देहरादून: योग गुरु बाबा रामदेव आजकल अपने बयानों, सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो के कारण लगातार चर्चाओं में हैं. ये पहला मौका नहीं है जब बाबा रामदेव चैनल्स, समाचार पत्रों की सुर्खियां बन रहे हैं. इससे पहले भी कई दफा बाबा रामदेव बयानों और अपने बेबाक बोलने के कारण विवादों में आ चुके हैं. बाबा रामदेव के बयानों और विवादों का हमेशा से ही चोली दामन का साथ रहा है. जिसके कारण बाबा हमेशा से ही लाइमलाइट में रहते हैं. आज हम आपको बाबा रामदेव के टॉप 10 विवादों से रू-ब-रू करवाते हैं.
हरियाणा के महेंद्रगढ़ से हैं बाबा रामदेव
बाबा रामदेव का जन्म हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के सैद अलीपुर गांव में हुआ. उनके पिता का नाम रामनिवास और माता का नाम गुलाब देवी है. रामदेव जब छोटे थे तो उनके गांव में एक योगी आए, उनके सानिध्य में रहकर रामदेव का मन योग में लगने लगा. उनका रुझान वैदिक शिक्षा की तरफ बढ़ाने लगा. इसके बाद गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण करने के लिए रामदेव, अपने घर से भाग गए. मगर किसी भी गुरुकुल में रामदेव को प्रवेश नहीं मिला. इसके बाद वे हरियाणा के खानपुर गुरुकुल पहुंचे. जहां गुरुकुल शिक्षा पद्धति से ही उन्होंने शिक्षा ग्रहण की. जब रामदेव के पिता को इसकी जानकारी मिली तो उनके पिता उन्हें लेने पहुंच गये, मगर तब बाबा रामदेव ने घर जाने से इंकार कर दिया.
आचार्य बालकृष्ण से मुलाकात के बाद रामदेव ने शुरू की चैरिटेबल ट्रस्ट
साल 1990 में बाबा रामदेव की मुलाकात आचार्य बालकृष्ण से हुई. यहां दोनों की दोस्ती हुई. गुरुकुल से शिक्षा ग्रहण करने के बाद बाबा और आचार्य बालकृष्ण ने हिमालय में योग एवं आयुर्वेद पर ज्ञान अर्जित किया. फिर हरिद्वार के कृपालु आश्रम में 10 नवंबर 1994 में बाबा रामदेव व आचार्य बालकृष्ण ने चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की. जहां, दोनों लोग मिलकर योग कैंप लगाने लगे. साथ ही आयुर्वेदिक पद्धति से लोगों की मुफ्त चिकित्सा भी करने लगे. इसके बाद साल 2006 में पतंजलि आयुर्वेद की हरिद्वार में स्थापना की गई. जिसका सालाना टर्नओवर हजारों करोड़ रुपए का है.
पढ़ें- बाबा रामदेव की मुश्किलें बढ़ीं, IMA ने पुलिस में दर्ज कराई शिकायत
विवादों ने बाबा रामदेव को ऊंची उड़ान भरने में की मदद
जो शख्स नब्बे के दशक तक एक पुरानी साइकिल पर सवारी करता रहा हो, उसके लिए यह निश्चित ही एक ऊंची उड़ान है. क्योंकि 90 के दशक में बाबा रामदेव घर पर च्यवनप्राश बनाकर प्लास्टिक के कंटेनर को ले जाने के लिए साइकिल का इस्तेमाल करते थे. यही नहीं, बाबा च्यवनप्राश को किराये के एल्युमिनियम के बर्तन में तैयार किया करते थे. जिसके बाद साइकिल पर च्यवनप्राश ले जाकर इसे घर-घर जाकर बेचते थे. साथ ही वे योग भी सिखाते थे. इसके बाद बाबा रामदेव ने साल 1999 में लाल रंग की एक पुरानी मारुति वैन खरीदी थी. इसके दो साल बाद ही बाबा ने पुरानी मारुति जिप्सी खरीदी. यही नहीं, जो व्यक्ति कभी हरिद्वार के कृपालु बाग की गरीब बस्ती में रहता था. वह वर्तमान समय मे छह एकड़ में बनी भव्य हवेली शिव कुटी में रहता है. जिसकी कीमत करीब 30 करोड़ रुपए से अधिक बताई जा रही है.
ये हैं बाबा रामदेव के टॉप 10 विवाद
दवाइयों में जानवरों और इंसानी हड्डी का चूरा मिलाने का लगा आरोप
साल 2006 में कम्युनिस्ट पार्टी की नेता वृंदा करात ने आरोप लगाया कि बाबा रामदेव की फॉर्मेसी में बनने वाली दवाइयों में जानवरों और इंसानी हड्डियों का चूरा मिलाया जाता है. जिसके बाद इस मामले को लेकर काफी विवाद हुआ. यही नहीं, बाबा रामदेव और वृंदा करात के बीच लंबे समय तक आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जारी रहा. यही नहीं, रामदेव कई बार कह चुके हैं कि 'समलैंगिकता एक रोग है और आयुर्वेद में इसका इलाज है', जिस पर भी कई बार विवाद खड़े हो चुके हैं. यही नहीं, रामदेव के बयान के बाद अमूमन हर बार हंगामा होता रहा है.
रामदेव के गुरु का रहस्यमय तरीके से गायब होना
बाबा रामदेव के गुरु और दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट के मालिक स्वामी शंकरदेव 14 जुलाई 2007 में हरिद्वार के कनखल आश्रम से रहस्यमय तरीके से गायब हो गए थे. जिसके बाद 16 जुलाई को दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट की ओर से पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई गई थी. लेकिन कई सालों तक चली जांच बेनतीजा रही. फिर अप्रैल 2012 को फाइल आखिर बंद कर दी गई. जिसके बाद से आज तक उनका कोई पता नहीं चल सका है. हालांकि उस दौरान चर्चाएं थी कि खुद बाबा रामदेव ने अपने गुरु स्वामी शंकरदेव को कहीं गायब कर दिया है, ताकि दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट के वे सर्वेसर्वा बन सकें. उनकी गुमशुदगी का पता ना चलने के बाद वर्तमान समय में दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट के सर्वे सर्वा बाबा रामदेव ही हैं.
पढ़ें- रामदेव के ठेंगे पर कोरोना कर्फ्यू के नियम, रोज जुटा रहे हजारों की भीड़, प्रशासन बेखबर
साल 2008 में भी डॉक्टरों पर टिप्पणी कर चुके हैं रामदेव
वर्तमान समय में आयुर्वेद और एलोपैथी को लेकर चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. मगर यह कोई पहला मामला नहीं है, बल्कि इससे पहले भी बाबा रामदेव डॉक्टरों पर टिप्पणी कर विवादों में घिर चुके हैं. साल 2008 में रामदेव ने आधुनिक चिकित्सा का अभ्यास करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ टिप्पणी की थी. जिसकी काफी आलोचना हुई थी. उस दौरान आईएमए ने बाबा रामदेव पर आरोप लगाया था कि रामदेव ने एक योग शिविर के दौरान कहा था कि डॉक्टर बीमारियों के प्रचारक हैं. डॉक्टर मरीजों की बीमारियों को भुना रहे हैं.
कालेधन को लेकर दिल्ली में धरना, विवादों में घिरे
बाबा रामदेव और विवादों का गहरा रिश्ता है. बाबा रामदेव ने साल 2011 में जब कालेधन को लेकर देश में धरना प्रदर्शन शुरू किया था तब से आए दिन नए-नए विवाद बाबा रामदेव के साथ जुड़ते जा रहे हैं. दिल्ली के रामलीला मैदान में 4 जून 2011 को हजारों समर्थकों की भीड़ को संबोधित करते हुए योग गुरु ने गर्जना की थी. उस दौरान बाबा रामदेव ने यह भी कहा था कि 'अगर आप मेरे नाम से एक इंच भी जमीन या एक भी पैसा बैंक खाते में दिखा दें तो आप जो भी कहेंगे, मैं करने के लिए तैयार हूं' लेकिन इस मामले के कुछ दिनों बाद ही जब बाबा रामदेव ने करीब ढाई लाख रुपए प्रति घंटा के किराए पर चार्टर विमान से दिल्ली में उतरे तो यह चर्चाओं का विषय बन गया. उस दौरान लोग बाबा रामदेव को लेकर तरह-तरह के बात करने लगे, जिसे विवाद के रूप में देखा जाने लगा.
पढ़ें- एलोपैथी के बाद रामदेव के डॉक्टरों पर विवादित बयान पर भड़का IMA, गिरफ्तारी की मांग
बालकृष्ण के फर्जी पासपोर्ट ने बाबा की कराई थी फजीहत
बाबा रामदेव के खास सहयोगी बालकृष्ण फर्जी पासपोर्ट और डिग्रियों के मामले में बाबा रामदेव की काफी फजीहत हुई. फर्जी पासपोर्ट के मामले में कोर्ट ने 12 जुलाई 2012 को आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया था. फिर उसी दिन सीबीआई ने आचार्य बालकृष्ण को हरिद्वार से गिरफ्तार कर लिया. इस मामले के बाद बाबा रामदेव को लेकर भी तमाम तरह के सवाल खड़े होने लगे. इसके साथ ही देशभर में बाबा रामदेव की विश्वसनीयता भी काफी घटी थी.
गांधी परिवार पर की गई टिप्पणी से विवादों में आए थे रामदेव
ये सभी जानते हैं कि बाबा रामदेव, हमेशा से ही भाजपा के समर्थन में रहे हैं. साल 2013 में बाबा रामदेव ने एक रैली के दौरान अपने भाषण में एक बड़ा बयान दे दिया था. उस दौरान बाबा रामदेव ने कहा था कि 'टोपी पहनने वाले भारत माता की जय नहीं बोलेंगे' जिसके बाद देश भर में बाबा रामदेव के खिलाफ न सिर्फ प्रदर्शन किए गए, बल्कि लोगों ने उनकी जमकर आलोचना की. इसके साथ ही बाबा रामदेव ने राहुल गांधी और सोनिया गांधी पर व्यक्तिगत और आपत्तिजनक टिप्पणियां भी की थी. जिसके चलते कांग्रेस शासित राज्यों में बाबा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई. साथ ही कांग्रेस पार्टी के लोगों ने बाबा के खिलाफ जमकर प्रदर्शन भी किया था.
पढ़ें- 'रामदेव पर हो देशद्रोह के तहत कार्रवाई', IMA ने PM मोदी को लिखी चिट्ठी
विजय बहुगुणा ने एक दिन में बाबा पर दर्ज कराए थे 81 मुकदमे
साल 2013 में उत्तराखंड के तत्कालिक मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने बाबा रामदेव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. सरकार ने उनकी सारी पुरानी फाइलें झाड़-पोंछकर निकाल ली थी. साथ ही नवंबर 2013 में एक झटके में उनकी संस्थाओं पर 81 मुकदमे दर्ज कर दिए थे. यही नहीं, एक माह के भीतर बाबा रामदेव पर 99 मुकदमे दर्ज किए गए. सरकार ने रामदेव के पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट पर हरिद्वार में बेनामी संपत्ति, सरकारी जमीन पर कब्जा और सरकारी भूमि के दुरुपयोग के मामलों में ये मुकदमे दर्ज किए. इनमें दस करोड़ से अधिक की स्टांप ड्यूटी चोरी के 52 मामले शामिल हैं. इनके साथ ही ग्राम सभा की भूमि कब्जाने के दो मामलों में भी मुकदमा दर्ज किया गया था. जिसके बाद देश दुनिया में बाबा रामदेव की काफी फजीहत हुई. तमाम तरह के सवाल उठने लगे.
'दिव्य पुत्रजीवक बीज' को लेकर विवादों में घिरे थे बाबा
साल 2015 में राज्यसभा की कार्रवाई के दौरान विपक्षी दलों ने संसद भवन में बाबा रामदेव की फॉर्मेसी में बनाई गई 'दिव्य पुत्रजीवक बीज' को लेकर हंगामा शुरू कर दिया था. यही नहीं, कुछ सांसदों ने 'पुत्रजीवक बीज' के पैकेट संसद दिखाते हुए कहा कि ऐसी चीजों को बेचना अवैध और असंवैधानिक है. योगगुरू रामदेव की दिव्य फॉर्मेसी के इस उत्पाद पर प्रतिबंध लगाए जाने तथा उत्पादकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. जिसके बाद 'दिव्य पुत्रजैविक बीज' को लेकर काफी विवाद हुआ था.
पढ़ें- फिर बोले 'आदर्श बाबा'- किसी के बाप में दम नहीं जो रामदेव को गिरफ्तार कर सके
नेपाल सरकार ने दिव्य फॉर्मेसी के उत्पादकों कर दिया था बैन
समय-समय पर योगगुरु रामदेव की कंपनी पतंजलि के कई उत्पादों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े होते रहे हैं. इसी क्रम में साल 2017 में रामदेव की दिव्य फॉर्मेसी को लेकर दुनिया भर में गंभीर सवाल उठे थे. उस दौरान दिव्य फॉर्मेसी के कई उत्पाद गुणवत्ता परीक्षण पास नहीं कर सके थे. मामला यहीं नहीं रुका, बल्कि उस दौरान नेपाल सरकार ने नेपाल में बाबा रामदेव की दिव्य फॉर्मेसी के उत्पादों की बिक्री पर रोक भी लगा दी थी. उस दौरान नेपाल सरकार ने इस बात पर जोर दिया था कि यह 7 उत्पाद इंसानी स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं हैं.
बाबा पर लिखी किताब जो भारत में नहीं हुई लॉन्च
साल 2017 में मुंबई की पत्रकार प्रियंका पाठक नारायण ने बाबा रामदेव पर एक किताब लिखी. जिसका नाम 'गॉडमैन टू टाइकून: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ बाबा रामदेव' था. इस किताब में बाबा रामदेव के जन्म से लेकर शिखर छूने तक की सभी जानकारियां सम्मलित की गई थी. लेकिन, अगस्त 2017 में दिल्ली की एक अदालत ने बाबा रामदेव पर लिखी गई किताब 'गॉडमैन टू टाइकून: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ बाबा रामदेव' पर अंतरिम रोक लगा दी. जिसके बाद बाबा रामदेव को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं शुरू हो गई थी, कि आखिर उन पर लिखी गई किताब को उन्होंने क्यों पब्लिक नहीं होने दिया.
अब एलोपैथी के इलाज पर टिप्पणी करने के बाद एक बाद फिर से योग गुरु बाबा रामदेव विवादों में हैं. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के महासचिव डॉ. जयेश लेले ने रामदेव के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है. उनके खिलाफ कई तरह के मामले दर्ज किये जा रहे हैं. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने तो योग गुरु रामदेव के खिलाफ महामारी रोग अधिनियम-1897, आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 के तहत पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई है. वहीं, उत्तराखंड इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने मामले में पीएम मोदी को पत्र लिखकर बाबा रामदेव के खिलाफ देशद्रोह का मामला चलाने की मांग की है. कुल मिलाकर इस बार भी बाबा रामदेव बयानों से बवाल मचा रहे हैं.