देहरादून: उत्तराखंड में 38वें राष्ट्रीय गेम्स प्रस्तावित हैं. वहीं नेशनल गेम्स से पहले प्रदेश में लगातार खेल विभाग में बन रहे विपरीत माहौल पर सख्ती दिखाते हुए विभागीय मंत्री ने सभी अधिकारियों के पेंच कसे. मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि खेल अब राज्य में भावी युवा पीढ़ी का दूसरा विकल्प नहीं, बल्कि पहला विकल्प बन गये हैं. लिहाजा किसी भी तरह की हीला हवाली बर्दाश्त नहीं की जाएगी. साथ ही उन्होंने खिलाड़ियों के मोटिवेशन में आ रही कमी का संज्ञान लिया और कहा कि विभाग में खिलाड़ियों के लिए सबसे बड़ी प्रेरणा उनके कोच से मिलती है. लेकिन विभाग में कोच का मानदेय बेहद कम है, जिसे जल्द ही विभाग बढ़ाने जाने वाला है. नये कोच को भी खेल विभाग जल्द नियुक्त करने जा रहा है.
नेशनल गेम्स के जरिए क्षमता दिखाने का मिलेगा मौका: आने वाले साल 2024 में उत्तराखंड के लिए प्रस्तावित 38वें राष्ट्रीय खेल इस समय उत्तराखंड खेल विभाग के साथ-साथ उत्तराखंड सरकार के लिए भी एक सुनहरे मौके के साथ-साथ बड़ी चुनौतियां भी सामने लेकर आ रहे हैं. खुद खेल मंत्री रेखा आर्य मानना है कि छोटे से राज्य उत्तराखंड के लिए यह एक बड़ा सुनहरा मौका है. पूरे देश की नजरें उत्तराखंड पर टिकी की होंगी और हमें अपनी क्षमता दिखाने का मौका मिलेगा. साथ ही साथ उन्होंने इस बात को माना है कि नेशनल गेम्स को लेकर हमें बेहद मेहनत की जरूरत है. नेशनल गेम्स को लेकर अपनी तैयारियों के बारे में बताते हुए विभागीय मंत्री रेखा आर्य ने बताया कि मुख्यमंत्री ने साफ निर्देश दिए हैं कि आगामी नेशनल गेम्स की तैयारी के लिए किसी भी तरह की कोई बजटीय कमी नहीं रहनी चाहिए. लिहाजा इसके लिए शासन स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समीक्षा बैठक भी आयोजित की जा चुकी है. बैठक में आगामी नेशनल गेम्स के लिहाज से रोडमैप तैयार करने के लिए विभागीय समीक्षा की गई. साथ ही जरूरी दिशा निर्देश भी दिए गए.
कोच की सैलरी पीआरडी जवान से भी कम: उत्तराखंड में आए दिन खिलाड़ियों के प्रोत्साहन में आ रही कमियों और मोटिवेशन ना मिलने की वजह से खिलाड़ी डिमोटिवेट रहते हैं. इसमें सबसे बड़ी वजह प्रदेश में खिलाड़ियों को तैयार करने वाले कोच की पर्याप्त व्यवस्था ना एक ना होना भी एक बड़ी वजह है. खुद विभाग इस बात को स्वीकारता है कि उत्तराखंड खेल विभाग के पास इस समय खिलाड़ियों के लिए पर्याप्त कोच नहीं हैं. यही नहीं जो कोच इस वक्त विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, उनका मानदेय एक पीआरडी जवान की सैलरी से भी कम है. खुद विभागीय मंत्री रेखा आर्य ने इस बात को कहा है.
खेल मंत्री रेखा आर्य ने क्या कहा: खेल मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि खेलों में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कोच को यदि मोटिवेशन नहीं मिलेगा, तो वह किस तरह से खिलाड़ियों को मोटिवेट करेगा. उन्होंने यह भी बताया कि विभाग में कोच की सैलरी बहुत कम होने की वजह से बेहतर कोच विभाग की तरफ रुख नहीं करते हैं. इन हालातों को बदलते हुए विभाग ने फैसला लिया है कि वह विभाग में कोच की सैलरी सम्मानजनक करेंगे. साथ ही विभाग में चली आ रही कोच की कमी को पूरा करने के लिए नये कोच भी रखे जाएंगे. विभागीय मंत्री रेखा आर्य ने फैसला लिया है कि प्रदेश में खेलों की गुणवत्ता सुधारने और बेहतर खिलाड़ियों को तराशने के लिए वह नये कोच रखेंगी और उनका मानदेय भी सम्मान जनक करेंगी.
उदीयमान उन्नयन योजना पर मांगा फीडबैक: खेल मंत्री रेखा आर्य ने जिलों में जिला क्रीड़ा अधिकारियों को दिये गये बजट का हिसाब पूछा और मौजूदा स्थिति की जानकारी ली. इसके अलावा मुख्यमंत्री घोषणाओं की स्थिति और मुख्यमंत्री उदीयमान उन्नयन योजना को लेकर सख्त निर्देश दिये. जिलों के खेल अधिकारियों की बैठक में खेल मंत्री रेखा आर्य ने खास तौर से हरिद्वार की जिला खेल अधिकारी से हरिद्वार में उदीयमान योजना से लाभ ले रहे बच्चों के बारे में जानकारी ली. इस पर बताया गया कि जिले में अभी कुल 240 बच्चे इस योजना का लाभ ले रहे हैं. इस पर विभागीय मंत्री ने बेहद नाराजगी जताई और सख्त निर्देश दिये कि इस योजना के तहत 150 बालक और 150 बालिकाओ को लाभ दिया जाना है. लिहाजा इस साल सभी बालक, बालिकाओं को इस योजना से जोड़ें. उन्होंने सभी जिलों के अधिकारियों को स्पष्ट कहा कि जिन जिलों में इस योजना से जुड़ने वाले बालक-बालिकाओं की संख्या कम हुई तो उस जिले की जिला खेल अधिकारी इसका जिम्मेदार होगा.
उत्तराखंड में इतनी है कोच की सैलरी: आपको बता दें कि उत्तराखंड में एक पीआरडी जवान 18,000 सैलरी ले रहा है. लेकिन खेल विभाग में कॉन्ट्रैक्ट पर रखे जाने वाले कोच की सैलरी न्यूनतम 5000 से लेकर अधिकतम 15,000 तक है. खेल विभाग में कॉन्ट्रैक्ट पर रखे जाने वाले कोच की कैटेगरी वाइज अगर हम बात करें तो नेशनल पार्टिसिपेट कर चुके कोच को ₹5000 रुपए मिलते हैं. अगर नेशनल गेम्स में मेडल जीता है तो 7000 रुपए मिलते हैं. अगर NIS कोर्स किया है तो 14,000 रुपए मिलते हैं. अगर इंटरनेशनल खेला है तो 15,000 हजार रुपए सैलरी मिलती है. जबकि प्रदेश में एक पीआरडी जवान भी 18,000 रुपए सैलरी ले रहा है.
साई के कोच और राज्य के कोच की सैलरी में अंतर देखिए: वहीं दूसरी तरफ अगर हम बात करें तो स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के तहत में चलने वाले उत्तराखंड के काशीपुर में मौजूद साईं स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट में रखे जाने वाले कॉन्ट्रैक्ट कोच की सैलरी 48 हजार से शुरू होती है. इस तरह से चार अलग-अलग कैटेगरी में 48 हजार, 60 हजार, 1 लाख और 1 लाख 20 हजार तक अधिकतम मानदेय स्पोर्ट्स कोच को दिया जाता है.
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उत्तराखंड के खिलाड़ियों में नहीं है प्रतिभा की कमी: उत्तराखंड में खिलाड़ियों की प्रतिभा पर अगर नजर दौड़ाएं तो राज्य गठन के बाद से लगातार उत्तराखंड में खिलाड़ियों की प्रतिभा में बढ़ोत्तरी हुई है. हर साल पिछले साल की तुलना में ज्यादा मेडल उत्तराखंड लेकर आता है. हर साल की तुलना में अगले साल ज्यादा खिलाड़ी खेलों के प्रति रुचि दिखाते हैं. इसी तरह से अगर केवल पिछले 1 साल की बात करें तो तकरीबन 500 के करीब उत्तराखंड से नेशनल गेम्स में मेडलिस्ट हैं. इसी तरह से इंटरनेशनल गेम्स में उत्तराखंड से तकरीबन 50 के करीब मेडलिस्ट रहे हैं.