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देहरादून से महाबोधि वृक्ष की जांच को गया पहुंची टीम, दिया जाएगा 'सपोर्ट'

गया में महाबोधि वृक्ष की जड़, पत्ते से लेकर एक-एक टहनियों की बारीकी से निरीक्षण किया गया. इस दौरान वैज्ञानिकों की टीम के साथ बोधगया मंदिर प्रबंधक समिति के सचिव नंजे दोरजे और केयर टेकर डॉ. भंते दीनानाथ भी मौजूद रहे.

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महाबोधि वृक्ष
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Published : Jan 8, 2021, 9:16 AM IST

गया: विश्व धरोहर महाबोधि मंदिर के ठीक बगल में बोधि वृक्ष है, कहा जाता है कि इस बोधि वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. इस बोधिवृक्ष की हर साल देहरादून के वन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक आकर सेहत की जांच करते हैं, इस साल दो वैज्ञानिकों ने बोधिवृक्ष की जांच की. जांच में बोधिवृक्ष को बिल्कुल स्वस्थ और सुरक्षित पाया गया.

महाबोधि वृक्ष की स्वास्थ्य जांच.

महाबोधि वृक्ष के स्वास्थ्य की जांच
महाबोधि मंदिर परिसर में स्थित महाबोधि वृक्ष को बौद्ध अनुयायी भगवान के समान मानते है. महाबोधि वृक्ष का एक एक पत्ता उनके लिए प्रसाद के समान होता है. बोधिवृक्ष की धार्मिक महत्ता को देखते हुए बीटीएमसी इसका पूरा ख्याल रखता है. समय दर समय महाबोधि वृक्ष के स्वास्थ्य की जांच की जाती है. कोरोना काल मे लागू लॉकडाउन में ऑनलाइन काउंसिलिंग के जरिये महाबोधि वृक्ष का स्वास्थ्य जांच किया जाता रहा है. अब देहरादून से आये वैज्ञानिकों के दल ने महाबोधि वृक्ष की जांच की.

team
वैज्ञानिकों की टीम ने की जांच

महाबोधि वृक्ष को दिया जाएगा 'सपोर्ट'
देहरादून के आये वैज्ञानिक अमित पांडेय ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान महाबोधि वृक्ष के पत्ते भी पहले से बड़े हो गए हैं. पवित्र महाबोधि वृक्ष पूरी तरह से स्वस्थ्य है. महाबोधि वृक्ष कोरोना काल में काफी अच्छा ग्रोथ किया है. महाबोधि वृक्ष की कुछ सुखी डाली को काटा गया है, कटे हुए जगह पर चौपटिया पेस्ट लगाया गया है. वहीं, फंगस से बचाव को लेकर टहनियों पर रासायनिक लेप भी लगाया गया है.

'महाबोधि वृक्ष की बड़ी टहनियां मोटी होती जा रही है, उनका भार कम करने के लिए लोहे का पिलर सपोर्ट में लगाया जाएगा'- अमित पाण्डेय, वैज्ञानिक

Mahabodhi Temple Complex
महाबोधि मंदिर परिसर

महाबोधि वृक्ष पूरी तरह से सुरक्षित
वहीं, वैज्ञानिक संतन वर्थवाल ने बताया कि महाबोधि वृक्ष पूरी तरह से सुरक्षित है, महाबोधि वृक्ष में रूटीन वर्क किया जा रहा है. महाबोधि वृक्ष के पश्चिमी दिशा में एक दो जगहों पर टहनी को मजबूत करने के लिए सपोर्ट की जरूरत है. साथ ही प्रथम चक्रमण वाले हिस्से में कई जगह पर महाबोधि वृक्ष की डाली का झुकाव नीचे की ओर हो रहा है इसके रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे.

पढ़ें: CM ने लंबित पड़े कामों के लिए जारी किये 100 करोड़, विकासकार्यों में आएगी तेजी

'महाबोधि वृक्ष के आसपास पौधारोपण करने से महाबोधि वृक्ष को बहुत लाभ मिल रहा है. पहले आसपास की मिट्टी सीमेंट जैसी कड़ी हो गयी थी, वर्तमान में मिट्टी भुर भूरी हो गई है, जिससे महाबोधि वृक्ष को बहुत लाभ मिल रहा है'- संतन वर्थवाल, वैज्ञानिक

बता दें कि पतझड़ के मौसम के समाप्त होने के बाद एक बार वैज्ञानिकों का एक दल महाबोधि वृक्ष का मुआयना करने आएगा. मुआयना के दौरान पतझड़ में महाबोधि वृक्ष का स्वास्थ्य और पत्तियों के विकास की भी जांच करेगा.

गया: विश्व धरोहर महाबोधि मंदिर के ठीक बगल में बोधि वृक्ष है, कहा जाता है कि इस बोधि वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. इस बोधिवृक्ष की हर साल देहरादून के वन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक आकर सेहत की जांच करते हैं, इस साल दो वैज्ञानिकों ने बोधिवृक्ष की जांच की. जांच में बोधिवृक्ष को बिल्कुल स्वस्थ और सुरक्षित पाया गया.

महाबोधि वृक्ष की स्वास्थ्य जांच.

महाबोधि वृक्ष के स्वास्थ्य की जांच
महाबोधि मंदिर परिसर में स्थित महाबोधि वृक्ष को बौद्ध अनुयायी भगवान के समान मानते है. महाबोधि वृक्ष का एक एक पत्ता उनके लिए प्रसाद के समान होता है. बोधिवृक्ष की धार्मिक महत्ता को देखते हुए बीटीएमसी इसका पूरा ख्याल रखता है. समय दर समय महाबोधि वृक्ष के स्वास्थ्य की जांच की जाती है. कोरोना काल मे लागू लॉकडाउन में ऑनलाइन काउंसिलिंग के जरिये महाबोधि वृक्ष का स्वास्थ्य जांच किया जाता रहा है. अब देहरादून से आये वैज्ञानिकों के दल ने महाबोधि वृक्ष की जांच की.

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वैज्ञानिकों की टीम ने की जांच

महाबोधि वृक्ष को दिया जाएगा 'सपोर्ट'
देहरादून के आये वैज्ञानिक अमित पांडेय ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान महाबोधि वृक्ष के पत्ते भी पहले से बड़े हो गए हैं. पवित्र महाबोधि वृक्ष पूरी तरह से स्वस्थ्य है. महाबोधि वृक्ष कोरोना काल में काफी अच्छा ग्रोथ किया है. महाबोधि वृक्ष की कुछ सुखी डाली को काटा गया है, कटे हुए जगह पर चौपटिया पेस्ट लगाया गया है. वहीं, फंगस से बचाव को लेकर टहनियों पर रासायनिक लेप भी लगाया गया है.

'महाबोधि वृक्ष की बड़ी टहनियां मोटी होती जा रही है, उनका भार कम करने के लिए लोहे का पिलर सपोर्ट में लगाया जाएगा'- अमित पाण्डेय, वैज्ञानिक

Mahabodhi Temple Complex
महाबोधि मंदिर परिसर

महाबोधि वृक्ष पूरी तरह से सुरक्षित
वहीं, वैज्ञानिक संतन वर्थवाल ने बताया कि महाबोधि वृक्ष पूरी तरह से सुरक्षित है, महाबोधि वृक्ष में रूटीन वर्क किया जा रहा है. महाबोधि वृक्ष के पश्चिमी दिशा में एक दो जगहों पर टहनी को मजबूत करने के लिए सपोर्ट की जरूरत है. साथ ही प्रथम चक्रमण वाले हिस्से में कई जगह पर महाबोधि वृक्ष की डाली का झुकाव नीचे की ओर हो रहा है इसके रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे.

पढ़ें: CM ने लंबित पड़े कामों के लिए जारी किये 100 करोड़, विकासकार्यों में आएगी तेजी

'महाबोधि वृक्ष के आसपास पौधारोपण करने से महाबोधि वृक्ष को बहुत लाभ मिल रहा है. पहले आसपास की मिट्टी सीमेंट जैसी कड़ी हो गयी थी, वर्तमान में मिट्टी भुर भूरी हो गई है, जिससे महाबोधि वृक्ष को बहुत लाभ मिल रहा है'- संतन वर्थवाल, वैज्ञानिक

बता दें कि पतझड़ के मौसम के समाप्त होने के बाद एक बार वैज्ञानिकों का एक दल महाबोधि वृक्ष का मुआयना करने आएगा. मुआयना के दौरान पतझड़ में महाबोधि वृक्ष का स्वास्थ्य और पत्तियों के विकास की भी जांच करेगा.

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