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GDP को लेकर स्वामी अग्निवेश ने सरकार पर साधा निशाना, कहा- मजदूरों का ध्यान रखना जरूरी

स्वामी अग्निवेश ने देश में गिरती जीडीपी ग्रोथ को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने सरकार को सलाह दी कि अगर कारें नहीं होंगी तो भी देश जिंदा रहेगा, लेकिन किसान और मजदूर के न रहने पर समस्या होगी.

जीडीपी ग्रोथ पर स्वामी अग्निवेश का सरकार पर विरोध.
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Published : Oct 1, 2019, 12:45 PM IST

देहरादून: स्वामी अग्निवेश ने जीडीपी ग्रोथ को लेकर सरकार का विरोध किया है. उनके मुताबिक करीब 50 करोड़ संगठित लेबरों के लिए सरकार ने कोई गारंटी योजना नहीं बनाई है. संगठित सेक्टर के लिए सातवां वेतनमान लागू कर दिया गया है. जिनकी आय असंगठित सेक्टर में काम कर रहे वर्किंग क्लास से कहीं ज्यादा है.

उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर भी निशाना साधते हुए कहा है कि ऑटोमोबाइल और टैक्सटाइल्स सेक्टरों में आर्थिक मंदी है, लेकिन जिनके लिए बीते 40 सालों से काम हो रहा है, उन असंगठित बंधुआ मजदूरों की संख्या करीब 50 करोड़ है. स्वामी अग्निवेश का कहना है कि सरकार के पास इन मजदूरों के लिए न तो 100 दिन के रोजगार की गारंटी है और न ही मिनिमम वेज की गारंटी है. सरकार ने संगठित क्षेत्र को ध्यान मे रखते हुए सातवां वेतनमान लागू किया है.

जीडीपी ग्रोथ पर स्वामी अग्निवेश का सरकार पर विरोध.

यह भी पढ़ें: स्वामी अग्निवेश ने राम मंदिर को लेकर सरकार पर साधा निशाना, कहा- झगड़ा बेबुनियाद

यह उनके लिए है जो 24 से 25 हजार रुपये प्रति माह वेतन पाते हैं. जबकि इसकी तुलना में असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों को 7 से 8 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन मिलता है. स्वामी अग्निवेश ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के फैसले की निंदा करते हुए कहा कि वे ऑटोमोबाइल और बैंकों को बेलआउट कर रही हैं. उन्होंने सलाह दी कि अगर कारें नहीं होंगी तो भी देश जिंदा रहेगा, लेकिन किसान और मजदूर के न रहने पर समस्या होगी.

देहरादून: स्वामी अग्निवेश ने जीडीपी ग्रोथ को लेकर सरकार का विरोध किया है. उनके मुताबिक करीब 50 करोड़ संगठित लेबरों के लिए सरकार ने कोई गारंटी योजना नहीं बनाई है. संगठित सेक्टर के लिए सातवां वेतनमान लागू कर दिया गया है. जिनकी आय असंगठित सेक्टर में काम कर रहे वर्किंग क्लास से कहीं ज्यादा है.

उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर भी निशाना साधते हुए कहा है कि ऑटोमोबाइल और टैक्सटाइल्स सेक्टरों में आर्थिक मंदी है, लेकिन जिनके लिए बीते 40 सालों से काम हो रहा है, उन असंगठित बंधुआ मजदूरों की संख्या करीब 50 करोड़ है. स्वामी अग्निवेश का कहना है कि सरकार के पास इन मजदूरों के लिए न तो 100 दिन के रोजगार की गारंटी है और न ही मिनिमम वेज की गारंटी है. सरकार ने संगठित क्षेत्र को ध्यान मे रखते हुए सातवां वेतनमान लागू किया है.

जीडीपी ग्रोथ पर स्वामी अग्निवेश का सरकार पर विरोध.

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यह उनके लिए है जो 24 से 25 हजार रुपये प्रति माह वेतन पाते हैं. जबकि इसकी तुलना में असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों को 7 से 8 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन मिलता है. स्वामी अग्निवेश ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के फैसले की निंदा करते हुए कहा कि वे ऑटोमोबाइल और बैंकों को बेलआउट कर रही हैं. उन्होंने सलाह दी कि अगर कारें नहीं होंगी तो भी देश जिंदा रहेगा, लेकिन किसान और मजदूर के न रहने पर समस्या होगी.

Intro:स्वामी अग्निवेश ने देश में गिरती जीडीपी ग्रोथ पर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उनके मुताबिक करीब 50 करोड अन ऑर्गेनाइज्ड लेबरों के लिए सरकार ने कोई गारंटी योजना नहीं बनाई है जबकि ऑर्गेनाइज सेक्टर के लिए सातवां वेतनमान लागू कर दिया गया जिनकी आय अनऑर्गेनाइज सेक्टर में काम कर रहे वर्किंग क्लास से कहीं ज्यादा है। स्वामी अग्निवेश ने वित्त मंत्री सीतारमण पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वे ऑटोमोबाइल और बैंकिंग सेक्टर को बेलआउट करने में लगी हुई है। इसकी बजाय यदि किसानों को बेलआउट किया होता तो पूरा देश आज बेलआउट हो जाता।


Body: स्वामी अग्निवेश ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ऑटोमोबाइल टैक्सटाइल्स सेक्टरों में आर्थिक मंदी की खबरें आ रही हैं लेकिन वो खुद जिनके लिये बीते 40 वर्षों से काम कर रहे हैं, उन असंगठित बंधुआ मजदूरों की संख्या करीब 50 करोड़ है। सरकार के पास उनके लिए ना तो 100 दिन के रोजगार की गारंटी है और ना ही मिनिमम वेज की गारंटी है, उनके लिए देश में कहीं कोई बात नहीं हो रही है। सरकार ने खुद बजट पेश करते हुए कहा था कि इन सभी का जीडीपी ग्रोथ में 50 प्रतिशत का योगदान रहा हैं। सरकार संगठित क्षेत्र को ध्यान मे रखते हुए सातवां वेतनमान लागू करती है। वो भी उनके लिए जो 24 से 25 हज़ार रुपये प्रति माह वेतन पाते हैं, जबकि इसकी तुलना में असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले को 7 से 8 हज़ार रुपये प्रतिमाह वेतन मिलता है, आखिर इतना बड़ा अंतर क्यों है ? यह अंतर दरअसल नहीं होना चाहिए। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट और हिस्टोरिकल लैंडमार्क जजमेंट यह बताते हैं कि संगठित और असंगठित क्षेत्रों में समानता होनी चाहिए।
स्वामी अग्निवेश ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के उस फैसले की भी निंदा करते हुए कहा कि वे ऑटोमोबाइल और बैंकों को बेलआउट कर रही हैं। उन्होंने सलाह दी कि यदि कारे नहीं होंगी तो भी देश जिंदा रहेगा पर यदि किसान, मजदूर नहीं रहेंगें तो फिर क्या बचेगा? सरकार की प्राथमिकता यह होनी चाहिए कि अगर गरीबी मिटानी है तो गरीबों को उनका पूरा हक मिले।

बाईट-स्वामी अग्निवेश


Conclusion:स्वामी अग्निवेश ने दरअसल संगठित और असंगठित क्षेत्रों की तुलना करते हुए कहा कि सरकार ने असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले बंधुआ मजदूरों के बारे में कुछ नहीं सोचा जिनकी संख्या करीब 50 करोड़ है,और जिनका प्रतिमाह का वेतन बेहद कम है। जबकि संगठित क्षेत्र के लिए सातवां वेतनमान लागू कर दिया जिनका प्रतिमाह का वेतन असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले वर्किंग क्लास से कहीं अधिक है।
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