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चारधाम के तप्त कुंडों में स्नान से मिलता है मोक्ष, हर कुंड का है विशेष महत्व

चारधाम में तप्त कुंडों का अपना ही विशेष महत्व है. चारधाम की यात्रा से पहले इन तप्त कुंडों में स्नान करने के कई धार्मिक महत्व हैं, साथ ही इससे स्वास्थ्य लाभ भी होता है.

चारधाम के तप्त कुंडों में स्नान से मिलता है मोक्ष
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Published : May 6, 2019, 11:39 PM IST

Updated : May 8, 2019, 11:21 PM IST

देहरादूनः विश्व प्रसिद्ध चारधाम में तप्त कुंडों का अपना ही विशेष महत्व है. चारधाम की यात्रा से पहले इन तप्त कुंड में स्नान करने से दोहरा लाभ होता है. इन कुंडों में स्नान करने के कई धार्मिक महत्व हैं, साथ ही इससे स्वास्थ्य लाभ भी होता है. प्राचीन धार्मिक मान्यताओं की माने तो कुंड में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. यही वजह है कि चारों धामों के यात्रा के दौरान हर धाम में बने तप्त कुंड में स्नान कर श्रद्धालु धाम का दर्शन करते हैं.

चारधाम के तप्त कुंडों का है विशेष महत्व.


यमुनोत्री धाम में सूर्य कुंड और विष्णु कुंड
यमुनोत्री और गंगोत्री धाम यात्रा करने वाले श्रद्धालु गंगनानी में बने तप्त कुंड में स्नान करते हैं. यमुनोत्री में मौजूद तप्त कुंड को सूर्यकुंड के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि इस कुंड में स्नान से यम यातना से मुक्ति मिलती है. जहां श्रद्धालु खौलते पानी में चावल, आलू आदि खाद्य पदार्थ डालते हैं. जो कुछ मिनटों में ही पक जाता है. जिसे प्रसाद के रूप में यमुनोत्री मंदिर में चढ़ाया जाता है. यहां सूर्य कुंड से निकलने वाले गर्म पानी की धारा दिव्य शीला से होते हुए दो तप्त कुंडों में जाती है. जहां पर श्रद्धालु स्नान करते हैं.

गंगोत्री धाम से पहले गंगनानी में तप्त कुंड
गंगोत्री धाम से पहले गंगनानी में भी गर्म पानी का कुंड मौजूद हैं. जहां श्रद्धालु स्नान कर पुण्य लाभ कमाते हैं. माना जाता है कि इस स्थान पर पाराशर ऋषि ने तपस्या की थी. यहां से श्रद्धालु स्नान कर गंगोत्री पहुंचते हैं. इस कुंड का धार्मिक महत्व होने के साथ इससे स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है.

ये भी पढ़ेंः मायके से गंगोत्री के लिए रवाना हुई मां गंगा की डोली, आज भैरो घाटी में होगा रात्री विश्राम

बदरीनाथ धाम में नारद कुंड और सूर्य कुंड
बदरीनाथ में भी दो तप्त कुंड स्थित हैं, जो मंदिर के ठीक नीचे है. इन कुंडों को नारद कुंड और सूर्य कुंड के नाम से जाना जाता है. तीर्थयात्री मंदिर में जाने से पहले यहां पर स्नान करते हैं. आमतौर पर इन कुंड़ों का तापमान 55 डिग्री सेल्सियस रहता है. सल्फर युक्त पानी के इस कुंड को औषधीय माना जाता है.

केदारनाथ धाम से पहले गौरीकुंड में तप्त कुंड
केदारनाथ धाम की यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव गौरीकुंड है. जहां के तप्त कुंड को गौरीकुंड के नाम से जाना जाता है. साल 2013 में आई भीषण आपदा में गौरीकुंड पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था. आपदा के बाद प्राचीन तप्त कुंड से करीब 50 मीटर दूर और 10 फीट नीचे खिसक गया है. जहां पर गर्म पानी की धारा निकल रही है. अभी तक तप्त कुंड का पुननिर्माण नहीं हो पाया है.


पौराणिक कथाओं की मानें तो माता पार्वती ने अपने तप से इस कुंड का निर्माण किया था. इस तप्त कुंड का महत्व स्कंद पुराण में भी मिलता है. श्रद्धालु पहले इस तप्त कुंड में स्नान करते हैं, फिर केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान करते हैं. प्राकृतिक तौर पर गर्म पानी के स्रोत गंधक से निकलते हैं. गंधक का पानी चर्म रोगों से निदान के लिए काफी फायदेमंद होता है. ऊंचाई वाले क्षेत्रों में गर्म पानी में स्नान से थकावट दूर होता है.


वहीं, पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि साल 2013 में आई आपदा के बाद गौरीकुंड के तप्त कुंड ने अपना स्थान परिवर्तित कर लिया है. प्रोजेक्शन के लिए गढ़वाल मंडल विकास निगम को कार्यदायी संस्था बनाया गया है. जिसके तहत कुंड के समीप महिला और पुरुष स्नान गृह बनाया जा रहा है. जिसके बाद तप्त कुंड को बिना छेड़े वाटर पंप के माध्यम से कुंड के पानी को स्नान गृह तक पहुंचाया जाएगा. जिससे श्रद्धालु इन स्नान गृह में स्नान कर पाएंगे.

देहरादूनः विश्व प्रसिद्ध चारधाम में तप्त कुंडों का अपना ही विशेष महत्व है. चारधाम की यात्रा से पहले इन तप्त कुंड में स्नान करने से दोहरा लाभ होता है. इन कुंडों में स्नान करने के कई धार्मिक महत्व हैं, साथ ही इससे स्वास्थ्य लाभ भी होता है. प्राचीन धार्मिक मान्यताओं की माने तो कुंड में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. यही वजह है कि चारों धामों के यात्रा के दौरान हर धाम में बने तप्त कुंड में स्नान कर श्रद्धालु धाम का दर्शन करते हैं.

चारधाम के तप्त कुंडों का है विशेष महत्व.


यमुनोत्री धाम में सूर्य कुंड और विष्णु कुंड
यमुनोत्री और गंगोत्री धाम यात्रा करने वाले श्रद्धालु गंगनानी में बने तप्त कुंड में स्नान करते हैं. यमुनोत्री में मौजूद तप्त कुंड को सूर्यकुंड के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि इस कुंड में स्नान से यम यातना से मुक्ति मिलती है. जहां श्रद्धालु खौलते पानी में चावल, आलू आदि खाद्य पदार्थ डालते हैं. जो कुछ मिनटों में ही पक जाता है. जिसे प्रसाद के रूप में यमुनोत्री मंदिर में चढ़ाया जाता है. यहां सूर्य कुंड से निकलने वाले गर्म पानी की धारा दिव्य शीला से होते हुए दो तप्त कुंडों में जाती है. जहां पर श्रद्धालु स्नान करते हैं.

गंगोत्री धाम से पहले गंगनानी में तप्त कुंड
गंगोत्री धाम से पहले गंगनानी में भी गर्म पानी का कुंड मौजूद हैं. जहां श्रद्धालु स्नान कर पुण्य लाभ कमाते हैं. माना जाता है कि इस स्थान पर पाराशर ऋषि ने तपस्या की थी. यहां से श्रद्धालु स्नान कर गंगोत्री पहुंचते हैं. इस कुंड का धार्मिक महत्व होने के साथ इससे स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है.

ये भी पढ़ेंः मायके से गंगोत्री के लिए रवाना हुई मां गंगा की डोली, आज भैरो घाटी में होगा रात्री विश्राम

बदरीनाथ धाम में नारद कुंड और सूर्य कुंड
बदरीनाथ में भी दो तप्त कुंड स्थित हैं, जो मंदिर के ठीक नीचे है. इन कुंडों को नारद कुंड और सूर्य कुंड के नाम से जाना जाता है. तीर्थयात्री मंदिर में जाने से पहले यहां पर स्नान करते हैं. आमतौर पर इन कुंड़ों का तापमान 55 डिग्री सेल्सियस रहता है. सल्फर युक्त पानी के इस कुंड को औषधीय माना जाता है.

केदारनाथ धाम से पहले गौरीकुंड में तप्त कुंड
केदारनाथ धाम की यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव गौरीकुंड है. जहां के तप्त कुंड को गौरीकुंड के नाम से जाना जाता है. साल 2013 में आई भीषण आपदा में गौरीकुंड पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था. आपदा के बाद प्राचीन तप्त कुंड से करीब 50 मीटर दूर और 10 फीट नीचे खिसक गया है. जहां पर गर्म पानी की धारा निकल रही है. अभी तक तप्त कुंड का पुननिर्माण नहीं हो पाया है.


पौराणिक कथाओं की मानें तो माता पार्वती ने अपने तप से इस कुंड का निर्माण किया था. इस तप्त कुंड का महत्व स्कंद पुराण में भी मिलता है. श्रद्धालु पहले इस तप्त कुंड में स्नान करते हैं, फिर केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान करते हैं. प्राकृतिक तौर पर गर्म पानी के स्रोत गंधक से निकलते हैं. गंधक का पानी चर्म रोगों से निदान के लिए काफी फायदेमंद होता है. ऊंचाई वाले क्षेत्रों में गर्म पानी में स्नान से थकावट दूर होता है.


वहीं, पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि साल 2013 में आई आपदा के बाद गौरीकुंड के तप्त कुंड ने अपना स्थान परिवर्तित कर लिया है. प्रोजेक्शन के लिए गढ़वाल मंडल विकास निगम को कार्यदायी संस्था बनाया गया है. जिसके तहत कुंड के समीप महिला और पुरुष स्नान गृह बनाया जा रहा है. जिसके बाद तप्त कुंड को बिना छेड़े वाटर पंप के माध्यम से कुंड के पानी को स्नान गृह तक पहुंचाया जाएगा. जिससे श्रद्धालु इन स्नान गृह में स्नान कर पाएंगे.

Intro:उत्तराखंड के चारो धामो में बने तप्त कुंडों में चारधाम की यात्रा से पहले धाम में बने तप्त कुंड में स्नान करने से दोहरा लाभ होता है और इन कुंडों में स्नान करने के कई धार्मिक महत्व तो है ही, इसके साथ ही इससे स्वास्थ्य लाभ भी होता है। प्राचीन धार्मिक मान्यताओं की माने तो कुंड में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। और यही वजह है कि चारों धामों के यात्रा के दौरान हर धाम में बने तप्त कुंड में स्नान कर श्रद्धालु धाम की दर्शन करने जाते है। 



Body:यमुनोत्री और गंगोत्री धाम में तप्त कुंड......

यमुनोत्री और गंगोत्री धाम यात्रा करने आ रहे श्रद्धालु, यमुनोत्री धाम में यमुनोत्री और गंगोत्री धाम में गंगनानी में बने तप्त कुंड में स्नान करते हैं। यमुनोत्री में मौजूद तप्त कुंड को सूर्यकुंड के नाम से जाना जाता है। और मान्यता है कि इस कुंड में स्नान से यम यातना से मुक्ति मिलती है। जहां श्रद्धालु खोलते पानी में चावल, आलू आदि खाद्य पदार्थ डालने डालते हैं और वह कुछ मिनटों में ही पक जाता है। जिसके बाद उसे प्रसाद के रूप में यमुनोत्री मंदिर में चढ़ाया जाता है। और सूर्य कुंड से निकलने वाली गर्म पानी की धारा दिव्य शीला से होते हुए दो तप्त कुंडों में जाती है जहां श्रद्धालु स्नान करते हैं। इसी तरह गंगोत्री धाम के गंगनानी में भी गर्म पानी के कुंड मौजूद है। जहां श्रद्धालु स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं। मान्यता है कि इस स्थान पर पाराशर ऋषि ने तपस्या की थी।


केदारनाथ धाम में तप्त कुंड....

केदारनाथ धाम की यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव गौरीकुंड है। जहां के तप्त कुंड को गौरीकुंड के नाम से जाना जाता है। हालांकि मौजूदा हालात में अभी गौरी कुंड की स्थिति कुछ खास ठीक नहीं है जिसकी वजह यह है, कि साल 2013 में आई भीषण आपदा में गौरीकुंड पूरी तरह क्षतिग्रस्त होकर बह गया था। जिसके बाद से अभी तक तप्त कुंड का पुननिर्माण नहीं हो पाया है। पौराणिक कथाओं की माने तो माता पार्वती ने अपने तप से इस कुंड का निर्माण किया था। और इस तप्त कुंड का महत्व स्कंद पुराण में भी विस्तार से बताई गई है। और मान्यता है कि श्रद्धालु पहले इस तत्व कुंड में स्नान करते थे, इसके बाद केदारनाथ के लिए प्रस्थान करते थे। और वर्तमान समय में तब तक उनका अस्तित्व ना होने के कारण यात्रियों को मायूस होना पड़ रहा है। हालांकि गौरीकुंड में आज भी गर्म पानी का स्रोत मौजूद है लेकिन वह प्राचीन तप्त कुंड से करीब 50 मीटर दूर और 10 फीट नीचे खिसक गया है। जहां पर गर्म पानी की धारा निकल रही हैं। 


गौरीकुंड में बने तप्त कुंड में स्नान की व्यवस्था......

ज्यादा जानकारी देते हुए पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि साल 2013 में आयी आपदा के बाद गौरीकुंड के तप्त कुंड ने अपना स्थान परिवर्तित कर लिया है। और प्राचीन तप्त कुंड से यह तप्त कुछ 10 फीट नीचे चला गया है। और जो प्रोजेक्शन हुआ है उसमें गढ़वाल मंडल विकास निगम को कार्यदायी संस्था बनाया गया है। जिसके तहत कुंड के समीप महिला और पुरुष स्नान गृह बनाया जा रहा हैं। जिसके बाद तप्त कुंड को बिना छेड़े वाटर पंप के मध्यम से तप्त कुंड के पानी को स्नान गृह तक पहुचाया जाएगा। जिससे श्रद्धालु उस स्नान गृह में स्नान कर पाएंगे। 

बाइट - दिलीप जावलकर (पर्यटन सचिव)


Conclusion:
Last Updated : May 8, 2019, 11:21 PM IST
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