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अमर प्रेम का प्रतीक है 'लैला' और 'मजनू' की दास्तां-ए-मोहब्बत

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Published : Feb 14, 2020, 12:38 PM IST

लैला-मजनू की कहानी के पिछले भाग में हमने बताया था, कि लैला और कैस की मुलाकात मदरसे में हुई. दोनों एक-दूसरे को देखते ही दिल दे बैठे. मदरसे के मौलवी की शिकायत पर दोनों को अलग कर दिया गया. इस कहानी के दूसरे भाग में जानिए कि दोनों, क्या फिर मिल पाते हैं और क्या उनका प्यार मुकम्मल हो पाता है.

'लैला' और 'मजनू' की दास्तां-ए-मोहब्बत
'लैला' और 'मजनू' की दास्तां-ए-मोहब्बत

जयपुर: पिछले भाग में हमने आपको लैला और कैस के बिछड़ने की वजह बताई थी. मौलवी ने जब कैस को अल्लाह लिखने को कहा, तो उसने बजाए अल्लाह लिखने के लैला लिखा, मौलवी के बार-बार कहने पर भी कैस ने उनकी बात नहीं मानी और लैला-लैला लिखता गया. इस बात से गुस्साए मौलवी ने उसे स्केल से मारना शुरू कर दिया. जिसकी निशान लैला के हाथों पर भी पड़ने लगे. यह देखकर मौलवी भी अंचभित हो गए. ऐसा कभी न किसी ने सुना था, नही देखा था कि चोट एक को लगे और दर्द दूसरे को हो, इसलिए इस अजीब वाकए को मौलवी ने दोनों के घरवालों को बताया. इसके बाद दोनों को दूर कर दिया गया. लैला को उसके अब्बू ने मदरसे से निकलवा दिया.

'लैला' और 'मजनू' की दास्तां-ए-मोहब्बत

समय बदला, पर मोहब्बत नहीं...

समय का पहिया आगे बढ़ा. लैला और कैस अब बड़े हो चुके थे. एक-दूसरे से न मिलकर दोनों बस यादों में ही खोए थे. लैला बड़ी होकर बला की खूबसूरत हो चुकी थी. कैस भी किसी गबरू मुंडे से कम नहीं था.

यह भी पढे़ं- दास्तां-ए-मोहब्बत: प्यार की एक ऐसी कहानी, जो अधूरी होकर भी है मुकम्मल

और जब मेले में मिले दोनों...

एक बार लैला और कैस दोनों एक ही मेले में पहुंचे. कैस की निगाहें लैला को ही ढूंढ रही थी. यहां दोनों ने एक-दूसरे को देखते ही पहचान लिया. लैला का दीदार पाकर कैस उस दिन बहुत खुश हुआ. लैला भी अपने बचपन के प्यार को देखकर उतनी ही खुश थी, मानों किसी पंछी को उसके टूटे हुए पंख मिल गए हो. दोनों पेड़ किनारें जाकर सुकून की तलाश में एक-दूजे में खो गए और इस प्रकार धीरे-धीरे दोनों का प्यार परवान चढ़ता गया. कैस लैला के लिए शायरी लिखने लगा. लैला और कैस बस एक-दूसरे में खो चुके थे. उन्हें न समाज की परवाह थी, न अपने घरवालों की.

इस बात की खबर जब लैला और कैस के घरवालों को लगी तो उन्होंने प्रेम को गलत ठहराते हुए का दोनों प्यार के परिंदों को अलग करने की ठान ली. लैला के घर वालों को कैस पसंद नहीं था. उन्होंने लैला की शादी कहीं और करवाने की सोच ली और लैला को घर में कैद कर लिया गया.

कैस का नाम हो गया 'मजनू'...

कैस को जब इस बात का पता लगा तो वह लैला के प्यार में मारा-मारा दर-दर भटकने लगा और लैला-लैला पुकारने लगा. इसके बाद उसके हालात बुरी होती गई. कैस जहां भी जाता उसे लोग मजनू-मजनू कहकर पुकारने लगते और पागल समझकर उसे पत्थरों से पीटने लगते. (मजनूं एक अरेबिक शब्द है, जिसका मतलब होता है, पागल. अंग्रेज़ी में जिसे ‘क्रेजी कहते हैं. )

लैला की किसी और से हुई शादी...

लैला और कैस की तमाम कोशिशों के बाद भी लैला के घरवालों ने उसकी शादी बख्त नाम के शख्स से करा देते हैं. लैला की भले ही शादी हो चुकी हो, लेकिन दिल से अभी भी वह मजनूं की ही थी. लैला ने अपने शौहर को अपनाने से इंकार कर दिया और उससे यह बात साफ कह दी वह मजनूं से ही प्रेम करती है. यब बात सुनकर बख्त बौखला उठा और लैला को यात्नाएं देने लगा. इसके बावजूद ला ने अपने शौहर से साफ-साफ इंकार कर दिया कि वह मजनूं के अलावा किसी और की नहीं हो सकती.

यह भी पढ़ेंः मसूरी से 1843 में लिखा गया था पहला वैलेंटाइन डे का खत, ये है आधार

लैला की ऐसी हालत देखकर बख्त को भी ताज्जुब होने लगा कि, ऐसा प्यार कोई किसी से कैसे कर सकता है. उसने लैला से कहा कि वह उसे तलाक दे देगा, बस एक बार वह मजनूं से मिलना चाहता है. बख्त मजनूं की खोज में निकल पड़ा. उसने लैला को भी अपने साथ ले लिया.

यह भी पढे़ं- दिल के एहसास को जुबां पर लाने का दिन 'वैलेंटाइन डे', कपल्स ने कुछ यूं किया मोहब्बत का इजहार

मजनू ने जब लैला की ऐसी हालत सुनी, तो वह उससे मिलने के लिए अरब के तपते रेगिस्तानों में गिरता-पड़ता गर्म धूल की थपेड़ों में मारा-मारा फिरता हुआ निकल पड़ा. यही कारण है कि जब लोग मजनू को भगाने के लिए पत्थर मारने लगे थे, तो लैला जख्मी हो रही थी. आखिरकार रेगिस्तान में बख्त को मजनू जख्मी हालत में मिला. मजनू को देखकर लैला और तड़प उठी. यहां बख्त ने उससे पूछा कि, आखिर उसके पास ऐसा क्या है जो मेरे पास नहीं, इस पर मजनू ने जवाब दिया लैला का प्यार, उसकी चाहत.

बख्त की आंखों में मजनू के खून की प्यास थी. मजनू की बातें बख्त को बुरी तरह से चुभ गई और उसने तलवार निकालकर मजनू के सीने में गोभ दी. मजनू के घायल होने पर लैला भी मूर्छित हो जाती है. जैसा कि कहानियों में विदित है कि दोनों के प्यार में इतनी सच्चाई थी कि चोट एक को लगने पर, उसका असर दूसरे पर भी पड़ता था.

इस तरह से दो प्यार करने वाले मरकर भी अमर हो गए. जिन्हें न समाज के बंदिशे जुदा कर पाई और न ही घरवाले. दोनों ने एक-दूसरे के साथ जी तो नहीं पाए, लेकिन मौत ने इन्हें एक कर दिया.

राजस्थान के अनूपगढ़ में है दोनों की मजार...

लैला और मजनू की जहां मौत हुई. उसी जगह दोनों के अमर प्रेम की यह कहानी दफन होकर रह गई. यहां दोनों की साथ में ही मजार बनाई गई. वह जगह पाकिस्तानी बार्डर से 2 किमी अंदर भारत के राजस्थान के अनूपगढ़ में आता है.

यहां प्यार की मन्नत मांगते आते हैं प्रेमी जोड़े...

इस मजार में हर 15 जून को मेला भरता है. जहां हजारों की संख्या में प्रेमी जोड़े अपने प्यार की सलामती के लिए मन्नत मांगने आते हैं. कहते हैं कि यहां जो भी माथा टेकता है उसे उसका प्यार जरूर मिलता है. इसी आश में हर साल यहां भारी भीड़ जुटती है.

जयपुर: पिछले भाग में हमने आपको लैला और कैस के बिछड़ने की वजह बताई थी. मौलवी ने जब कैस को अल्लाह लिखने को कहा, तो उसने बजाए अल्लाह लिखने के लैला लिखा, मौलवी के बार-बार कहने पर भी कैस ने उनकी बात नहीं मानी और लैला-लैला लिखता गया. इस बात से गुस्साए मौलवी ने उसे स्केल से मारना शुरू कर दिया. जिसकी निशान लैला के हाथों पर भी पड़ने लगे. यह देखकर मौलवी भी अंचभित हो गए. ऐसा कभी न किसी ने सुना था, नही देखा था कि चोट एक को लगे और दर्द दूसरे को हो, इसलिए इस अजीब वाकए को मौलवी ने दोनों के घरवालों को बताया. इसके बाद दोनों को दूर कर दिया गया. लैला को उसके अब्बू ने मदरसे से निकलवा दिया.

'लैला' और 'मजनू' की दास्तां-ए-मोहब्बत

समय बदला, पर मोहब्बत नहीं...

समय का पहिया आगे बढ़ा. लैला और कैस अब बड़े हो चुके थे. एक-दूसरे से न मिलकर दोनों बस यादों में ही खोए थे. लैला बड़ी होकर बला की खूबसूरत हो चुकी थी. कैस भी किसी गबरू मुंडे से कम नहीं था.

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और जब मेले में मिले दोनों...

एक बार लैला और कैस दोनों एक ही मेले में पहुंचे. कैस की निगाहें लैला को ही ढूंढ रही थी. यहां दोनों ने एक-दूसरे को देखते ही पहचान लिया. लैला का दीदार पाकर कैस उस दिन बहुत खुश हुआ. लैला भी अपने बचपन के प्यार को देखकर उतनी ही खुश थी, मानों किसी पंछी को उसके टूटे हुए पंख मिल गए हो. दोनों पेड़ किनारें जाकर सुकून की तलाश में एक-दूजे में खो गए और इस प्रकार धीरे-धीरे दोनों का प्यार परवान चढ़ता गया. कैस लैला के लिए शायरी लिखने लगा. लैला और कैस बस एक-दूसरे में खो चुके थे. उन्हें न समाज की परवाह थी, न अपने घरवालों की.

इस बात की खबर जब लैला और कैस के घरवालों को लगी तो उन्होंने प्रेम को गलत ठहराते हुए का दोनों प्यार के परिंदों को अलग करने की ठान ली. लैला के घर वालों को कैस पसंद नहीं था. उन्होंने लैला की शादी कहीं और करवाने की सोच ली और लैला को घर में कैद कर लिया गया.

कैस का नाम हो गया 'मजनू'...

कैस को जब इस बात का पता लगा तो वह लैला के प्यार में मारा-मारा दर-दर भटकने लगा और लैला-लैला पुकारने लगा. इसके बाद उसके हालात बुरी होती गई. कैस जहां भी जाता उसे लोग मजनू-मजनू कहकर पुकारने लगते और पागल समझकर उसे पत्थरों से पीटने लगते. (मजनूं एक अरेबिक शब्द है, जिसका मतलब होता है, पागल. अंग्रेज़ी में जिसे ‘क्रेजी कहते हैं. )

लैला की किसी और से हुई शादी...

लैला और कैस की तमाम कोशिशों के बाद भी लैला के घरवालों ने उसकी शादी बख्त नाम के शख्स से करा देते हैं. लैला की भले ही शादी हो चुकी हो, लेकिन दिल से अभी भी वह मजनूं की ही थी. लैला ने अपने शौहर को अपनाने से इंकार कर दिया और उससे यह बात साफ कह दी वह मजनूं से ही प्रेम करती है. यब बात सुनकर बख्त बौखला उठा और लैला को यात्नाएं देने लगा. इसके बावजूद ला ने अपने शौहर से साफ-साफ इंकार कर दिया कि वह मजनूं के अलावा किसी और की नहीं हो सकती.

यह भी पढ़ेंः मसूरी से 1843 में लिखा गया था पहला वैलेंटाइन डे का खत, ये है आधार

लैला की ऐसी हालत देखकर बख्त को भी ताज्जुब होने लगा कि, ऐसा प्यार कोई किसी से कैसे कर सकता है. उसने लैला से कहा कि वह उसे तलाक दे देगा, बस एक बार वह मजनूं से मिलना चाहता है. बख्त मजनूं की खोज में निकल पड़ा. उसने लैला को भी अपने साथ ले लिया.

यह भी पढे़ं- दिल के एहसास को जुबां पर लाने का दिन 'वैलेंटाइन डे', कपल्स ने कुछ यूं किया मोहब्बत का इजहार

मजनू ने जब लैला की ऐसी हालत सुनी, तो वह उससे मिलने के लिए अरब के तपते रेगिस्तानों में गिरता-पड़ता गर्म धूल की थपेड़ों में मारा-मारा फिरता हुआ निकल पड़ा. यही कारण है कि जब लोग मजनू को भगाने के लिए पत्थर मारने लगे थे, तो लैला जख्मी हो रही थी. आखिरकार रेगिस्तान में बख्त को मजनू जख्मी हालत में मिला. मजनू को देखकर लैला और तड़प उठी. यहां बख्त ने उससे पूछा कि, आखिर उसके पास ऐसा क्या है जो मेरे पास नहीं, इस पर मजनू ने जवाब दिया लैला का प्यार, उसकी चाहत.

बख्त की आंखों में मजनू के खून की प्यास थी. मजनू की बातें बख्त को बुरी तरह से चुभ गई और उसने तलवार निकालकर मजनू के सीने में गोभ दी. मजनू के घायल होने पर लैला भी मूर्छित हो जाती है. जैसा कि कहानियों में विदित है कि दोनों के प्यार में इतनी सच्चाई थी कि चोट एक को लगने पर, उसका असर दूसरे पर भी पड़ता था.

इस तरह से दो प्यार करने वाले मरकर भी अमर हो गए. जिन्हें न समाज के बंदिशे जुदा कर पाई और न ही घरवाले. दोनों ने एक-दूसरे के साथ जी तो नहीं पाए, लेकिन मौत ने इन्हें एक कर दिया.

राजस्थान के अनूपगढ़ में है दोनों की मजार...

लैला और मजनू की जहां मौत हुई. उसी जगह दोनों के अमर प्रेम की यह कहानी दफन होकर रह गई. यहां दोनों की साथ में ही मजार बनाई गई. वह जगह पाकिस्तानी बार्डर से 2 किमी अंदर भारत के राजस्थान के अनूपगढ़ में आता है.

यहां प्यार की मन्नत मांगते आते हैं प्रेमी जोड़े...

इस मजार में हर 15 जून को मेला भरता है. जहां हजारों की संख्या में प्रेमी जोड़े अपने प्यार की सलामती के लिए मन्नत मांगने आते हैं. कहते हैं कि यहां जो भी माथा टेकता है उसे उसका प्यार जरूर मिलता है. इसी आश में हर साल यहां भारी भीड़ जुटती है.

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