ऋषिकेश: उत्तराखंड की आर्थिकी रीढ़ मानी जाने वाली विश्वप्रसिद्ध चारधाम यात्रा को लेकर परिवहन व्यवसायियों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है. कोरोना महामारी की वजह से अधिकतर होटल, धर्मशालाओं को क्वारन्टीन सेंटर बनाया गया है. अब ऐसे में यात्री कहां रुकेंगे यह बड़ा सवाल है. ऐसे में चार धाम यात्रा शुरू होगी तो भी सुविधाओं को देखते हुए श्रद्धालु यहां आने से परहेज करेंगे. जिसका सीधा असर परिवहन व्यवसाय से जुड़े लोगों पर पड़ेगा.
गौरतलब है कि सरकार ने चार धाम यात्रा शुरू करने की कवायद शुरू कर है. यात्रा को लेकर उच्च अधिकारियों ने रणनीति बनानी भी शुरू कर दी है. साथ ही कुछ गाइडलाइन भी जारी की जा रही है, लेकिन चार धाम यात्रा को शुरू करने को लेकर यात्रा किस तरह से संचालित होगी. इसको लेकर परिवहन व्यवसायियों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है.
दरअसल, कोरोना महामारी की वजह से पहाड़ी क्षेत्रों के लगभग सभी होटल और धर्मशालाओं को प्रशासन द्वारा क्वारन्टीन सेंटर बनाया गया है. अब अगर ऐसे में चार धाम यात्रा करने यात्री आते भी हैं तो उनके ठहरने की व्यवस्था किस प्रकार होगी यह सबसे बड़ा सवाल है. इसके साथ साथ कई तरह की बातों को लेकर परिवहन व्यवसायी चिंतित हैं.
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संयुक्त रोटेशन चार धाम यात्रा व्यवस्था समिति के अध्यक्ष मनोज ध्यानी ने कहा कि यात्रा को लेकर मुख्य सचिव का बयान सुना है. जिसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश के कुछ शहरों से चारधाम यात्रा पर आने वाले यात्रियों को 7 दिनों तक क्वारन्टीन करने को कहा है, जबकि सबसे अधिक यात्रा ही इन्हीं शहरों से आते हैं. अब अगर उनको यहां 7 दिनों तक क्वारन्टीन रहना होगा तो वे यात्रा करने क्यों आएंगे और अगर आते भी हैं तो उनके ठहरने की व्यवस्था कैसे होगी?
उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले से ही होटल, धर्मशाला, आश्रम, स्कूल और कॉलेजों को क्वारन्टीन सेंटर बनाया हुआ है. अब ऐसे में सरकार को परिवहन व्यवसायियों और यात्रा से जुड़े लोगों के साथ बैठककर प्लानिंग करने के बाद ही यात्रा को शुरू करना चाहिए.