देहरादून: सीमांत प्रदेश होने के नाते उत्तराखंड का सामरिक महत्व हमेशा प्राथमिकता पर रहा है. प्रदेश में सामरिक जरूरतों की पूर्ति के लिए सेना और अर्द्धसैनिक बलों को देश के दूसरे राज्यों या अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठानों पर निर्भर रहना पड़ता है. ऐसे में त्रिवेंद्र सरकार रक्षा अनुसंधान और उत्पादन के क्षेत्र में उत्तराखंड को हब बनाने की कोशिशें कर रही है. त्रिवेंद्र सरकार प्रदेश में उपकरणों के निर्माण और मरम्मत से जुड़ी इकाई स्थापित करने की कोशिश कर रही है. फिलहाल, राज्य सरकार की प्राथमिकता सेना के लिहाज से अनुकूल भूमि का चयन करना है.
उत्तराखंड में रक्षा उद्योग लगाने वाली कंपनियों को राज्य सरकार कई तरह की सब्सिडी देगी. करीब 2 साल पहले त्रिवेंद्र सरकार सेना के वरिष्ठ अधिकारियों से इस मुद्दे पर बातचीत कर चुकी है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि पिछले 2 साल से सरकार रक्षा उद्योग स्थापित करने का प्रयास कर रही है. सेना से जुड़े उपकरण विदेशों से आते हैं. जबकि मरम्मत के लिए जम्मू-कश्मीर से लेकर दक्षिण भारत में उपकरणों को भेजा जाता है.
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उत्तराखंड एयरोस्पेस और रक्षा औद्योगिकी नीति-2020 के तहत देहरादून रक्षा उद्योग के लिए हब बन सकता है. इसके लिए राज्य सरकार ने अपने अधिकारियों को विदेश में भी अध्ययन के लिए भेजा था और एक एसोसिएशन का भी निर्माण किया था. फिलहाल, सरकार प्रदेश को डिफेंस हब के रूप में स्थापित करने के लिए सेना से बातचीत कर रही है.