मसूरीः अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET) के विरोध में एमपीजी कॉलेज मसूरी में तालाबंदी कर विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान छात्रों ने केंद्र सरकार और शिक्षा मंत्री के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. साथ ही मेरिट के आधार पर छात्र-छात्राओं को एडमिशन देने को कहा. एबीवीपी संगठन से जुड़े छात्रों का कहना है अगर सीयूईटी को नहीं हटाया जाता तो वो अपने आंदोलन को उग्र करेंगे.
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के नगर मंत्री अमित पंवार, छात्र नेता मोहन शाही, रितिक कैंतुरा और शीला ने एमपीजी कॉलेज में स्नातक और स्नातकोत्तर में प्रवेश के लिए सीयूईटी से राहत देने की मांग की. उनका कहना है एमपीजी कॉलेज मसूरी हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विवि से संबद्ध अशासकीय कॉलेज हैं. ऐसे में कॉलेज में दाखिले के लिए सीयूईटी पास करना अनिवार्य है, लेकिन जानकारी के अभाव में ज्यादातर छात्रों ने सीयूईटी नहीं दिया. ऐसे में उन्हें दाखिला नहीं मिल पा रहा है.
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उन्होंने कहा कि म्युनिसिपल पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज मसूरी (एमपीजी कॉलेज) में आस पास के तीन विधानसभा क्षेत्रों के छात्र पढ़ने के लिए आते हैं. पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण उनके यहां इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या है. ऐसे में दूर दराज के रहने वाले छात्रों को सीयूईटी के बारे में जानकारी नहीं मिल पाई. ऐसे में उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की है कि इस साल सीयूईटी में छूट देकर मेरिट के आधार पर छात्रों को एडमिशन करवाया जाए.
छात्रों का कहना है कि देहरादून और मसूरी के करीब 10 कॉलेजों में 60 फीसदी सीटें खाली हैं. ऐसे में बिना सीयूईटी कॉलेजों में प्रवेश देना चाहिए. एबीवीपी के नगर मंत्री अमित पंवार और छात्रसंध अध्यक्ष प्रीतम लाल ने कहा कि तमाम छात्र सीयूईटी नहीं दे पाए हैं. दोबारा सीयूईटी होता है तो पहाड़ी इलाकों के छात्रों के लिए 50 फीसदी सीटें आरक्षित रखी जाएं, ताकि उनको प्रवेश का मौका मिल सके. इन मांगों पर तत्काल कार्रवाई नहीं हुई तो वो बड़ा आंदोलन करेंगे.
अमित पंवार का कहना है कि पिछले दो महीने से छात्र सीयूईटी और समर्थ पोर्टल के माध्यम से होने वाले प्रवेश की दिक्कतों से जूझ रहे हैं. सीयूईटी हो या समर्थ पोर्टल, दोनों ही व्यवस्था बिना तैयारी के लागू की गई हैं. इनके बारे में छात्रों को पहले से जागरूक नहीं किया गया. प्रदेश की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण ज्यादातर छात्र केंद्रीय विवि में प्रवेश के लिए सीयूईटी परीक्षा नहीं दे पाए.
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वहीं, सीयूईटी के परीक्षा केंद्र भी प्रदेश से दूर अन्य राज्यों में बनाए गए थे. जिसके कारण भी छात्र परीक्षा से वंचित रह गए. उन्होंने कहा कि प्रदेश के सत्ता पक्ष, विपक्ष के नेताओं को केंद्रीय शिक्षा मंत्री, यूजीसी को प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों से अवगत कराने की जरूरत है, ताकि छात्रों का साल बर्बाद होने से बचाया जा सके.