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विकासनगर: कोरूवा गांव में 45 साल बाद हुई थाती-माटी देवी की पूजा, ये है मान्यता

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Published : Nov 3, 2019, 11:02 PM IST

Updated : Nov 4, 2019, 10:58 AM IST

जौनसार-बावर के कोरूवा गांव के महासू मंदिर परिसर में करीब 45 साल बाद बीते 30 अक्टूबर से शुरू हुई थाती-माटी महायज्ञ पूजा पांचवें दिन विधि विधान के साथ समाप्त हो गई है. इस पूजा विधान के दौरान गांव के प्रत्येक परिवार के एक सदस्य ने 5 दिनों तक व्रत रखा और हर दिन 5 बार हवन कुंड में आहुति देकर पूजा अर्चना की.

thati mati

विकासनगरः जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर अपनी परंपरा, त्योहार और संस्कृति के लिए जाना जाता है. यहां पर समय-समय पर कई तरह के धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है. जिसमें जौनसार-बावर की एक पौराणिक परंपरा थाती-माटी देवी की पूजा भी शामिल है. इसी कड़ी में कोरूवा गांव के महासू मंदिर परिसर में करीब 45 सालों के बाद पांच दिवसीय थाती-माटी का पूजन और महायज्ञ किया गया. जिसमें गांव के प्रत्येक परिवार के एक सदस्य ने 5 दिनों तक व्रत रखा. वहीं, इस पूजन में लोगों की भीड़ उमड़ी रही.

जौनसार-बावर के कोरूवा गांव के महासू मंदिर परिसर में करीब 45 साल बाद बीते 30 अक्टूबर से शुरू हुई थाती-माटी महायज्ञ पूजा पांचवें दिन विधि विधान के साथ समाप्त हो गई है. इस पूजा विधान के दौरान 5 पंडितों ने ज्योति प्रज्ज्वलित की. जिसमें गांव के प्रत्येक परिवार के एक सदस्य ने 5 दिनों तक व्रत रखा और हर दिन 5 बार हवन कुंड में आहुति देकर पूजा अर्चना की. जिसमें सबसे पहले महासू देवता और उसके बाद थाती-माटी देवी समेत पांडवों की पूजा की गई. इस दौरान ग्रामीणों ने महासू देवता और थाती-माटी देवी की आराधना कर सुख समृद्धि की कामना की.

कोरूवा गांव में 45 साल बाद हुई थाती-माटी देवी की पूजा.

ये भी पढ़ेंः बेहतरीन प्रदर्शन के लिए इस स्कूल को सीएम त्रिवेंद्र पुरस्कार से करेंगे सम्मानित

पंडित संतराम जोशी और स्थानीय ग्रामीण चंद्र सिंह तोमर ने बताया कि जनजाति समाज के लोग थाती-माटी की पूजा करते हैं. करीब 45 से 50 साल बाद कोरूवा गांव में 5 दिनों तक यह पूजा की गई. उन्होंने कहा कि इस पूजा करने से रोग, कष्ट, बीमारियां सभी दूर होती है. साथ ही फसल, पशु, धन, संपदा में बढ़ोतरी होती है. पारंपारिक थाती-माटी का पूजन सुख समृद्धि और खुशहाली के लिए मनाया जाता है. जिसमें व्रती और ग्रामीण देवी-देवताओं का आह्वान कर नृत्य करते हैं.

पर्व के बारे में लोगों की मान्यता

मान्यता के अनुसार जौनसार की भूमि को स्थानीय लोगों देवारा थाती कहा जाता है. जिसकी पूजा वे 15 या बीस साल में करते हैं. जबकि की कोरूवा गांव में ये पूजा 45 साल बाद आयोजित की गई. लोगों का मानना है कि इस पूजा के करने से गांव में आने वाली विपदा दूर हो जाती है और सुख-समृद्धि बनी रहती है. जिसे फसल की अच्छी पैदावार और पशु धन के लिए अच्छा माना जाता है. इस पर्व में गांव के चारों ओर बंधन बांधा जाता है. लोगों द्वारा माना जाता है कि ऐसा करने से गांव को नुकसान नहीं होता है और पूरे गांव में खुशहाली बनी रहती है.

विकासनगरः जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर अपनी परंपरा, त्योहार और संस्कृति के लिए जाना जाता है. यहां पर समय-समय पर कई तरह के धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है. जिसमें जौनसार-बावर की एक पौराणिक परंपरा थाती-माटी देवी की पूजा भी शामिल है. इसी कड़ी में कोरूवा गांव के महासू मंदिर परिसर में करीब 45 सालों के बाद पांच दिवसीय थाती-माटी का पूजन और महायज्ञ किया गया. जिसमें गांव के प्रत्येक परिवार के एक सदस्य ने 5 दिनों तक व्रत रखा. वहीं, इस पूजन में लोगों की भीड़ उमड़ी रही.

जौनसार-बावर के कोरूवा गांव के महासू मंदिर परिसर में करीब 45 साल बाद बीते 30 अक्टूबर से शुरू हुई थाती-माटी महायज्ञ पूजा पांचवें दिन विधि विधान के साथ समाप्त हो गई है. इस पूजा विधान के दौरान 5 पंडितों ने ज्योति प्रज्ज्वलित की. जिसमें गांव के प्रत्येक परिवार के एक सदस्य ने 5 दिनों तक व्रत रखा और हर दिन 5 बार हवन कुंड में आहुति देकर पूजा अर्चना की. जिसमें सबसे पहले महासू देवता और उसके बाद थाती-माटी देवी समेत पांडवों की पूजा की गई. इस दौरान ग्रामीणों ने महासू देवता और थाती-माटी देवी की आराधना कर सुख समृद्धि की कामना की.

कोरूवा गांव में 45 साल बाद हुई थाती-माटी देवी की पूजा.

ये भी पढ़ेंः बेहतरीन प्रदर्शन के लिए इस स्कूल को सीएम त्रिवेंद्र पुरस्कार से करेंगे सम्मानित

पंडित संतराम जोशी और स्थानीय ग्रामीण चंद्र सिंह तोमर ने बताया कि जनजाति समाज के लोग थाती-माटी की पूजा करते हैं. करीब 45 से 50 साल बाद कोरूवा गांव में 5 दिनों तक यह पूजा की गई. उन्होंने कहा कि इस पूजा करने से रोग, कष्ट, बीमारियां सभी दूर होती है. साथ ही फसल, पशु, धन, संपदा में बढ़ोतरी होती है. पारंपारिक थाती-माटी का पूजन सुख समृद्धि और खुशहाली के लिए मनाया जाता है. जिसमें व्रती और ग्रामीण देवी-देवताओं का आह्वान कर नृत्य करते हैं.

पर्व के बारे में लोगों की मान्यता

मान्यता के अनुसार जौनसार की भूमि को स्थानीय लोगों देवारा थाती कहा जाता है. जिसकी पूजा वे 15 या बीस साल में करते हैं. जबकि की कोरूवा गांव में ये पूजा 45 साल बाद आयोजित की गई. लोगों का मानना है कि इस पूजा के करने से गांव में आने वाली विपदा दूर हो जाती है और सुख-समृद्धि बनी रहती है. जिसे फसल की अच्छी पैदावार और पशु धन के लिए अच्छा माना जाता है. इस पर्व में गांव के चारों ओर बंधन बांधा जाता है. लोगों द्वारा माना जाता है कि ऐसा करने से गांव को नुकसान नहीं होता है और पूरे गांव में खुशहाली बनी रहती है.

Intro:विकासनगर -यूं तो जौनसार बावर अपनी परंपराओं व त्योहारों एवं संस्कृति के लिए अपनी पहचान देश विदेश में अलग बनाए हुए हैं इसी कड़ी में जौनसार बावर की एक पौराणिक परंपरा थाती- माटी देवी की पूजा भी है जिसमें कि जौनसार के कोरूवा गांव में पांच दिवसीय थाती- माटी का पूजन व महायज्ञ वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ किया गया


Body:जौनसार के कोरूवा गांव महासू मंदिर परिसर में 30 नवंबर से शुरू थाती -माटी महायज्ञ पूजा आज पांचवे दिन समाप्त हुई है इस पूजा विधान में 5 पंडितों द्वारा ज्योति प्रज्ज्वलित की गई वह गांव के प्रत्येक परिवार के एक सदस्य द्वारा 5 दिनों तक व्रत रखा गया वह सभी वर्ती ग्रामीणों द्वारा दिन में 5 बार हवन कुंड में आहुति देकर पूजा अर्चना की गई जिसमें सबसे पहले महासू देवता की पूजा की गई उसके बाद थाती -माटी देवी व पांडवों एवं सभी देवी देवताओं की पूजा अर्चना की गई इस पूजा में गांव के नौकरी पेशा मैं भी अपने गांव कि इस पारंपरिक पूजा में प्रतिभाग कर महासू देवता व थाती -माटी देवी की आराधना कर सुख समृद्धि की कामना की स्थानीय ग्रामीण चंद्र सिंह तोमर ने बताया कि इस पूजा का बहुत बड़ा महत्व है जनजाति समाज में थाती -माटी की
पूजा होती है और 45 से 50 साल बाद यह पूजा कोरूवा गांव में 5 दिनों से चल रही है जो आज विधि विधान के साथ समाप्त होगी इस पूजा करने से रोग, कष्ट, बीमारियां दूर होती है फसलों को लाभ मिलता है पशु ,धन ,संपदा में बढ़ोतरी होती है पारंपारिक अनोखी जनजाति की यह परंपरा थाती- माटी का पूजन सुख समृद्धि और खुशहाली के लिए माना गया है वही व्रत रखने वाले व पंडितों द्वारा एवं गांव के ग्रामीणों द्वारा सभी ने देवी देवताओं का आह्वान कर नाचते गाते हुए गांव का चक्कर लगाकर सुख समृद्धि की कामना करतें है.


Conclusion:वही पंडित संतराम जोशी ने बताया कि 5 पंडितों द्वारा 30 नवंबर को ज्योति प्रज्वलित हुई है थाती देवी कोरूवा गांव की कुलदेवी है इसकी पूजा हुई है चार महासू देवताओं की पूजा पांडवों की पूजा व अन्य सभी देवी देवताओं की पूजा हुई है दिन में 5 बार यज्ञ हवन हुआ वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूजा प्रारंभ हुई पांचवा दिन समाप्ति के दिन आज सुबह हवन हुआ दीक्षा पूजन हुआ मात्री पूजन हुआ गांव की आठों दिशाओं की पूजा व ध्वजारोहण किया गया यह पूजा गांव की खुशहाली सुख समृद्धि के लिए होती है पौराणिक समय से यह पूजा चली आ रही है गांव के प्रत्येक परिवार का एक सदस्य 5 दिनों तक व्रत रखता है 45 से 50 वर्ष पूर्व पूजा हुई थी और इस पूजा में पांडवों की भी पूजा की जाती है.
बाइट पंडित संतराम जोशी
बाइट चंद्र सिंह तोमर स्थानीय निवासी
Last Updated : Nov 4, 2019, 10:58 AM IST
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