देहरादून: उत्तराखंड में साइबर अपराध लगातार बढ़ता जा रहा है. ऐसे मामलों में अपराधियों को पकड़ना बेहद मुश्किल होता है. ऐसे में साइबर अपराधों पर अंकुश करने के लिए जागरूकता ही सबसे बड़ा बचाव है. साइबर अपराध की रोकथाम पर काम करने वाले उत्तराखंड टास्क फोर्स (STF) ने भी ऐसे अपराधों के बढ़ने पर चिंता जाहिर करते हुए आम लोगों के लिए कुछ खास संदेश दिया है.
उत्तराखंड में साइबर क्राइम के आंकड़ों ने न केवल पुलिस कर्मियों के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है, बल्कि आम लोगों की सतर्कता पर बड़ा संदेश भी दिया है. आपको जानकर हैरानी होगी कि प्रदेश में साइबर क्राइम के मामले तो बढ़ रहे हैं लेकिन इन मामलों के खुलासे करने में पुलिस एड़ी चोटी का जोर लगाने के बावजूद काफी पीछे दिखाई देती है.
आंकड़ों पर गौर करें तो राज्य में साल 2021 से 2022 के बीच कुल साइबर क्राइम के करीब 810 मुकदमे दर्ज किए गए हैं, जिनमें से 342 मामलों पर ही पुलिस सफलता हासिल कर सकी है. 478 मामले ऐसे हैं जिनका हल निकालने में पुलिस जुटी है लेकिन लाख प्रयासों के बावजूद भी अपराधियों को पकड़ना मुश्किल दिखाई दे रहा है. इन्हीं हालातों के बीच अब तमाम मामलों का खुलासा करने वाली स्पेशल टास्क फोर्स के एसएसपी अजय सिंह (STF SSP Ajay Singh) ने आम लोगों को साइबर क्राइम के मामले में बचाव के दो ही तरीके बताए हैं.
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अजय सिंह ने कहा कि साइबर क्राइम से बचने के दो ही तरीके हैं, जिसमें पहला पुलिस को फौरन ऐसे मामलों में कार्रवाई करते हुए तकनीक का इस्तेमाल कर अपराधियों को पकड़ा चाहिए. जबकि दूसरा सबसे बड़ा तरीका लोगों का जागरूक होना है. क्योंकि यदि लोग जागरूक होते हैं तो साइबर क्राइम के अधिकतर मामलों को रोका जा सकता है. इसके लिए लोगों को किसी भी अनजान लिंक या मैसेज को तवज्जो नहीं देना है. ऐसा करने से लोग साइबर क्राइम का शिकार होने से बच सकते हैं.