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रानीपोखरी पुल हादसा: जांच टीम पहुंची, हो रहा आइडोलॉजिकल परीक्षण

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Published : Sep 3, 2021, 2:41 PM IST

Updated : Sep 3, 2021, 3:42 PM IST

रानीपोखरी में 27 अगस्त को अचानक पुल ढह गया था. उस समय पुल के ऊपर वाहन चल रहे थे. इसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पुल का निरीक्षण किया था. सीएम ने हादसे की जांच के आदेश दिए थे. आज जांच टीम रानीपोखरी पहुंची है.

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डोईवाला समाचार

डोईवाला: रानीपोखरी में जाखन नदी पर बना पुल 27 अगस्त को ध्वस्त हो गया था. पुल के गिरने पर बड़ा हल्ला हुआ था. आनन-फानन में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत मौके का जायजा लेने पहुंचे थे. उसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी मौके पर जाकर निरीक्षण किया था. उन्होंने पुल गिरने की जांच के आदेश दिए थे. आज जांच टीम रानीपोखरी पहुंच गई है. टीम अभी पुल गिरने का आइडोलॉजिकल परीक्षण कर रही है. डाटा कलेक्ट करने के बाद पुल गिरने के कारणों की जांच की जाएगी.

इससे पहले कुछ जानकारों ने पुल गिरने का कारण अवैध खनन को बताया था. वहीं, विपक्षी दलों ने भी नदी के दोनों तरफ खनन के पट्टों को पुल गिरने की वजह बताया था. इन सभी कारणों की जांच पड़ताल के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जांच टीम गठित की थी. शुक्रवार को जांच टीम रानीपोखरी में टूटे पुल के कारणों का निरीक्षण करने पहुंची.

रानीपोखरी पुल हादसा की जांच शुरू

जांच टीम के अधिकारी ने बताया कि पुल के गिरने के कारणों की जांच और विगत वर्ष हुए कार्यों की भी जांच पड़ताल की जा रही है. जांच टीम के अधिकारी ने बताया कि अभी आइडोलॉजिकल परीक्षण किया जा रहा है. पूरा डाटा कलेक्ट किया जा रहा है. जांच समिति के सामने जब सारा डाटा आ जायेगा तभी जांच समिति किसी निष्कर्ष पर पहुंचेगी.

ये भी पढ़ें: रानीपोखरी पुल हादसे के बाद हरकत में आया PWD, 664 पुलों की रिपोर्ट तलब

अधिकारी ने बताया कि जांच टीम भी पुल गिरने के सभी पहलुओं पर काम कर रही है. शुक्रवार को ही जांच का काम पूरा कर लिया जाएगा. जांच टीम में मुख्य अभियंता लोनिवि अयाज अहमद, मुकेश परमार अधीक्षण अभियंता लोनिवि, एनपी सिंह मुख्य अभियंता लोनिवि के अलावा कई मैकेनिकल और टेक्निकल अधिकारी मौजूद थे.

कैसे हुआ था हादसा: 27 अगस्त की सुबह देहरादून-ऋषिकेश को जोड़ने वाला 57 साल पुराना रानीपोखरी पुल अचानक ही भरभरा कर गिर गया था. दरअसल, नदी में बीते दिन से ही भारी मात्रा में पानी आ रहा था. पुल के दोनों किनारों पर पानी जोर से टकरा रहा था. नदी के तेज प्रवाह के कारण पुल के बीच में लगे पुश्ते क्षतिग्रस्त हो गए और पुल ढह गया. इसका एक बड़ा कारण खनन है, जिस वजह से पुल की जड़ें कमजोर हुईं. ऋषिकेश और देहरादून के मध्य रानीपोखरी में वर्ष 1964 में लोक निर्माण विभाग की ओर से टू लेन पुल का निर्माण कराया गया था. 57 वर्ष पुराना यह पुल ओपन फाउंडेशन पर निर्मित किया गया था. 27 अगस्त की दोपहर जाखन नदी में आई बाढ़ से पुल के दोनों और पिलर क्षतिग्रस्त हो गए थे.

ये पुल इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि ये गढ़वाल क्षेत्र को देहरादून से जुड़ता था. हालांकि अब गढ़वाल क्षेत्र से आने वाले लोगों को देहरादून जाने के लिए नेपाली फार्म होते हुए आना पड़ रहा है. वहीं, ऋषिकेश से जौलीग्रांट एयरपोर्ट आने के लिए भी लोग इसी मार्ग से आ रहे हैं. रानीपोखरी पुल हादसे में किसी की जान नहीं गई लेकिन इस हादसे के बाद से ही लगातार यह सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर प्रदेश में मौजूद अन्य पुराने पुल वाहनों के आवागमन के लिए कितने सुरक्षित हैं. इसी के तहत लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव आरके सुधांशु ने प्रदेश के B-कैटेगरी के 664 पुलों की रिपोर्ट सभी प्रमुख अधिशासी अभियंताओं से तलब की है.

डोईवाला: रानीपोखरी में जाखन नदी पर बना पुल 27 अगस्त को ध्वस्त हो गया था. पुल के गिरने पर बड़ा हल्ला हुआ था. आनन-फानन में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत मौके का जायजा लेने पहुंचे थे. उसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी मौके पर जाकर निरीक्षण किया था. उन्होंने पुल गिरने की जांच के आदेश दिए थे. आज जांच टीम रानीपोखरी पहुंच गई है. टीम अभी पुल गिरने का आइडोलॉजिकल परीक्षण कर रही है. डाटा कलेक्ट करने के बाद पुल गिरने के कारणों की जांच की जाएगी.

इससे पहले कुछ जानकारों ने पुल गिरने का कारण अवैध खनन को बताया था. वहीं, विपक्षी दलों ने भी नदी के दोनों तरफ खनन के पट्टों को पुल गिरने की वजह बताया था. इन सभी कारणों की जांच पड़ताल के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जांच टीम गठित की थी. शुक्रवार को जांच टीम रानीपोखरी में टूटे पुल के कारणों का निरीक्षण करने पहुंची.

रानीपोखरी पुल हादसा की जांच शुरू

जांच टीम के अधिकारी ने बताया कि पुल के गिरने के कारणों की जांच और विगत वर्ष हुए कार्यों की भी जांच पड़ताल की जा रही है. जांच टीम के अधिकारी ने बताया कि अभी आइडोलॉजिकल परीक्षण किया जा रहा है. पूरा डाटा कलेक्ट किया जा रहा है. जांच समिति के सामने जब सारा डाटा आ जायेगा तभी जांच समिति किसी निष्कर्ष पर पहुंचेगी.

ये भी पढ़ें: रानीपोखरी पुल हादसे के बाद हरकत में आया PWD, 664 पुलों की रिपोर्ट तलब

अधिकारी ने बताया कि जांच टीम भी पुल गिरने के सभी पहलुओं पर काम कर रही है. शुक्रवार को ही जांच का काम पूरा कर लिया जाएगा. जांच टीम में मुख्य अभियंता लोनिवि अयाज अहमद, मुकेश परमार अधीक्षण अभियंता लोनिवि, एनपी सिंह मुख्य अभियंता लोनिवि के अलावा कई मैकेनिकल और टेक्निकल अधिकारी मौजूद थे.

कैसे हुआ था हादसा: 27 अगस्त की सुबह देहरादून-ऋषिकेश को जोड़ने वाला 57 साल पुराना रानीपोखरी पुल अचानक ही भरभरा कर गिर गया था. दरअसल, नदी में बीते दिन से ही भारी मात्रा में पानी आ रहा था. पुल के दोनों किनारों पर पानी जोर से टकरा रहा था. नदी के तेज प्रवाह के कारण पुल के बीच में लगे पुश्ते क्षतिग्रस्त हो गए और पुल ढह गया. इसका एक बड़ा कारण खनन है, जिस वजह से पुल की जड़ें कमजोर हुईं. ऋषिकेश और देहरादून के मध्य रानीपोखरी में वर्ष 1964 में लोक निर्माण विभाग की ओर से टू लेन पुल का निर्माण कराया गया था. 57 वर्ष पुराना यह पुल ओपन फाउंडेशन पर निर्मित किया गया था. 27 अगस्त की दोपहर जाखन नदी में आई बाढ़ से पुल के दोनों और पिलर क्षतिग्रस्त हो गए थे.

ये पुल इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि ये गढ़वाल क्षेत्र को देहरादून से जुड़ता था. हालांकि अब गढ़वाल क्षेत्र से आने वाले लोगों को देहरादून जाने के लिए नेपाली फार्म होते हुए आना पड़ रहा है. वहीं, ऋषिकेश से जौलीग्रांट एयरपोर्ट आने के लिए भी लोग इसी मार्ग से आ रहे हैं. रानीपोखरी पुल हादसे में किसी की जान नहीं गई लेकिन इस हादसे के बाद से ही लगातार यह सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर प्रदेश में मौजूद अन्य पुराने पुल वाहनों के आवागमन के लिए कितने सुरक्षित हैं. इसी के तहत लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव आरके सुधांशु ने प्रदेश के B-कैटेगरी के 664 पुलों की रिपोर्ट सभी प्रमुख अधिशासी अभियंताओं से तलब की है.

Last Updated : Sep 3, 2021, 3:42 PM IST
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