देहरादून: विधानसभा शीतकालीन सत्र के दौरान सदन के अंदर और बाहर श्राइन बोर्ड लाने को लेकर हंगामा जारी है. चारधामों के तीर्थ पुरोहित, श्राइन बोर्ड अधिनियम को कैबिनेट में पास होने के बाद से ही श्राइन बोर्ड एक्ट का विरोध कर रहे हैं. लेकिन अब यह स्पष्ट हो गया है कि राज्य सरकार पर किसी भी तरह के दबाव का असर नहीं होगा. त्रिवेंद्र सरकार चारधाम समेत प्रदेश के 51 मंदिरों को एक अधिनियम के अंतर्गत लाने के लिए अपना कदम बढ़ा चुकी है.
ऐसा हम नहीं कह रहे हैं. विधानसभा की शीतकाल सत्र के दूसरे दिन पेश हुए अनुपूरक बजट में श्राइन बोर्ड को सहायता के लिए 10 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. ऐसे में स्पष्ट हो गया है कि श्राइन बोर्ड को लेकर सदन और सदन के बाहर चल रहे घमासान का मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर कोई असर नहीं पड़ने वाला. उन्होंने वही किया जो वो मन बना चुके थे.
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गौरतलब है कि चारधाम यात्रा की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने और चारधाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा देने के लिए सरकार कदम उठा चुकी है. चारधाम की सारी व्यवस्थाओं की कमान सरकार के हाथों में दिए जाने को लेकर बुधवार को सचिवालय में मंत्रिमंडल बैठक हुई थी. जिसमें जम्मू-कश्मीर में बने श्राइन बोर्ड एक्ट के तर्ज पर उत्तराखंड चारधाम बोर्ड विधेयक- 2019 को मंजूरी मिल गयी. इस बोर्ड के अध्यक्ष प्रदेश के मुख्यमंत्री होंगे. शासन के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को बोर्ड का सीईओ बनाया जाएगा. प्रदेश का मुख्यमंत्री मुस्लिम होने पर वरिष्ठ हिंदू कैबिनेट मंत्री को बोर्ड का अध्यक्ष चुना जाएगा.