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डेंगू के बाद सूबे में बढ़ा स्वाइन फ्लू का खतरा, स्वास्थ्य महकमा मुस्तैद

डेंगू के बाद अब सूबे में स्वाइन फ्लू का खतरा मंडरा रहा है. ऐसे में स्वास्थ्य महकमे को डेंगू के बाद स्वाइन फ्लू के वायरस के फैलने की  चिंता सताने लगी है. ऐसे में संक्रमण के रोकधाम के लिए स्वास्थ्य विभाग रणनीति बनाने में जुटा है. वहीं, लोगों में स्वाइन फ्लू का खौफ देखते हुए प्रशासन ने डॉक्टरों और मीडिया से इन्फ्लूएंजा शब्द के उपयोग करने की अपील की है.

स्वास्थ्य महकमा मुस्तैद
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Published : Oct 6, 2019, 2:53 PM IST

देहरादूनः डेंगू के बाद अब सूबे में स्वाइन फ्लू का खतरा मंडरा रहा है. ऐसे में स्वास्थ्य महकमे को डेंगू के बाद स्वाइन फ्लू के वायरस के फैलने की चिंता सताने लगी है. ऐसे में संक्रमण के रोकधाम के लिए स्वास्थ्य विभाग रणनीति बनाने में जुटा है. वहीं, लोगों में स्वाइन फ्लू का खौफ देखते हुए प्रशासन ने डॉक्टरों और मीडिया से इन्फ्लूएंजा शब्द के उपयोग करने की अपील की है.

स्वास्थ्य महकमा मुस्तैद

बता दें कि डेंगू से जूझ रहे प्रदेश को राहत अभी तक नहीं मिल पाई है. सूबे में अबतक 3000 से ज्यादा लोगों में डेंगू की पुष्टि हुई है. हालांकि, जन जागरुकता अभियान और स्वास्थ्य विभाग के कैंपों के कारण सूबे में डेंगू नियंत्रण में आने लगा है. वहीं, अब धीरे-धीरे स्वाइन फ्लू ने प्रदेश में अपने पैर पसारने शुरू कर दिये है. ऐसे में महकमे ने स्वाइन फ्लू से निपटने की तैयारी में जुटा है.

स्वास्थ्य विभाग ने एक बैठक में स्वाइन फ्लू का लोगों के दिमाग से दहशत को खत्म करने के लिए डॉक्टर और मीडिया से स्वाइन फ्लू के स्थान पर इसे इन्फ्लूएंजा कहने की अपील की है. जिससे लोगों के बीच पनप रही दहशत को खत्म किया जा सके. स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि मरीजों की लैब रिपोर्ट की पुष्टि होने के बाद ही स्वाइन फ्लू के मरीजों को आधिकारिक रूप से रिकॉर्ड में रखा जाएगा.

ये भी पढ़ेंःहरीश रावत ने ककड़ी पार्टी का किया आयोजन, शामिल हुए कई दिग्गज नेता

दरअसल, प्रदेश में तेजी से बढ़ते डेंगू के मामलों को लेकर विपक्ष ने सरकार और स्वास्थ्य महकमे पर कई सवाल खड़े किये थे. ऐसे में डेंगू के बाद स्वाइन फ्लू के मामले में स्वास्थ्य विभाग कोई कोताही नहीं बरतना चाहता. लिहाजा, लोगों में स्वाइन फ्लू का खौफ खत्म करने और उन्हें जागरुक करने के लिए स्वास्थ्य महकमे ने चिकित्सकों और मीडिया को स्वाइन फ्लू के स्थान पर इन्फ्लूएंजा शब्द को उपयोग करने की अपील की है.

इस पूरे मामले पर जानकारी देते हुए स्वास्थ्य महानिदेशक अमिता उप्रेती ने कहा कि प्रदेश में स्वाइन फ्लू या इन्फ्लूएंजा के कुछ ही मामले सामने आए हैं. लेकिन पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए स्वास्थ्य महकमा अभी से तैयार है. महकमे ने प्रचार-प्रसार करने की तैयारी शुरू कर की है. ताकि लोगों में इन्फ्लूएंजा को लेकर एवेयरनेस फैलाई जा सके.

देहरादूनः डेंगू के बाद अब सूबे में स्वाइन फ्लू का खतरा मंडरा रहा है. ऐसे में स्वास्थ्य महकमे को डेंगू के बाद स्वाइन फ्लू के वायरस के फैलने की चिंता सताने लगी है. ऐसे में संक्रमण के रोकधाम के लिए स्वास्थ्य विभाग रणनीति बनाने में जुटा है. वहीं, लोगों में स्वाइन फ्लू का खौफ देखते हुए प्रशासन ने डॉक्टरों और मीडिया से इन्फ्लूएंजा शब्द के उपयोग करने की अपील की है.

स्वास्थ्य महकमा मुस्तैद

बता दें कि डेंगू से जूझ रहे प्रदेश को राहत अभी तक नहीं मिल पाई है. सूबे में अबतक 3000 से ज्यादा लोगों में डेंगू की पुष्टि हुई है. हालांकि, जन जागरुकता अभियान और स्वास्थ्य विभाग के कैंपों के कारण सूबे में डेंगू नियंत्रण में आने लगा है. वहीं, अब धीरे-धीरे स्वाइन फ्लू ने प्रदेश में अपने पैर पसारने शुरू कर दिये है. ऐसे में महकमे ने स्वाइन फ्लू से निपटने की तैयारी में जुटा है.

स्वास्थ्य विभाग ने एक बैठक में स्वाइन फ्लू का लोगों के दिमाग से दहशत को खत्म करने के लिए डॉक्टर और मीडिया से स्वाइन फ्लू के स्थान पर इसे इन्फ्लूएंजा कहने की अपील की है. जिससे लोगों के बीच पनप रही दहशत को खत्म किया जा सके. स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि मरीजों की लैब रिपोर्ट की पुष्टि होने के बाद ही स्वाइन फ्लू के मरीजों को आधिकारिक रूप से रिकॉर्ड में रखा जाएगा.

ये भी पढ़ेंःहरीश रावत ने ककड़ी पार्टी का किया आयोजन, शामिल हुए कई दिग्गज नेता

दरअसल, प्रदेश में तेजी से बढ़ते डेंगू के मामलों को लेकर विपक्ष ने सरकार और स्वास्थ्य महकमे पर कई सवाल खड़े किये थे. ऐसे में डेंगू के बाद स्वाइन फ्लू के मामले में स्वास्थ्य विभाग कोई कोताही नहीं बरतना चाहता. लिहाजा, लोगों में स्वाइन फ्लू का खौफ खत्म करने और उन्हें जागरुक करने के लिए स्वास्थ्य महकमे ने चिकित्सकों और मीडिया को स्वाइन फ्लू के स्थान पर इन्फ्लूएंजा शब्द को उपयोग करने की अपील की है.

इस पूरे मामले पर जानकारी देते हुए स्वास्थ्य महानिदेशक अमिता उप्रेती ने कहा कि प्रदेश में स्वाइन फ्लू या इन्फ्लूएंजा के कुछ ही मामले सामने आए हैं. लेकिन पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए स्वास्थ्य महकमा अभी से तैयार है. महकमे ने प्रचार-प्रसार करने की तैयारी शुरू कर की है. ताकि लोगों में इन्फ्लूएंजा को लेकर एवेयरनेस फैलाई जा सके.

Intro:exclusive report

summary- डेंगू के बढ़ते मामलों से परेशान स्वास्थ्य महकमे ने अब नए खतरे पर काम करना शुरू कर दिया है...दरअसल महकमें को स्वाइन फ्लू के बढ़ने की चिंता सता रही है...जिसके लिए सबसे पहले स्वास्थ्य महकमा इस नाम के ख़ौफ़ को ही खत्म करने की कार्ययोजना बना रहा है...देखिये रिपोर्ट


Body:उत्तराखंड में डेंगू का ऐसा खौफ फैला की सरकारी अस्पताल से लेकर निजी अस्पतालों में मरीजों की लाइन लग गई... राज्य में 3000 से ज्यादा मरीजों में डेंगू की पुष्टि भी हो गई... लेकिन स्वास्थ्य महकमा लोगों में डेंगू नाम के डर से भयभीत होने को लेकर खासा परेशान रहा... वजह यह रही कि आम आदमी सामान्य बुखार जैसी स्थिति में भी डर के चलते निजी अस्पतालों में भर्ती होने लगा... हालांकि डेंगू को लेकर अब स्थितियां नियंत्रण में आने लगी है... लेकिन डेंगू के बाद अब स्वास्थ्य महकमे को स्वाइन फ्लू के बढ़ने का खतरा दिखने लगा है... लैक्मे ने स्वाइन फ्लू की तैयारियों को लेकर तो कसरत करनी शुरू कर ही दी है... साथ ही बैठने की सबसे पहली प्राथमिकता स्वाइन फ्लू नाम को ही खत्म करने की दिखाई दे रही है... दरअसल महकमा मानता है कि स्वाइन फ्लू के नाम से लोगों में दहशत फैल सकती है इसलिए अब स्वाइन फ्लू के जगह इसे इन्फ्लूएंजा कहने के लिए अपील की जा रही है... महकमे ने यह तय कर लिया है कि डॉक्टर्स और निजी नर्सिंग होम में भी इन्फ्लूएंजा कहकर ही मरीजों को उपचार दिया जाएगा... मरीजों में लैब से मिली रिपोर्ट से पुष्टि होने के बाद ही स्वाइन फ्लू के मरीजो का आधिकारिक रूप से रिकॉर्ड में रखा जाएगा।।। यहां तक कि मीडिया से भी इन्फ्लूएंजा शब्द का इस्तेमाल करने की भी अपील की गई है.... साफ है कि डेंगू में खराब हुए हालातों को स्वास्थ्य महकमा एक बार फिर नहीं दोहराना चाहता और इसलिए आप सबसे पहले मैच में ने स्वाइन फ्लू नाम को ही इस्तेमाल से बाहर करने की शुरुवात की है....

वाइट अमिता उप्रेती स्वास्थ्य महानिदेशक उत्तराखंड


Conclusion:उत्तराखंड में अभी स्वाइन फ्लू या इन्फ्लूएंजा के कुछ ही मामले सामने आए हैं लेकिन पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए और स्वास्थ्य महकमा कोई भी रिस्क लेने को तैयार नहीं दिख रहा है।।। बड़हल सबसे पहले महकमे ने प्रचार-प्रसार करने की तैयारी शुरू की है ताकि लोगों में इसको लेकर अवेयरनेस फैलाई जा सके।।।
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