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राजधानी की सड़कों पर आवारा पशु बने परेशानी का सबब, जिम्मेदार अधिकारी दे रहे ये दलील - stray animals

देहरादून शहर में आज भी सड़क में घूमते आवारा पशु लोगों के लिए परेशानियों का सबब बने हुए हैं. दून नगर निगम के सभी 100 वार्डों में लगभग 1500 के आसपास छोटी- बड़ी गौशालाएं मौजूद हैं. जिसमें 20,000 से ज्यादा गोवंश पल रहे हैं.

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देहरादून की सड़कों पर आवारा पशुओं का आतंक.
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Published : Jul 15, 2020, 3:40 PM IST

Updated : Jul 15, 2020, 8:34 PM IST

देहरादून: स्मार्ट सिटी की ओर बढ़ते देहरादून शहर में आज भी सड़क में घूमते आवारा पशु लोगों के लिए परेशानियों का सबब बने हुए हैं. स्थिति यह है कि शहर की विभिन्न मुख्य सड़कों में लॉकडाउन के बाद से ही आवारा पशु घूमते दिखाई दे रहे हैं. जिसकी वजह से सड़क दुर्घटना का खतरा बढ़ गया है. वहीं, दूसरी तरफ कई बार इन आवारा पशुओं की वजह से जाम की स्थिति भी पैदा हो जाती है.

बात अगर गोवंशों की करें तो दून नगर निगम के सभी 100 वार्डों में लगभग 1500 के आसपास छोटी- बड़ी गौशालाएं मौजूद हैं. जिसमें 20,000 से ज्यादा गोवंश पल रहे हैं. लेकिन अक्सर गौशाला संचालक रात के समय अपने पशुओं को सड़क पर आवारा छोड़ देते हैं, जिसकी वजह से लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है. वहीं, नगर निगम प्रशासन इसे लेकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ता दिखाई दे रहा है.

देहरादून की सड़कों पर आवारा पशुओं का आतंक.

पढ़ें- भूख के आगे बेबस जिंदगी : कूड़ेदान में पड़ा दूषित भोजन खाने को मजबूर हुआ इंसान

क्या कहना है गौशाला संचालकों का

ईटीवी भारत से बात करते हुए गौशाला संचालक राजकुमार शर्मा बताते हैं कि लॉकडाउन के शुरूआती दिनों में अचानक ही चारे के दाम में काफी उछाल देखने को मिला. जो चारा सामान्य दिनों में प्रति क्विंटल 800 रुपए पर मिल जाया करता था, वहीं चारा प्रति क्विंटल 1400 से 1500 रुपए प्रति क्विंटल की दर पर बेचा गया. ऐसे में पहले ही आर्थिक तंगी से जूझ रहे कई गौशाला संचालकों ने मजबूरन अपने पशुओं को सड़क में छोड़ना शुरू कर दिया.

इन कारणों से सड़क पर घूमते हैं आवारा पशु

राजधानी में कई ऐसी गौशालाएं हैं जिनकी क्षमता 5 से दस पशु रखने की है, लेकिन वहां 15 से 20 पशुओं को रखा जाता है. ऐसे में जब एक दुधारू पशु दूध देना बंद कर देती है तो लोग अक्सर अपने पशु को सड़क पर आवारा छोड़ देते हैं.

टैगिंग का काम नहीं हुआ पूरा

नगर निगम की ओर से अब तक गौशालाओं में पल रहे सभी पशुओं की टैगिंग का कार्य पूरा नहीं किया जा सका है. जानकारी के लिए बता दें कि देहरादून शहर में अब तक महज 15% पशुओं की ही टैगिंग की गई है. जिसकी वजह से सड़क पर आवारा घूमते किसी गोवंश को यदि नगर निगम अपनी गौशाला पर ले भी जाती है तो गोवंश के मालिक का पता नहीं लगा पाता. यही कारण है कि गौशाला संचालक आज भी निडर होकर अपने गोवंश को सड़कों पर आवारा घूमने के लिए छोड़ देते हैं.

शहर में आज भी हैं कई ऐसी गौशालाएं

कई गौशालाएं नगर निगम के बाइलॉज के विपरीत संचालित हो रही है. ऐसे में नगर निगम प्रशासन को जरूरत है कि वह गौशालाओं का निरीक्षण कर ऐसी गौशाला संचालकों के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाएं जो बाइलॉज के तहत तैयार नहीं की गई हैं.

मुख्य नगर आयुक्त ने दी ये दलील

सड़कों पर आवारा घूमते गोवंशों के संबंध में जब मुख्य नगर आयुक्त देहरादून विनय शंकर पांडे से सवाल किया तो वह नगर निगम प्रशासन की मजबूरियों का हवाला देने लगे. उनके मुताबिक स्टाफ की कमी के बावजूद सड़क में घूमते आवारा पशुओं को निरंतर नगर निगम प्रशासन अपनी गौशालाओं में ले जाने के कार्य में जुटा हुआ है. लेकिन यह जिम्मेदारी अकेले नगर निगम प्रशासन की नहीं है. आम नागरिक के साथ ही गौशाला संचालकों को भी इस बात को समझना होगा कि वह अपने पशुओं को सड़क पर आवारा न छोड़ें. नगर निगम प्रशासन सड़क पर आवारा घूमते पशुओं के मालिकों के खिलाफ चालान की कार्रवाई भी करता है. लेकिन इसके बावजूद लोग बार-बार अपने पशुओं को सड़क में आवारा छोड़ देते हैं.

बहरहाल, इसमें कोई दो राय नहीं कि सड़कों पर आवारा घूमते पशुओं के लिए नगर निगम प्रशासन के साथ ही वह गौशाला संचालक भी जिम्मेदार हैं, जो अपने पशुओं को सड़कों पर आवारा छोड़ देते हैं. लेकिन कहीं न कहीं नगर निगम प्रशासन को अब इस समस्या से निपटने के लिए सख्ती बरतने की जरूरत है. जब तक नगर निगम प्रशासन सभी गोवंशों की टैगिंग का कार्य पूर्ण नहीं कर लेता, तब तक दून वासियों को सड़क पर आवारा घूमते पशुओं से निजात नहीं मिलने वाली है.

देहरादून: स्मार्ट सिटी की ओर बढ़ते देहरादून शहर में आज भी सड़क में घूमते आवारा पशु लोगों के लिए परेशानियों का सबब बने हुए हैं. स्थिति यह है कि शहर की विभिन्न मुख्य सड़कों में लॉकडाउन के बाद से ही आवारा पशु घूमते दिखाई दे रहे हैं. जिसकी वजह से सड़क दुर्घटना का खतरा बढ़ गया है. वहीं, दूसरी तरफ कई बार इन आवारा पशुओं की वजह से जाम की स्थिति भी पैदा हो जाती है.

बात अगर गोवंशों की करें तो दून नगर निगम के सभी 100 वार्डों में लगभग 1500 के आसपास छोटी- बड़ी गौशालाएं मौजूद हैं. जिसमें 20,000 से ज्यादा गोवंश पल रहे हैं. लेकिन अक्सर गौशाला संचालक रात के समय अपने पशुओं को सड़क पर आवारा छोड़ देते हैं, जिसकी वजह से लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है. वहीं, नगर निगम प्रशासन इसे लेकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ता दिखाई दे रहा है.

देहरादून की सड़कों पर आवारा पशुओं का आतंक.

पढ़ें- भूख के आगे बेबस जिंदगी : कूड़ेदान में पड़ा दूषित भोजन खाने को मजबूर हुआ इंसान

क्या कहना है गौशाला संचालकों का

ईटीवी भारत से बात करते हुए गौशाला संचालक राजकुमार शर्मा बताते हैं कि लॉकडाउन के शुरूआती दिनों में अचानक ही चारे के दाम में काफी उछाल देखने को मिला. जो चारा सामान्य दिनों में प्रति क्विंटल 800 रुपए पर मिल जाया करता था, वहीं चारा प्रति क्विंटल 1400 से 1500 रुपए प्रति क्विंटल की दर पर बेचा गया. ऐसे में पहले ही आर्थिक तंगी से जूझ रहे कई गौशाला संचालकों ने मजबूरन अपने पशुओं को सड़क में छोड़ना शुरू कर दिया.

इन कारणों से सड़क पर घूमते हैं आवारा पशु

राजधानी में कई ऐसी गौशालाएं हैं जिनकी क्षमता 5 से दस पशु रखने की है, लेकिन वहां 15 से 20 पशुओं को रखा जाता है. ऐसे में जब एक दुधारू पशु दूध देना बंद कर देती है तो लोग अक्सर अपने पशु को सड़क पर आवारा छोड़ देते हैं.

टैगिंग का काम नहीं हुआ पूरा

नगर निगम की ओर से अब तक गौशालाओं में पल रहे सभी पशुओं की टैगिंग का कार्य पूरा नहीं किया जा सका है. जानकारी के लिए बता दें कि देहरादून शहर में अब तक महज 15% पशुओं की ही टैगिंग की गई है. जिसकी वजह से सड़क पर आवारा घूमते किसी गोवंश को यदि नगर निगम अपनी गौशाला पर ले भी जाती है तो गोवंश के मालिक का पता नहीं लगा पाता. यही कारण है कि गौशाला संचालक आज भी निडर होकर अपने गोवंश को सड़कों पर आवारा घूमने के लिए छोड़ देते हैं.

शहर में आज भी हैं कई ऐसी गौशालाएं

कई गौशालाएं नगर निगम के बाइलॉज के विपरीत संचालित हो रही है. ऐसे में नगर निगम प्रशासन को जरूरत है कि वह गौशालाओं का निरीक्षण कर ऐसी गौशाला संचालकों के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाएं जो बाइलॉज के तहत तैयार नहीं की गई हैं.

मुख्य नगर आयुक्त ने दी ये दलील

सड़कों पर आवारा घूमते गोवंशों के संबंध में जब मुख्य नगर आयुक्त देहरादून विनय शंकर पांडे से सवाल किया तो वह नगर निगम प्रशासन की मजबूरियों का हवाला देने लगे. उनके मुताबिक स्टाफ की कमी के बावजूद सड़क में घूमते आवारा पशुओं को निरंतर नगर निगम प्रशासन अपनी गौशालाओं में ले जाने के कार्य में जुटा हुआ है. लेकिन यह जिम्मेदारी अकेले नगर निगम प्रशासन की नहीं है. आम नागरिक के साथ ही गौशाला संचालकों को भी इस बात को समझना होगा कि वह अपने पशुओं को सड़क पर आवारा न छोड़ें. नगर निगम प्रशासन सड़क पर आवारा घूमते पशुओं के मालिकों के खिलाफ चालान की कार्रवाई भी करता है. लेकिन इसके बावजूद लोग बार-बार अपने पशुओं को सड़क में आवारा छोड़ देते हैं.

बहरहाल, इसमें कोई दो राय नहीं कि सड़कों पर आवारा घूमते पशुओं के लिए नगर निगम प्रशासन के साथ ही वह गौशाला संचालक भी जिम्मेदार हैं, जो अपने पशुओं को सड़कों पर आवारा छोड़ देते हैं. लेकिन कहीं न कहीं नगर निगम प्रशासन को अब इस समस्या से निपटने के लिए सख्ती बरतने की जरूरत है. जब तक नगर निगम प्रशासन सभी गोवंशों की टैगिंग का कार्य पूर्ण नहीं कर लेता, तब तक दून वासियों को सड़क पर आवारा घूमते पशुओं से निजात नहीं मिलने वाली है.

Last Updated : Jul 15, 2020, 8:34 PM IST
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