक्ट के तर्ज पर उत्तराखंड चारधाम बोर्ड विधेयक- 2019 को मंजूरी दी गयी. फिर इस विधेयक को 5 दिसंबर 2019 में हुए सत्र के दौरान सदन के भीतर पारित कर दिया गया. इसके बाद 14 जनवरी 2020 को देवस्थानम विधेयक को राजभवन से मंजूरी मिलने के बाद एक्ट के रूप में प्रभावी हो गया. 24 फरवरी 2020 को चारधाम देवस्थानम बोर्ड का सीईओ नियुक्त किया गया था.
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उत्तराखंड देवस्थानम प्रबंधन संशोधन अधिनियम, 2020 के तहत भारत सरकार के संस्कृति और पर्यटन विभाग के एक-एक संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी को बतौर विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में नामित के जाने के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री ने मंजूरी दे दी है. अब जल्द ही संस्कृति एवं धर्मस्व विभाग, भारत सरकार से इसके लिए अनुरोध करेगा. ताकि भारत सरकार अधिकारियों की जानकारी के साथ ही अधिकारियों को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में बोर्ड में शामिल करने की अनुमति दें.