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MP में बढ़ा बाघों की मौत का आंकड़ा, खतरें में 'टाइगर स्टेट' का दर्जा

अभी कुछ महीने पहले ही मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिला था. 526 बाघों के साथ पीएम मोदी ने मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट के खिताब से नवाजा था. लेकिन अब यही दर्जा खतरें में पड़ता नजर आ रहा है. क्योंकि टाइगर स्टेट में बाघों की मौत के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे. प्रदेश के बाघ संरक्षित क्षेत्रों और उसके बाहर के जंगलों में लगातार बाघों की मौत हो रही है.

टाइगर
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Published : Nov 21, 2019, 8:39 AM IST

भोपालः मध्य प्रदेश को भले ही देश में सबसे ज्यादा बाघ होने के लिए टाइगर स्टेट का दर्जा मिल गया हो. लेकिन टाइगर स्टेट में बाघों की मौत का सिलसिला रुकने का नाम नहीं रुक रहा है. प्रदेश के बाघ संरक्षित क्षेत्रों और उसके बाहर के जंगलों में बाघों की लगातार मौत हो रही है. पिछले करीब 11 महीने के दौरान 26 बाघों की मौत हो चुकी है.

खतरें में 'टाइगर स्टेट' का दर्जा

देशभर में सबसे ज्यादा 526 बाघ मध्य प्रदेश में हैं. सरकार इसको लेकर उत्साहित है जिसके जरिए पर्यटकों को लुभाने की कोशिश में जुटी है. लेकिन बाघों की लगातार हो रही मौतें चिंता का विषय बनी हुई है. पिछले सात सालों में प्रदेश में 141 बाघों की मौत हुई है और यह सिलसिला इस साल भी जारी है. नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की रिपोर्ट के मुताबिक 2012 से 2018 के बीच मध्यप्रदेश में 141 बाघों की मौत हुई, जबकि देशभर में यह आंकड़ा 655 हैं.

प्रदेश में 141 बाघों की मौत में से 80 बाघों की मौत प्राकृतिक कारणों की वजह से हुई है, जबकि 31 का शिकार किया गया. जबकि 30 बाघों की मौत आपसी लड़ाई और जहर खुरानी जैसे ही घटनाओं की वजह से हुई. इस साल 15 नवंबर तक नेशनल टाइगर रिजर्व के भीतर और आसपास 26 बाघों की विभिन्न कारणों से मौत हो चुकी है.

सबसे ज्यादा कान्हा टाइगर रिजर्व में बाघों की मौत
पिछले 11 महीनों के दौरान बाघों की सबसे ज्यादा मौत कान्हा टाइगर रिजर्व में हुई है. यहां 8 बाघ मारे गए. वही बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 6. पेंच टाइगर रिजर्व में तीन और संजय दुबरी टाइगर रिजर्व और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में 1-1 बाघ की मौत हुई है. मध्य प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में नो टाइगर की मौत हुई है. सीमित क्षेत्र की वजह से बाघों के बीच टेरिटोरियल संघर्ष की घटनाएं ज्यादा हो रही हैं. 2018 में 24 बाघों की मौत हुई थी जबकि 2017 में 28 बाघ मारे गए थे.

बढ़ती आबादी और सिकुड़तें जंगल भी बाघों की मौतों का बड़ा कारण है. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा बढ़ी मुश्किल से मिला था. लेकिन जिस स्पीड से बाघों की मौत हो रही है. उससे टाइगर स्टेट का तमगा एमपी से छिन सकता है. ऐसे में जरुरत है बाघों के सरक्षण की. ताकि मध्य प्रदेश के जगलों में बाघ आबाद रहे और मध्य प्रदेश के पास टाइगर स्टेट का दर्जा बरकरार रहे.

भोपालः मध्य प्रदेश को भले ही देश में सबसे ज्यादा बाघ होने के लिए टाइगर स्टेट का दर्जा मिल गया हो. लेकिन टाइगर स्टेट में बाघों की मौत का सिलसिला रुकने का नाम नहीं रुक रहा है. प्रदेश के बाघ संरक्षित क्षेत्रों और उसके बाहर के जंगलों में बाघों की लगातार मौत हो रही है. पिछले करीब 11 महीने के दौरान 26 बाघों की मौत हो चुकी है.

खतरें में 'टाइगर स्टेट' का दर्जा

देशभर में सबसे ज्यादा 526 बाघ मध्य प्रदेश में हैं. सरकार इसको लेकर उत्साहित है जिसके जरिए पर्यटकों को लुभाने की कोशिश में जुटी है. लेकिन बाघों की लगातार हो रही मौतें चिंता का विषय बनी हुई है. पिछले सात सालों में प्रदेश में 141 बाघों की मौत हुई है और यह सिलसिला इस साल भी जारी है. नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की रिपोर्ट के मुताबिक 2012 से 2018 के बीच मध्यप्रदेश में 141 बाघों की मौत हुई, जबकि देशभर में यह आंकड़ा 655 हैं.

प्रदेश में 141 बाघों की मौत में से 80 बाघों की मौत प्राकृतिक कारणों की वजह से हुई है, जबकि 31 का शिकार किया गया. जबकि 30 बाघों की मौत आपसी लड़ाई और जहर खुरानी जैसे ही घटनाओं की वजह से हुई. इस साल 15 नवंबर तक नेशनल टाइगर रिजर्व के भीतर और आसपास 26 बाघों की विभिन्न कारणों से मौत हो चुकी है.

सबसे ज्यादा कान्हा टाइगर रिजर्व में बाघों की मौत
पिछले 11 महीनों के दौरान बाघों की सबसे ज्यादा मौत कान्हा टाइगर रिजर्व में हुई है. यहां 8 बाघ मारे गए. वही बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 6. पेंच टाइगर रिजर्व में तीन और संजय दुबरी टाइगर रिजर्व और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में 1-1 बाघ की मौत हुई है. मध्य प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में नो टाइगर की मौत हुई है. सीमित क्षेत्र की वजह से बाघों के बीच टेरिटोरियल संघर्ष की घटनाएं ज्यादा हो रही हैं. 2018 में 24 बाघों की मौत हुई थी जबकि 2017 में 28 बाघ मारे गए थे.

बढ़ती आबादी और सिकुड़तें जंगल भी बाघों की मौतों का बड़ा कारण है. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा बढ़ी मुश्किल से मिला था. लेकिन जिस स्पीड से बाघों की मौत हो रही है. उससे टाइगर स्टेट का तमगा एमपी से छिन सकता है. ऐसे में जरुरत है बाघों के सरक्षण की. ताकि मध्य प्रदेश के जगलों में बाघ आबाद रहे और मध्य प्रदेश के पास टाइगर स्टेट का दर्जा बरकरार रहे.

Intro:भोपाल। मध्य प्रदेश को भले ही देश में सबसे ज्यादा बाघ होने के लिए टाइगर स्टेट का दर्जा मिल गया हो लेकिन बाघों की मौत का सिलसिला नहीं रुक रहा है। प्रदेश के बाघ संरक्षित क्षेत्रों और उसके बाहर के जंगलों में बाघों की लगातार मौत हो रही है पिछले करीब 11 महीने के दौरान 26 बाघों की मौत हो चुकी है। इनमें सबसे ज्यादा कान्हा टाइगर रिजर्व और बांधवगढ़ में बाघों की मौतें हुई है। 2018 में दो दर्जन बाघों की मौत हुई थी।


Body:मध्यप्रदेश में देश में सबसे ज्यादा 526 बाघ है। सरकार इसको लेकर उत्साहित है और इसके जरिए पर्यटकों को लुभाने की कोशिश में जुटी है लेकिन बाघों की लगातार हो रही मौतें चिंता का विषय बनी हुई है। पिछले 7 सालों में प्रदेश में 141 बाघों की मौत हुई है और यह सिलसिला इस साल भी जारी है नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की रिपोर्ट के मुताबिक 2012 से 2018 के बीच मध्यप्रदेश में 142 टाइग्रो की मौत हुई है जबकि देशभर में यह आंकड़ा 655 टाइगर्स की मौतों का है। 142 बाघों की मौत में से 80 बाघों की मौत प्राकृतिक कारणों की वजह से हुई है, जबकि 31 का शिकार किया गया। इस साल 15 नवंबर तक नेशनल टाइगर रिजर्व के भीतर और आसपास 26 बाघों की विभिन्न कारणों से मौत हो चुकी है इनमें से आधा दर्जन बाघों की मौत शिकार की कारण हुई है वही बाघों की आपसी संघर्ष प्राकृतिक जहर खुरानी जैसे अन्य कारण भी बाघों की मौत हुई है।

सबसे ज्यादा कान्हा टाइगर रिजर्व में बाघों की मौत

पिछले 11 महीनों के दौरान बाघों की सबसे ज्यादा मौत कान्हा टाइगर रिजर्व में कोई है यहां 8 बाघ मारे गए वही बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 6 पेंच टाइगर रिजर्व में तीन और संजय दुबरी टाइगर रिजर्व सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में 1-1 बाघ की मौत हुई है। मध्य प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में नो टाइगर की मौत हुई है। सीमित क्षेत्र की वजह से बाघों के बीच टेरिटोरियल संघर्ष की घटनाएं ज्यादा हो रही हैं। 2018 में 24 बाघों की मौत हुई थी जबकि 2017 में 28 बाघ मारे गए थे।


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