देहरादूनः उत्तराखंड के जंगलों में लगातार आग की घटनाएं सामने आ रही हैं. वनाग्नि के बढ़ते मामलों से ऐसा लग रहा है कि इस बार सारे पिछले रिकॉर्ड टूट जाएंगे. पिछले 3 महीनों में ही आग की घटनाएं 1 साल के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ चुकी हैं. उधर, अधिकारियों की छुट्टी पर रोक लगा दी गई है. जबकि, आग पर काबू पाने के लिए वायुसेना के दो MI 17 हेलीकॉप्टरों को भी मैदान में उतारा गया है. इसके बावजूद वनाग्नि की स्थिति और भी गंभीर होने की आशंका है.
प्रदेश में पिछले 11 सालों के रिकॉर्ड पर नजर दौड़ाएं तो राज्य के लिए कुछ साल जंगलों की आग को लेकर बेहद खराब रहे हैं. साल 2020 जहां बीते 10 सालों में सबसे कम आग लगने की घटनाओं को लेकर बेहतर रहा है तो साल 2021 की शुरुआत में ही पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ने के आंकड़े पेश कर दिए हैं. उधर, अधिकारी हर संभव प्रयास कर आग को बुझाने के लिए काम में जुटे हुए हैं और इसके लिए कर्मचारियों की बड़ी भारी संख्या में ड्यूटी पर लगाई गई है.
ये भी पढ़ेंः एयरफोर्स 'बांबी बकेट' से बुझा रहा आग, वनाग्नि को लेकर असल चुनौतियां अभी बाकी
वनाग्नि पर ताजा स्थिति-
- वनाग्नि को लेकर वन विभाग की ओर से कर्मी लगाए गए हैं.
- प्रदेश की 5000 वन पंचायतों को वनाग्नि बुझाने के लिए धनराशि दी गई है.
- जंगलों की आग बुझाने के लिए पहले घेरे में वन पंचायत और ग्राम सुरक्षा समिति, वन सुरक्षा समिति और अग्नि सुरक्षा समिति से जुड़े लोगों की बड़ी जिम्मेदारी दी गई है.
- राज्य में 8000 फायर वाचर तैनात किए गए.
- 4000 वन कर्मचारी भी आग की घटनाओं को रोकने के लिए लगाए गए हैं.
- केंद्र सरकार से एनडीआरएफ की भी मदद की गुहार लगाई गई है.
- आग पर काबू पाने के लिए वायुसेना के 2 MI 17 हेलीकॉप्टर भी तैनात किए गए हैं.
- ये भी पढ़ेंः जंगलों की आग बुझाने खुद जुट गए वन मंत्री हरक सिंह, सभी से सहयोग की अपील
उत्तराखंड में बीते 10 सालों के दौरान हुई वनाग्नि की घटनाएं-
- उत्तराखंड में साल 2010 से अब तक की घटनाओं में 3 सालों के दौरान सबसे ज्यादा आग लगने की घटनाएं सामने आईं.
- साल 2010 में 789 आग लगने की घटनाएं हुईं. इसमें 1610 हेक्टेयर वन संपदा प्रभावित हुई.
- साल 2011 में 150 घटनाएं हुईं. इसमें 231 हेक्टेयर वन प्रभावित हुए.
- साल 2012 में कुल 1328 आग लगने की घटनाएं हुईं. इसमें 2823 हेक्टेयर जंगल जले.
- साल 2013 में 245 घटनाएं हुईं. इसमें 384 हेक्टेयर जंगल जले.
- साल 2014 में कुल 515 घटनाएं घटी और 930 हेक्टेयर जंगल जल गए.
- साल 2015 में कुल 412 आग लगने की घटनाएं हुईं. इसमें 701 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुए.
- साल 2016 में 2074 आग लगने की घटना हुईं. इसमें 4433 हेक्टेयर जंगल जले और पुराने सभी रिकॉर्ड इस साल टूट गए.
- साल 2017 में 805 घटनाएं जंगलों में आग लगने की सामने आईं और 1244 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुए.
- साल 2018 में फिर एक बार घटनाएं बढ़ीं और कुल 2150 आग लगने की घटनाएं रिकॉर्ड की गईं. इसमें 4480 हेक्टेयर वन प्रभावित हुए.
- साल 2019 में एक बार फिर घटनाएं बढ़ीं और पिछले 10 साल के रिकॉर्ड टूट गए. इस साल 2158 आग लगने की घटनाएं घटित हुईं. जिसमें 2981 हेक्टेयर जंगल जले. हालांकि, घटनाओं के लिहाज से वन संपदा को नुकसान कम आंका गया.
- साल 2020 में कोरोनावायरस के कारण लोग स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों में रहे, लेकिन जंगलों में आग को लेकर यह साल सबसे अच्छा रहा. पिछले 10 सालों में सबसे कम आग 2020 में लगी. 2020 में मात्र 135 घटनाएं भी सामने आईं. इसमें केवल 172 हेक्टेयर जंगल जले.
इस साल जंगलों में आग लगने की घटनाओं ने जिस तरह से तेजी पकड़ी है उसके बाद यह कहना गलत नहीं है कि अब तक के आंकड़ों से लगता है कि पिछले 10 सालों के सभी आंकड़े इस बार पीछे छूटने वाले हैं. साल के 3 महीनों में ही अब तक 930 हेक्टेयर जंगल जल चुके हैं. जबकि, 1139 आग लगने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं.