देहरादून: संसद का बजट सत्र जारी है. गुरुवार को टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर अपनी बात रखी. इस दौरान उन्होंने हरिद्वार धर्म संसद हेट स्पीच मामले में बीजेपी सरकार को जमकर घेरा. साथ ही कई और मुद्दों पर भी उन्होंने बीजेपी से सवाल भी किए.
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने नेता सुभाष चंद्र बोस का जिक्र करते हुए कहा कि क्या हरिद्वार धर्म संसद में दिए गए बयानों को मंजूरी देते? महुआ मोइत्रा ने कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण कई मौकों पर नेताजी को संदर्भित करता है. मैं इस गणतंत्र को याद दिलाऊंगा कि यह वहीं नेताजी हैं, जिन्होंने कहा था कि भारत सरकार को सभी धर्मों के प्रति बिल्कुल तटस्थ और निष्पक्ष रवैया रखना चाहिए.
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उन्होंने पूछा, क्या नेताजी सुभाष चंद्र बोस हरिद्वार धर्म संसद में मुस्लिमों के संहार पर दिए गए बयानों को मंजूरी देते? मोइत्रा ने 1938 में कोमिला (अब बांग्लादेश) में सुभाष चंद्र बोस के एक भाषण का हवाला देते हुए कहा कि सांप्रदायिकता ने सिर फिर से उठा दिया है.
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने आगे कहा कि नेताजी की इंडियन नेशनल आर्मी (आईएनए) का प्रतीक चिन्ह टीपू सुल्तान का वसंत बाघ था. वही टीपू सुल्तान जिसे इस सरकार ने पाठ्य पुस्तकों से मिटा दिया है. उन्होंने आगे कहा कि आईएनए के आदर्श वाक्य तीन उर्दू शब्द थे- एतिहाद, एत्माद और कुर्बानी (एकता, विश्वास और बलिदान). यह वही उर्दू भाषा है. जिसे जम्मू-कश्मीर की पहली और आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी के साथ बदलने के लिए यह सरकार बहुत खुश है.
महुआ मोइत्रा ने कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण आज संघ की स्थिति का आकलन है और वह इस आकलन से पूरी तरह असहमत हैं. महुआ मोइत्रा ने कहा कि मैं आज यहां सबसे महत्वपूर्ण सवाल पूछने के लिए खड़ी हूं. जो हम सभी के सामने है, हम कैसा गणतंत्र चाहते हैं, आज हम कैसा भारत चाहते हैं?. हमारा एक जीवित संविधान है, यह तब तक सांस लेता है. जब तक हम इसमें प्राण फूंकने को तैयार हैं. अन्यथा, यह सिर्फ कागज का काला और सफेद टुकड़ा है, जिसे किसी भी बहुसंख्यक सरकार द्वारा धुंधला किया जा सकता है.
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टीएमसी सांसद ने कहा कि जैसे ही चुनाव नजदीक होते हैं, आप पगड़ी पहन लेते हैं और गठबंधन की पेशकश करते हैं, लेकिन इस बार लोग नहीं भूलेंगे. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने लोगों की जासूसी के लिए विदेशी सॉफ्टवेयर खरीदा और करदाताओं का पैसा पानी की तरह बहाया. देश के हालात बहुत ही चिंताजनक हैं, जहां मुसलमानों को आज भी किराए पर घर नहीं दिया जाता, उनको कोरोना का सुपर स्प्रेडर बताया जाता है. इसके अलावा उनका आर्थिक रूप से बहिष्कार हो रहा है. यूपी चुनाव में तो 80 प्रतिशत बनाम 20 प्रतिशत का नारा दिया गया है. ये हमारे गणतंत्र को बर्बाद कर देगा.
जानें पूरा मामला: बता दें कि हरिद्वार में 17 से 19 दिसंबर के बीच धर्म संसद का आयोजन किया गया था, जिसमें एक विशेष समुदाय के खिलाफ कुछ आपत्तिजनक बयान दिए गए थे. ये बयान सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुए थे. हरिद्वार धर्म संसद हेट स्पीच का वीडियो वायरल होने के बाद पूर्व सेना प्रमुखों, कार्यकर्ताओं और बहुत से अन्य लोगों ने विवादित भाषण की तीखे शब्दों में निंदा करते हुए कार्रवाई की मांग की थी.
तृणमूल कांग्रेस नेता और आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले ने इस मामले में आयोजकों आौर वक्ताओं के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी. जिसके बाद इन वायरल वीडियो के आधार व गुलबहार खान की तहरीर पर पुलिस ने शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी सहित कई साधु-संतों के खिलाफ 23 दिसंबर को हरिद्वार शहर कोतवाली में मामला दर्ज कराया था. मामले में पुलिस ने कुछ गिरफ्तारियां भी कीं.