चमोली: जोशीमठ की तलहटी में अलकनंदा के किनारे भू कटाव रोकने के लिए सुरक्षा दीवार की डीपीआर (Detailed Project Report) तैयार करने की जिम्मेदारी अब टीएचडीसी को सौंपी गई है. उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग ने टीएचडीसी को इन्वेस्टिगेशन और डीपीआर तैयार करने के लिए कहा है. इससे पहले यह जिम्मेदारी सिंचाई विभाग के पास थी. लेकिन विभाग ने सिंचाई विभाग की डीपीआर को रिजेक्ट कर दिया है. हालांकि, सुरक्षा दीवार बनाने का काम सिंचाई विभाग ही करेगा.
आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि जोशीमठ के नीचे अलकनंदा नदी के प्रभाव से लगातार भू कटाव हो रहा है. उन्होंने बताया कि जिन जगहों पर नाले नदी से मिलते हैं, वहां पर भू कटाव की समस्या ज्यादा है. इसे देखते हुए सिंचाई विभाग को जोशीमठ के नीचे अलकनंदा के किनारे पूरे कैचमेंट में सुरक्षा दीवार बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी. लेकिन सिंचाई विभाग ने इस पर तकनीकी पहलुओं पर ठीक से इन्वेस्टिगेशन नहीं किया. इसलिए यह काम अब टीएचडीसी को दिया गया है.
सिंचाई विभाग ही बनाएगा सुरक्षा दीवार: रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि अब अलकनंदा के किनारे बनने वाली सुरक्षा दीवार को लेकर इन्वेस्टिगेशन और डीपीआर तैयार करने का काम टीएचडीसी करेगी. हालांकि, सुरक्षा दीवार बनाने के लिए कार्यदाई संस्था सिंचाई विभाग ही रहेगी.
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जोशीमठ में 863 घरों में दरारेंः जोशीमठ नगर क्षेत्र में भू-धंसाव के कारण अभी तक 863 भवनों को चिन्हित किया गया है, जिनमें दरारें मिली हैं. इसमें से 181 भवन असुरक्षित जोन में हैं. आपदा प्रभावित 282 परिवारों के 947 सदस्यों को राहत शिविरों में रुकवाया गया है. राहत शिविरों में भोजन, पेयजल, चिकित्सा आदि की मूलभूत सुविधाएं प्रभावितों को उपलब्ध कराई जा रही हैं. सार्वजनिक स्थानों, चौराहों और राहत शिविरों के आसपास 20 स्थानों पर नियमित रूप से अलाव की व्यवस्था की गई है. जोशीमठ आपदा प्रभावित परिवारों के आधे एवं पूर्ण क्षतिग्रस्त भवनों, विशेष पुनर्वास पैकेज की अग्रिम धनराशि, सामान ढुलाई और तात्कालिक आवश्यकताओं के लिए एकमुश्त विशेष ग्रांट के रूप में धनराशि दी जा रही है. चमोली जिला प्रशासन के मुताबिक अभी तक 585 प्रभावितों को 388.27 लाख की राहत धनराशि वितरित की जा चुकी है.