देहरादून: उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था में पर्यटन बड़ी भूमिका निभा सकता है. प्रदेश में पर्यटन गतिविधिया बढ़ने से न सिर्फ रोजगार के अवसर खुलेंगे, बल्कि पालयन भी रुकेगा. यही कारण है कि राज्य सरकार का पर्यटन पर विशेष फोकस है और अब सरकार ट्राइबल टूरिज्म को बढ़ावा देने पर विचार कर रही है. इसी को लेकर उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने केंद्रीय पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल से मुलाकात की.
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि उनकी कई मुद्दों पर केंद्रीय पर्यटन मंत्री पटेल से दिल्ली में बात हुई है. जिसमें एक एक मुद्दा आईएचएम (INSTITUTE OF HOTEL MANAGEMENT) देहरादून को सेंट्रलाइज करने का था. पर्यटन मंत्री महाराज के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री पटेल ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वे आईएचएम देहरादून को सेंट्रलाइज करेंगे. आईएचएम देहरादून को सेंट्रलाइज करने का प्रस्ताव तैयार किया जा चुका है. जिस पर जल्द ही केंद्र सरकार मुहर लगा देगी.
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इसके साथ ही पर्यटन मंत्री महाराज ने प्रसाद योजना, स्वदेश योजना और महाभारत सर्किट के साथ ट्राइबल टूरिज्म को लेकर भी केंद्रीय मंत्री पटेल से बातचीत की है. जिस पर उन्होंने भरोसा दिया है कि केंद्र सरकार उत्तराखंड में ट्राइबल टूरिज्म को बढ़ावा देने पर भी विचार करेंगी.
पर्यटन मंत्री महाराज ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के अमरनाथ की तरह उत्तराखंड की नीति घाटी में एक टिबरसैंण महादेव मंदिर है, जहां स्वयंभू लिंग बनता है. यहां पर यात्रा की अनुमति दी जाए. ताकि उत्तराखंड के सीमांत गांव का विकास हो सके.
टिबरसैंण महादेव की यात्रा से ट्राइबल टूरिज्म के भी रास्ते खुलेंगे. बाहर से आने वाले पर्यटक वहां की संस्कृति और खान-पान को जानने को मौका मिलेगा. सीमांत गांव के लोग किस तरह से तिब्बत से व्यापार करते हुए उसके इतिहास से रुबरू होंगे.
ट्राइबल एरिया में रहने वाले लोगों की अपनी अलग ही दुनिया है. इनकी समृद्ध परंपराएं और रीति-रिवाज ओरों से काफी अलग है. ऐसे में विदेशी पर्यटक बड़ी संख्या में इन ट्राइबल इलाकों का रुख करते हैं. लेकिन उत्तराखंड में अभीतक ऐसी व्यवस्था नहीं बन पाई है. लिहाजा, ट्राइबल एरिया को पर्यटन के मानचित्र में उभारने के लिए अब राज्य सरकार फोकस कर रही है. उत्तराखंड के दून-चकराता, उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ में सबसे ज्यादा ट्राइबल एरिया है.