देहरादून: उत्तराखंड में ऊर्जा कर्मचारियों के आंदोलन से सरकार घबराहट में दिखाई दे रही है. शायद यही कारण है कि सुबह-सुबह सचिवालय में पहले सचिव ऊर्जा सौजन्या और अब शाम में मुख्य सचिव एसएस संधू ने कर्मचारियों से वार्ता की. बातचीत के दौरान सीएस ने कर्मचारियों को सभी मांगों को कैबिनेट में लाने की बात कही, लेकिन कर्मचारी अपने जिद पर अड़े रहे, और यह वार्ता विफल रही. जिसके बाद अपनी 14 सूत्रीय मांगों को लेकर ऊर्जा कर्मचारियों ने बीती (सोमवार) रात 12 बजे से हड़ताल शुरू कर दी है.
दरअसल, अब उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संघर्ष मोर्चा हड़ताल को लेकर आगे की रणनीति बना रहा है. उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संघर्ष मोर्चा ने जिस तरह से अपने आंदोलन को आगे बढ़ाया है, उससे लगता है कि शासन और सरकार अब उनकी मांगों को लेकर कुछ गंभीर हो गयी है. हड़ताल की घोषणा के साथ ही सचिव ऊर्जा सौजन्या ने कर्मचारियों को सचिवालय में बातचीत के लिए बुलाया था. करीब 4 घंटे तक चली यह वार्ता विफल रही. कर्मचारी सरकार को और समय देने को तैयार नहीं हुए.
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ऊर्जा सचिव सौजन्या से वार्ता विफल होने के बाद मुख्य सचिव ने कर्मचारियों को बातचीत के लिए बुलाया था. हालांकि, मुख्य सचिव और कर्मचारियों के बीच चल रही बातचीत भी बेनतीजा रही. उधर, ऊर्जा भवन में लगातार कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन चलता रहा. इस दौरान कर्मचारी ने नारेबाजी की. साथ ही ढोल दमाऊ के साथ सरकार से अपनी मांगों को पूरा करने की मांग कर रहे थे. शासन कर्मचारियों से 3 महीने का वक्त मांग रहा है लेकिन कर्मचारियों ने अब और वक्त नहीं देने के मूड में हैं, साथ ही उन्होंने शासन को हड़ताल करने का अल्टीमेटम दिया है.
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वहीं, 14 सूत्रीय मांगों को लेकर ऊर्जा निगमों के 10 संगठनों के 3500 से अधिक कर्मचारियों ने उत्तरांचल जल विद्युत निगम में सत्याग्रह किया. तीनों ऊर्जा निगम के कर्मचारियों ने उज्जवल से बल्लीवाला चौक स्थित ऊर्जा भवन तक रैली निकाल कर अपना विरोध जताया. कर्मचारियों ने यूजेवीएनएल मुख्यालय पर सत्याग्रह किया. उसके बाद सभी कर्मचारियों ने यूपीसीएल मुख्यालय तक विशाल रैली निकाली.
कर्मचारियों का कहना है कि उपनल संविदा और सेल्फ हेल्प कार्मिकों के समान कार्य के लिए समान वेतन देने, विभिन्न भत्ते देने सहित 14 सूत्रीय मांगों को लेकर उन्होंने हड़ताल करने का निर्णय लिया है. यदि उनकी मांगों को लेकर कोई समाधान नहीं निकला, तो कर्मचारियों को अनिश्चिकालीन हड़ताल पर जाने को मजबूर होना पड़ेगा. बता दें कि तीनों ऊर्जा निगम के कर्मचारी बीते 4 सालों से एसीपी की पुरानी व्यवस्था और उपनल के माध्यम से कार्योजित कार्मिकों के नियमितीकरण और समान कार्य समान वेतन की मांग को लेकर लामबंद हैं.