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कोरोना टेस्ट के नाम पर कालाबाजारी, STF के हत्थे चढ़ा आरोपी - dehradun Fake lab employee arrested

उत्तराखंड एसटीएफ अभी आरोपी के नेटवर्क का पता लगाने में जुटी हुई है. ताकि कालाबाजारी के इस पूरे गिरोह का पदार्फाश किया जा सकें.

STF के हत्थे चढ़ा आरोपी
STF के हत्थे चढ़ा आरोपी
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Published : May 3, 2021, 7:09 PM IST

देहरादून: कोरोना काल में जहां कुछ लोग जरुरतमंदों की मदद कर एक मिसाल पेश कर रहे हैं. वहीं कुछ व्यक्ति ऐसे भी हैं, जिन्होंने इस आपदा को कालाबाजारी का अवसर बना लिया है. ऐसे ही एक मामले का खुलासा किया है उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स ने. एसटीएफ कोरोना टेस्टिंग के नाम पर मोटी रकम वसूलने वाले फर्जी लैब कर्मी को गिरफ्तार किया है. एसटीएफ ने आरोपी को देहरादून के नेहरू ग्राम क्षेत्र से गिरफ्तार किया है. आरोपी का नाम अनुज कुमार गुप्ता है.

STF के हत्थे चढ़ा आरोपी.
STF के हत्थे चढ़ा आरोपी.

एसटीएफ के मुताबिक अनुज कुमार गुप्ता अपने आप को अलग-अलग पैथोलॉजी लैब का कर्मचारी बताकर घरों से RT-PCR टेस्ट के लिए सैंपल लिया करता था. एक टेस्ट का वो 1200 रुपए वसूलता था और चार दिनों में रिपोर्ट देने की बात कहता था. जांच में सामने आया है कि आरोपी लैब को 500 रुपए देता था और 700 रुपए अपने पास रख लेता था. इसी तरह आरोपी अभीतक कई लोगों को ठग चुका है.

पढ़ें- उत्तराखंड में कोरोना बेकाबू, जानिए ऑक्सीजन और आईसीयू बेड की ताजा स्थिति

एसटीएफ की जांच में सामने आया कि अनुज लोगों को जो रिपोर्ट देता था, उसमें भी कई गलतियां होती थी. आरोपी किसी भी पैथोलॉजी लैब का कर्मचारी नहीं है. आरोपी रुड़की से लेकर देहरादून तक इस तरह का काम कर रहा था. जांच में सामने आया है कि अनुज ने रिपोर्ट के जो भी रजिस्ट्रेशन के नंबर बताए थे, वो सभी गलत निकले.

ऐसे आया पकड़ा में

एसटीएफ के मुताबिक झाझरा निवासी एक परिवार के छह लोगों ने कोरोना जांच के लिए 7200 रुपए ऑनलाइन दिए थे. जबकि सरकारी रेट तीन हजार रुपए है. परिवार ने इसकी शिकायत पुलिस से की थी. जिसके बाद आरोपी के खिलाफ धारा 188, 420 आईपीसी, 66(c) 66(d) आईटी एक्ट व धारा 02,03 सहित महामारी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की गई.

एसटीएफ ने कहा कि आजकल साइबर ठग लोगों के ठगने के नए-नए तरीके अपना रहे है. कुछ साइबर ठग जीवन रक्षक औषधि, वैक्सीन, ऑक्सीजन और अन्य चिकित्सक संसाधनों की उपलब्धता को दिखाते हुए सोशल मीडिया पर विज्ञापन देते है. यदि किसी को भी इस तरह के ठगों की शिकायत करने है तो वो हेल्पलाइन नंबर 9411112780 और 94120 29536 सूचना दे सकते है. जानकारी देने वालों का नाम गोपनीय रखा जाएगा.

देहरादून: कोरोना काल में जहां कुछ लोग जरुरतमंदों की मदद कर एक मिसाल पेश कर रहे हैं. वहीं कुछ व्यक्ति ऐसे भी हैं, जिन्होंने इस आपदा को कालाबाजारी का अवसर बना लिया है. ऐसे ही एक मामले का खुलासा किया है उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स ने. एसटीएफ कोरोना टेस्टिंग के नाम पर मोटी रकम वसूलने वाले फर्जी लैब कर्मी को गिरफ्तार किया है. एसटीएफ ने आरोपी को देहरादून के नेहरू ग्राम क्षेत्र से गिरफ्तार किया है. आरोपी का नाम अनुज कुमार गुप्ता है.

STF के हत्थे चढ़ा आरोपी.
STF के हत्थे चढ़ा आरोपी.

एसटीएफ के मुताबिक अनुज कुमार गुप्ता अपने आप को अलग-अलग पैथोलॉजी लैब का कर्मचारी बताकर घरों से RT-PCR टेस्ट के लिए सैंपल लिया करता था. एक टेस्ट का वो 1200 रुपए वसूलता था और चार दिनों में रिपोर्ट देने की बात कहता था. जांच में सामने आया है कि आरोपी लैब को 500 रुपए देता था और 700 रुपए अपने पास रख लेता था. इसी तरह आरोपी अभीतक कई लोगों को ठग चुका है.

पढ़ें- उत्तराखंड में कोरोना बेकाबू, जानिए ऑक्सीजन और आईसीयू बेड की ताजा स्थिति

एसटीएफ की जांच में सामने आया कि अनुज लोगों को जो रिपोर्ट देता था, उसमें भी कई गलतियां होती थी. आरोपी किसी भी पैथोलॉजी लैब का कर्मचारी नहीं है. आरोपी रुड़की से लेकर देहरादून तक इस तरह का काम कर रहा था. जांच में सामने आया है कि अनुज ने रिपोर्ट के जो भी रजिस्ट्रेशन के नंबर बताए थे, वो सभी गलत निकले.

ऐसे आया पकड़ा में

एसटीएफ के मुताबिक झाझरा निवासी एक परिवार के छह लोगों ने कोरोना जांच के लिए 7200 रुपए ऑनलाइन दिए थे. जबकि सरकारी रेट तीन हजार रुपए है. परिवार ने इसकी शिकायत पुलिस से की थी. जिसके बाद आरोपी के खिलाफ धारा 188, 420 आईपीसी, 66(c) 66(d) आईटी एक्ट व धारा 02,03 सहित महामारी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की गई.

एसटीएफ ने कहा कि आजकल साइबर ठग लोगों के ठगने के नए-नए तरीके अपना रहे है. कुछ साइबर ठग जीवन रक्षक औषधि, वैक्सीन, ऑक्सीजन और अन्य चिकित्सक संसाधनों की उपलब्धता को दिखाते हुए सोशल मीडिया पर विज्ञापन देते है. यदि किसी को भी इस तरह के ठगों की शिकायत करने है तो वो हेल्पलाइन नंबर 9411112780 और 94120 29536 सूचना दे सकते है. जानकारी देने वालों का नाम गोपनीय रखा जाएगा.

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