देहरादूनः विश्व प्रसिद्ध चारधाम में तप्त कुंडों का अपना ही विशेष महत्व है. चारधाम की यात्रा से पहले इन तप्त कुंड में स्नान करने से दोहरा लाभ होता है. इन कुंडों में स्नान करने के कई धार्मिक महत्व हैं, साथ ही इससे स्वास्थ्य लाभ भी होता है. प्राचीन धार्मिक मान्यताओं की माने तो कुंड में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. यही वजह है कि चारों धामों के यात्रा के दौरान हर धाम में बने तप्त कुंड में स्नान कर श्रद्धालु धाम का दर्शन करते हैं.
यमुनोत्री धाम में सूर्य कुंड और विष्णु कुंड
यमुनोत्री और गंगोत्री धाम यात्रा करने वाले श्रद्धालु गंगनानी में बने तप्त कुंड में स्नान करते हैं. यमुनोत्री में मौजूद तप्त कुंड को सूर्यकुंड के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि इस कुंड में स्नान से यम यातना से मुक्ति मिलती है. जहां श्रद्धालु खौलते पानी में चावल, आलू आदि खाद्य पदार्थ डालते हैं. जो कुछ मिनटों में ही पक जाता है. जिसे प्रसाद के रूप में यमुनोत्री मंदिर में चढ़ाया जाता है. यहां सूर्य कुंड से निकलने वाले गर्म पानी की धारा दिव्य शीला से होते हुए दो तप्त कुंडों में जाती है. जहां पर श्रद्धालु स्नान करते हैं.
गंगोत्री धाम से पहले गंगनानी में तप्त कुंड
गंगोत्री धाम से पहले गंगनानी में भी गर्म पानी का कुंड मौजूद हैं. जहां श्रद्धालु स्नान कर पुण्य लाभ कमाते हैं. माना जाता है कि इस स्थान पर पाराशर ऋषि ने तपस्या की थी. यहां से श्रद्धालु स्नान कर गंगोत्री पहुंचते हैं. इस कुंड का धार्मिक महत्व होने के साथ इससे स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है.
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बदरीनाथ धाम में नारद कुंड और सूर्य कुंड
बदरीनाथ में भी दो तप्त कुंड स्थित हैं, जो मंदिर के ठीक नीचे है. इन कुंडों को नारद कुंड और सूर्य कुंड के नाम से जाना जाता है. तीर्थयात्री मंदिर में जाने से पहले यहां पर स्नान करते हैं. आमतौर पर इन कुंड़ों का तापमान 55 डिग्री सेल्सियस रहता है. सल्फर युक्त पानी के इस कुंड को औषधीय माना जाता है.
केदारनाथ धाम से पहले गौरीकुंड में तप्त कुंड
केदारनाथ धाम की यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव गौरीकुंड है. जहां के तप्त कुंड को गौरीकुंड के नाम से जाना जाता है. साल 2013 में आई भीषण आपदा में गौरीकुंड पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था. आपदा के बाद प्राचीन तप्त कुंड से करीब 50 मीटर दूर और 10 फीट नीचे खिसक गया है. जहां पर गर्म पानी की धारा निकल रही है. अभी तक तप्त कुंड का पुननिर्माण नहीं हो पाया है.
पौराणिक कथाओं की मानें तो माता पार्वती ने अपने तप से इस कुंड का निर्माण किया था. इस तप्त कुंड का महत्व स्कंद पुराण में भी मिलता है. श्रद्धालु पहले इस तप्त कुंड में स्नान करते हैं, फिर केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान करते हैं. प्राकृतिक तौर पर गर्म पानी के स्रोत गंधक से निकलते हैं. गंधक का पानी चर्म रोगों से निदान के लिए काफी फायदेमंद होता है. ऊंचाई वाले क्षेत्रों में गर्म पानी में स्नान से थकावट दूर होता है.
वहीं, पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि साल 2013 में आई आपदा के बाद गौरीकुंड के तप्त कुंड ने अपना स्थान परिवर्तित कर लिया है. प्रोजेक्शन के लिए गढ़वाल मंडल विकास निगम को कार्यदायी संस्था बनाया गया है. जिसके तहत कुंड के समीप महिला और पुरुष स्नान गृह बनाया जा रहा है. जिसके बाद तप्त कुंड को बिना छेड़े वाटर पंप के माध्यम से कुंड के पानी को स्नान गृह तक पहुंचाया जाएगा. जिससे श्रद्धालु इन स्नान गृह में स्नान कर पाएंगे.