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UPCL और UJVNL के दो पूर्व प्रबंध निदेशकों की बढ़ेंगी मुश्किलें, ये है मामला - Dehradun Latest News

यूपीसीएल के पूर्व एमडी बीसीके मिश्रा और यूजेवीएनएल के पूर्व एमडी एसएन वर्मा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. इन पर तीन जल विद्युत परियोजनाओं के मेंटेनेंस में अनियमितताओं का आरोप है. इसकी जांच रिपोर्ट अब ऊर्जा सचिव राधिका झा को सौंप दी गई है.

Maintenance of hydropower projects
उत्तराखंड जल विद्युत निगम
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Published : Nov 24, 2020, 5:05 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड जल विद्युत निगम की तीन जल विद्युत परियोजनाओं के मेंटेनेंस में खर्च किए गए करोड़ों रुपए को लेकर यूपीसीएल के पूर्व एमडी बीसीके मिश्रा और यूजेवीएनएल के पूर्व एमडी एसएन वर्मा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. दरअसल, मुख्यमंत्री के आदेश पर बीते अगस्त माह में इस पूरे मामले की जांच अपर सचिव आशीष श्रीवास्तव को सौंप दी गई थी. जिसके बाद सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार फिलहाल जांच रिपोर्ट ऊर्जा सचिव राधिका झा को सौंप दी गई है. अब जल्द ही इस रिपोर्ट को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के समक्ष रखा जाएगा.

बता दें, साल 2016 से 2019 के बीच प्रदेश की विभिन्न जल विद्युत परियोजनाएं जैसे छिबरो, डाकपत्थर और खोदरी में लगभग 95.86 करोड़ की लागत से मेंटेनेंस कार्य किया गया था. लेकिन इन तीनों ही जल विद्युत परियोजनाओं में किए गए मेंटेनेंस में खर्च हुई करोड़ों की धनराशि का सही ब्योरा न मिल पाने की वजह से यूपीसीएल के पूर्व एमडी बीसीके मिश्रा के साथ ही यूजेवीएनएल के पूर्व एमडी एसएन वर्मा दोनों पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं.

पढ़ें- कोरोना : आठ मुख्यमंत्रियों के साथ मोदी-शाह की बैठक, हालात की हुई समीक्षा

गौरतलब है कि इस पूरे मामले पर प्रमुख सवाल यह खड़े हो रहे हैं कि इन तीनों पावर प्रोजेक्ट के मेंटेनेंस के लिए सामान्य बाजार दर से कई गुना ज्यादा महंगा सामान खरीदा गया था. इसमें बंच, केबल, स्विचयार्ड ब्रेकर और वेंटिलेशन उपकरण इत्यादि शामिल हैं.

देहरादून: उत्तराखंड जल विद्युत निगम की तीन जल विद्युत परियोजनाओं के मेंटेनेंस में खर्च किए गए करोड़ों रुपए को लेकर यूपीसीएल के पूर्व एमडी बीसीके मिश्रा और यूजेवीएनएल के पूर्व एमडी एसएन वर्मा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. दरअसल, मुख्यमंत्री के आदेश पर बीते अगस्त माह में इस पूरे मामले की जांच अपर सचिव आशीष श्रीवास्तव को सौंप दी गई थी. जिसके बाद सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार फिलहाल जांच रिपोर्ट ऊर्जा सचिव राधिका झा को सौंप दी गई है. अब जल्द ही इस रिपोर्ट को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के समक्ष रखा जाएगा.

बता दें, साल 2016 से 2019 के बीच प्रदेश की विभिन्न जल विद्युत परियोजनाएं जैसे छिबरो, डाकपत्थर और खोदरी में लगभग 95.86 करोड़ की लागत से मेंटेनेंस कार्य किया गया था. लेकिन इन तीनों ही जल विद्युत परियोजनाओं में किए गए मेंटेनेंस में खर्च हुई करोड़ों की धनराशि का सही ब्योरा न मिल पाने की वजह से यूपीसीएल के पूर्व एमडी बीसीके मिश्रा के साथ ही यूजेवीएनएल के पूर्व एमडी एसएन वर्मा दोनों पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं.

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गौरतलब है कि इस पूरे मामले पर प्रमुख सवाल यह खड़े हो रहे हैं कि इन तीनों पावर प्रोजेक्ट के मेंटेनेंस के लिए सामान्य बाजार दर से कई गुना ज्यादा महंगा सामान खरीदा गया था. इसमें बंच, केबल, स्विचयार्ड ब्रेकर और वेंटिलेशन उपकरण इत्यादि शामिल हैं.

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