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कृषि मंत्री ने हर्बेरियम म्यूजियम का किया लोकार्पण, जड़ी-बूटियों के संरक्षण में मिलेगी मदद

कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने देहरादून से गोपेश्वर के जड़ी-बूटी शोध एवं विकास संस्थान में हर्बेरियम म्यूजियम और दृश्य श्रव्य कक्ष का वर्चुअल लोकार्पण किया.

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सुबोध उनियाल
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Published : Jul 30, 2020, 10:08 PM IST

देहरादूनः गोपेश्वर के जड़ी-बूटी शोध एवं विकास संस्थान में हर्बेरियम म्यूजियम और दृश्य श्रव्य कक्ष का लोकार्पण किया गया. जिसका शुभारंभ कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने अपने आवास से ऑनलाइन किया. माना जा रहा है कि अब जड़ी-बूटियों के संरक्षण और कृषिकरण में सहायता मिल सकेगी.

जड़ी-बूटियों के संरक्षण में मिलेगी मदद.

प्रदेश को जड़ी-बूटी के क्षेत्र में उन्नत करने के लिए तमाम शोध संस्थानों की अहम भूमिका है. इसी को देखते हुए जड़ी-बूटियों से जुड़े शोध एवं विकास संस्थान को इंफ्रास्ट्रक्चर के लिहाज से मजबूत किया जा रहा है. इसी कड़ी में विकास संस्थान में हर्बेरियम, म्यूजियम और दृश्य श्रव्य कक्ष का लोकार्पण किया गया. म्यूजियम की स्थापना के बाद यहां औषधीय पादपों से जुड़े 100 प्रकार के उत्पादों के निर्माण का लक्ष्य तय किया गया है.

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वहीं, उत्पादों के निर्माण की तकनीक को प्रशिक्षण के बाद किसानों को सौंपा जाएगा. जिससे इसका कृषिकरण भी बेहतर तरीके से हो सके. किसानों के उत्पाद में बढ़ोतरी कर उन्हें आसानी से बाजार भी मिल सके. उधर, दृश्य श्रव्य कक्ष के जरिए किसानों, शोधार्थियों, प्रशिक्षणार्थियों और विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राओं को भी डिजिटल माध्यम से प्रशिक्षण दिया जा सकेगा.

देहरादूनः गोपेश्वर के जड़ी-बूटी शोध एवं विकास संस्थान में हर्बेरियम म्यूजियम और दृश्य श्रव्य कक्ष का लोकार्पण किया गया. जिसका शुभारंभ कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने अपने आवास से ऑनलाइन किया. माना जा रहा है कि अब जड़ी-बूटियों के संरक्षण और कृषिकरण में सहायता मिल सकेगी.

जड़ी-बूटियों के संरक्षण में मिलेगी मदद.

प्रदेश को जड़ी-बूटी के क्षेत्र में उन्नत करने के लिए तमाम शोध संस्थानों की अहम भूमिका है. इसी को देखते हुए जड़ी-बूटियों से जुड़े शोध एवं विकास संस्थान को इंफ्रास्ट्रक्चर के लिहाज से मजबूत किया जा रहा है. इसी कड़ी में विकास संस्थान में हर्बेरियम, म्यूजियम और दृश्य श्रव्य कक्ष का लोकार्पण किया गया. म्यूजियम की स्थापना के बाद यहां औषधीय पादपों से जुड़े 100 प्रकार के उत्पादों के निर्माण का लक्ष्य तय किया गया है.

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वहीं, उत्पादों के निर्माण की तकनीक को प्रशिक्षण के बाद किसानों को सौंपा जाएगा. जिससे इसका कृषिकरण भी बेहतर तरीके से हो सके. किसानों के उत्पाद में बढ़ोतरी कर उन्हें आसानी से बाजार भी मिल सके. उधर, दृश्य श्रव्य कक्ष के जरिए किसानों, शोधार्थियों, प्रशिक्षणार्थियों और विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राओं को भी डिजिटल माध्यम से प्रशिक्षण दिया जा सकेगा.

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