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अपने इस पुराने 'दोस्त' को विदा करने जा रही उत्तराखंड पुलिस, 163 सालों तक निभाया है साथ

समय के हिसाब से थ्री नॉट थ्री राइफल अब पुलिस के लिए अच्छी साबित नहीं हो रही है. थ्री नॉट थ्री राइफल से आधुनिक हथियारों का सामना नहीं किया जा सकता है. इसी वजह से अब इस हथियार को रिटायर्ट करने की तैयारी की जा रही है. जिस पर पुलिस की एक कमेटी विचार कर रही है.

uttarakhand police
थ्री नॉट थ्री राइफल
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Published : Jan 24, 2020, 6:50 PM IST

Updated : Jan 24, 2020, 11:29 PM IST

देहरादून: ब्रिटिश हुकूमत 1857 के दौरान वर्चस्व में आकर एकदम सटीक और खतरनाक तरीके से अपने निशाने को नेस्तनाबूद कर देने वाली ऐतिहासिक थ्री नॉट थ्री राइफल बहुत जल्द उत्तराखंड पुलिस के कंधों से हमेशा के लिए रुख़सत हो जाएगी. इसकी जगह अब पुलिसकर्मियों को इंसास रायफल दी जाएगी. समय की मांग और हथियारों के आधुनिकीरण को देखते हुए उत्तराखंड पुलिस ने ये फैसला लिया है.

थ्री नॉट थ्री राइफल का रखरखाव कठिन
जानकारों की मानें तो 163 साल पुराने थ्री नॉट थ्री राइफल जैसे भारी-भरकम हथियार का अपग्रेडेशन और रखरखाव जरूरत के मुताबिक न होने से आज इसका वर्चस्व पूरी तरह मिट चुका है. थ्री नॉट थ्री राइफल भारत की आजादी के बाद से सिर्फ पुलिस फोर्स के पास ही सर्विस ड्यूटी के तौर पर मौजूद है, जिसका इस्तेमाल आधुनिक हथियारों के सामने करना दशकों पहले से ही नाकाम हो चुका है. अब उत्तराखंड पुलिस को आधुनिक बंदूकों और पिस्टल से लैस किया जाएगा.

थ्री नॉट थ्री ने 163 सालों तक निभाया है साथ.

पढ़ें- उत्तराखंड पुलिस को हाई टेक बनाने की कवायद, एक क्लिक से मिलेंगे सभी रिकॉर्ड

अंग्रेजों ने सबसे पहले किया था इस्तेमाल
जानकारों के मुताबिक, ऐसा माना जाता है कि 1880 में अंग्रेजी सेना ने थ्री नॉट थ्री का इस्तेमाल किया था. उस दौर में इस राइफल का कारनामा युद्धों के समय विश्वभर में खूब रहा.

दोनों विश्व युद्ध में निभाई थी अहम भूमिका
इस राइफल का इस्तेमाल पहले और दूसरे विश्वयुद्ध के साथ 1962 और 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी हुआ था. सेना से दशकों पहले रिटायर होने के बाद भी इस राइफल का इस्तेमाल सिर्फ पुलिस फोर्स में गार्ड ड्यूटी के लिए किया जाता रहा. 90 प्रतिशत हिस्सा लकड़ी से बना होने के कारण ये काफी भारी है और ये राइफल पुलिस के कंधों पर किसी सजा से कम नहीं है.

पढ़ें- उत्तराखंडः CBI कोर्ट ने MES के रिश्वतखोर इंजीनियरों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा जेल

पुलिस पर भारी पड़ रही है थ्री नॉट थ्री राइफल
हथियारों के जानकार मानते हैं कि आधुनिक दौर में आज सभी फोर्स में हाई टेक हथियार अपग्रेड हो चुके हैं. पुलिस को भी कई बार आतंकवादियों और माओवादियों समेत बड़े बदमाशों से लोहा लेना पड़ता है. ऐसे में पुलिस का भी हाई टेक हथियारों से लैस होना जरूरी है ताकि वो आधुनिक हथियारों का जवाब आसानी से दे सके.

पांच सदस्यीय टीम कर रही विचार
इस बारे में डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार ने बताया कि सबसे पहले शहरी क्षेत्रों में तैनात पुलिसकर्मियों के लिए यह जरूरी हो जाता है कि थ्री नॉट थ्री राइफल से उन्हें निजात दिलाई जाए और हल्के व ऑटोमैटिक छोटे हथियारों से लैस किया जाए. इस कवायद को अमलीजामा पहनाने को लेकर पांच सदस्यों की कमेटी गठित की गई है, जो इस पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रही है.

डीजी लॉ एंड ऑर्डर के मुताबिक प्रदेशभर में अभी भी थ्री नॉट थ्री राइफल गश्त ड्यूटी के लिए इस्तेमाल होती आई है, हालांकि समय दर समय थ्री नॉट थ्री राइफल के बदले इंसास व एसएलआर जैसी नए हथियारों को फोर्स में शामिल किया जा चुका है. ऐसे में फोर्स से पूरी तरह थ्री नॉट थ्री राइफल को हटाने का मामला विचारधीन है.

देहरादून: ब्रिटिश हुकूमत 1857 के दौरान वर्चस्व में आकर एकदम सटीक और खतरनाक तरीके से अपने निशाने को नेस्तनाबूद कर देने वाली ऐतिहासिक थ्री नॉट थ्री राइफल बहुत जल्द उत्तराखंड पुलिस के कंधों से हमेशा के लिए रुख़सत हो जाएगी. इसकी जगह अब पुलिसकर्मियों को इंसास रायफल दी जाएगी. समय की मांग और हथियारों के आधुनिकीरण को देखते हुए उत्तराखंड पुलिस ने ये फैसला लिया है.

थ्री नॉट थ्री राइफल का रखरखाव कठिन
जानकारों की मानें तो 163 साल पुराने थ्री नॉट थ्री राइफल जैसे भारी-भरकम हथियार का अपग्रेडेशन और रखरखाव जरूरत के मुताबिक न होने से आज इसका वर्चस्व पूरी तरह मिट चुका है. थ्री नॉट थ्री राइफल भारत की आजादी के बाद से सिर्फ पुलिस फोर्स के पास ही सर्विस ड्यूटी के तौर पर मौजूद है, जिसका इस्तेमाल आधुनिक हथियारों के सामने करना दशकों पहले से ही नाकाम हो चुका है. अब उत्तराखंड पुलिस को आधुनिक बंदूकों और पिस्टल से लैस किया जाएगा.

थ्री नॉट थ्री ने 163 सालों तक निभाया है साथ.

पढ़ें- उत्तराखंड पुलिस को हाई टेक बनाने की कवायद, एक क्लिक से मिलेंगे सभी रिकॉर्ड

अंग्रेजों ने सबसे पहले किया था इस्तेमाल
जानकारों के मुताबिक, ऐसा माना जाता है कि 1880 में अंग्रेजी सेना ने थ्री नॉट थ्री का इस्तेमाल किया था. उस दौर में इस राइफल का कारनामा युद्धों के समय विश्वभर में खूब रहा.

दोनों विश्व युद्ध में निभाई थी अहम भूमिका
इस राइफल का इस्तेमाल पहले और दूसरे विश्वयुद्ध के साथ 1962 और 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी हुआ था. सेना से दशकों पहले रिटायर होने के बाद भी इस राइफल का इस्तेमाल सिर्फ पुलिस फोर्स में गार्ड ड्यूटी के लिए किया जाता रहा. 90 प्रतिशत हिस्सा लकड़ी से बना होने के कारण ये काफी भारी है और ये राइफल पुलिस के कंधों पर किसी सजा से कम नहीं है.

पढ़ें- उत्तराखंडः CBI कोर्ट ने MES के रिश्वतखोर इंजीनियरों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा जेल

पुलिस पर भारी पड़ रही है थ्री नॉट थ्री राइफल
हथियारों के जानकार मानते हैं कि आधुनिक दौर में आज सभी फोर्स में हाई टेक हथियार अपग्रेड हो चुके हैं. पुलिस को भी कई बार आतंकवादियों और माओवादियों समेत बड़े बदमाशों से लोहा लेना पड़ता है. ऐसे में पुलिस का भी हाई टेक हथियारों से लैस होना जरूरी है ताकि वो आधुनिक हथियारों का जवाब आसानी से दे सके.

पांच सदस्यीय टीम कर रही विचार
इस बारे में डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार ने बताया कि सबसे पहले शहरी क्षेत्रों में तैनात पुलिसकर्मियों के लिए यह जरूरी हो जाता है कि थ्री नॉट थ्री राइफल से उन्हें निजात दिलाई जाए और हल्के व ऑटोमैटिक छोटे हथियारों से लैस किया जाए. इस कवायद को अमलीजामा पहनाने को लेकर पांच सदस्यों की कमेटी गठित की गई है, जो इस पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रही है.

डीजी लॉ एंड ऑर्डर के मुताबिक प्रदेशभर में अभी भी थ्री नॉट थ्री राइफल गश्त ड्यूटी के लिए इस्तेमाल होती आई है, हालांकि समय दर समय थ्री नॉट थ्री राइफल के बदले इंसास व एसएलआर जैसी नए हथियारों को फोर्स में शामिल किया जा चुका है. ऐसे में फोर्स से पूरी तरह थ्री नॉट थ्री राइफल को हटाने का मामला विचारधीन है.

Intro:pls नोट- महोदय, इस स्टोरी की डिमांड के मुताबिक वॉइस ओवर -ऑफिस से करना ही बेहतर रहेगा. इसलिए नहीं किया गया हैं।

summary-ब्रिटिश काल के इस ऐतिहासिक हथियार को उत्तराखंड पुलिस ने कहेगी अलविदा,भारी भरकम इस हथियार के रुकसत होने से पुलिस गार्ड को मिलेंगी बड़ी राहत।

स्लग:- जल्द उत्तराखंड पुलिस के कंधों से उतरेगा थ्री नॉट थ्री का बोझ

ब्रिटिश हुकूमत 1857 के दौरान वर्चस्व में आकर एकदम सटीक और खतरनाक तरीके से अपने निशाने को नेस्तनाबूद कर देने वाली ऐतिहासिक थ्री नॉट 3 राइफल बहुत जल्द उत्तराखंड पुलिस के कंधों से हमेशा के लिए रुखसत हो जाएगी.... एक तरफ बदलतें समय दर समय के मुताबिक आधुनिकता के दौर इंसास से लेकर AK 47 जैसे हाईटैक वेपन ने अपनी विश्वभर में मज़बूत जगह बना ली हैं। तो वही दूसरी तरफ़ 163 वर्ष पुराने अंग्रेजी शासनकाल में निर्मित थ्री नॉट 3 जैसे भारी-भरकम हथियार का अपग्रेशन और रखरखाव ज़रुरत के मुताबिक ना होने से आज इसका वर्चस्व पूरी तरह से मिट चुका हैं। जानकार भी मानते हैं कि थ्री नॉट थ्री राइफ़ल भारत की आज़ादी 1947 के बाद से सिर्फ़ पुलिस फोर्स के पास ही सर्विस ड्यूटी के तौर पर मौजूद हैं, जिसका इस्तेमाल आधुनिक हथियारों के सामने करना दशकों पहले से ही नाकाम हो चुका हैं। ऐसे में थ्री नॉट थ्री नॉट राइफ़ल का इस्तेमाल बंद करना सरकार का बिल्कुल भी फैसला हैं।

वही पुलिसकर्मियों के कंधों से थ्री नोट 3 जैसी राइफल को हटाने का सबसे बड़ा मकसद आधुनिक दौर में एक से बढ़कर एक हथियार के चलन को माना जा रहा है। उत्तराखंड पुलिस थ्री नॉट थ्री की जगह अब आधुनिक बंदूकों और पिस्टल से लैस किया जाएगा।


Body:3 नॉट 3 राइफल का पुलिस ड्यूटी से हटना बड़ा उपकार: जानकार

जानकारों के मुताबिक ऐसा माना जाता हैं 1880 ब्रिटिश शासन काल के दौरान अंग्रेजी सेना के पास सबसे पहले थ्री नॉट थ्री सबसे ज्यादा इस्तेमाल आयी थी। उस दौर में इस राइफ़ल का कारनामा युद्धों के समय विश्वभर में खूब रहा।
1857 में निर्मित 3 नॉट 3 राइफल का इस्तेमाल पहले विश्व युद्ध और दूसरे विश्वयुद्ध के साथ 1962 और 71 भारत पाकिस्तान युद्ध जैसे समय में भी हुआ था। लेकिन तकनीक में अन्य हथियारों से काफी पिछड़ने के बाद इसका इस्तेमाल ना के बराबर होता था. सेना से दशकों को पहले रिटायर होने के बाद ही राइफल सिर्फ पुलिस फोर्स में गार्डड्यूटी के लिए सबसे ज्यादा किया जाता था। 90% हिस्सा लकड़ी के भारी-भरकम होने की वजह से या राइफल पुलिस के कंधों में किसी सजा से कम नहीं हैं। ऐसे में जानकार मानते हैं कि अगर सरकार देशभर के पुलिस फ़ोर्स ड्यूटी से थ्री नॉट थ्री राइफल को हटाकर रिटायर्ड कर रही हैं तो, इससे बड़ा पुलिसकर्मियों के ऊपर कोई उपकार नहीं है।

आधुनिक दौर में पुलिस को अत्याधुनिक हथियार से लैस करना जरूरी: जानकार

हथियारों के जानकार मानते हैं कि आधुनिक दौर में आज सभी फोर्स में जिस हाईटेक हथियार अपग्रेड हो चुकी हैं, तो क्यों नहीं पुलिस जो कई मौकों पर आतंकवाद, नक्सलवाद, माओवाद जैसे कई अराजक तत्वों से लोहा लेती है उन्हें भी हाईटेक हथियारों से लैस किया जाए। ताकि वह आधुनिक हथियारों का जवाब अपने आधुनिकता से कर ऑपरेशन को सफलतापूर्वक कर सके।

बाईट- श्याम सुंदर, हथियार विक्रेता (जानकार)


Conclusion:पांच सदस्यों की कमेटी की रिपोर्ट तय करेगी थ्री नॉट थ्री के संबंध में: मुख्यालय

वहीं उत्तराखंड पुलिस कर्मियों के कंधों से थ्री नोट थ्री जैसे भारी भरकम हथियार के बोझ को कम करने के संबंध में राज्य में अपराध व कानून व्यवस्था संभालने वाले महानिदेशक अशोक कुमार का मानना है कि सबसे पहले शहरी क्षेत्रों में तैनात पुलिस के लिए यह जरूरी हो जाता है कि उनको इस हथियार से निजात दिलाकर हल्के व ऑटोमेटिक छोटे वेपन से लैस किया जाए। इसी क़वायद को अमलीजामा पहनाने को लेकर पांच सदस्यों की कमेटी गठित की गई है जो इस पूरे मामले को विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रही है। DG अशोक कुमार के मुताबिक प्रदेश भर में लगभग पांच से छह 3 नॉट 3 राइफल गस्त ड्यूटी के लिए इस्तेमाल होती आई है, हालांकि समय के डिमांड के मुताबिक समय दर समय थ्री नोट 3 के बदलें इंसास व एसएलआर जैसी नए हथियारों को फोर्स में शामिल किया जा चुका है। ऐसे में फ़ोर्स से पूरी तरह 3 नॉट 3 राइफल को हटाने का मामला विचारधीन चल रहा है।


बाइट- अशोक कुमार, महानिदेशक अपराध व कानून व्यवस्था उत्तराखंड
Last Updated : Jan 24, 2020, 11:29 PM IST
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