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10 महीने बाद 8 फरवरी से खुलेंगे स्कूल, बच्चों की दिनचर्या पटरी पर लाना बड़ी चुनौती

उत्तराखंड में कोरोना वायरस के कारण लगभग दस महीने से बंद चल रहे कक्षा 6 से लेकर 9वीं तक के छात्रों के स्कूल 8 फरवरी से खोलने का सरकार ने निर्णय लिया है. ऐसे में बच्चों की बदली हुई दिनचर्या को पटरी पर लाना बड़ी चुनौती बन गई है.

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Published : Feb 2, 2021, 6:33 PM IST

Updated : Feb 2, 2021, 8:50 PM IST

देहरादून: कोरोना संकटकाल में जारी पूर्ण लॉकडाउन के बाद से ही प्रदेश के सभी स्कूल पिछले 10 महीनों से बंद चल रहे हैं. हालांकि नवंबर माह से बोर्ड परीक्षाओं को देखते हुए कक्षा 10वीं और 12वीं के छात्रों के लिए स्कूलों को खोल दिया गया है. लेकिन अब कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में कमी आने के चलते प्रदेश सरकार ने आगामी 8 फरवरी से कक्षा 6 से लेकर कक्षा 9 तक के छात्रों के लिए भी स्कूलों को खोले जाने का निर्णय ले लिया है. ऐसे में छात्र-छात्राओं के अभिभावकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती कोरोना संक्रमण का खतरा और दूसरी तरफ बच्चों की इन 10 महीनों के अंतराल में बदली हुई दिनचर्या को दोबारा पटरी पर लाना है.

10 महीने बाद 8 फरवरी से खुलेंगे स्कूल.

स्कूलों को 8 फरवरी से कक्षा 6 से लेकर 9वीं तक के छात्रों के लिए खोले जाने को लेकर अभिभावकों की अलग-अलग राय है. ईटीवी भारत से बात करते हुए नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरंट्स एंड स्टूडेंट राइट्स( एनपीएसआर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरिफ खान ने बताया कि इन 10 महीनों के अंतराल में स्कूली छात्र-छात्राओं की दिनचर्या काफी बदली है. जहां बच्चे पिछले लंबे समय से घरों में कैद हैं, तो वहीं बच्चों में स्कूल के लिए तैयार होकर निकलने की प्रवृत्ति भी काफी हद तक खत्म हो चुकी है. ऐसे में वह चाहते हैं कि सरकार को छोटे बच्चों के लिए स्कूलों को 8 फरवरी से खोले जाने पर एक बार फिर विचार करने की जरूरत है. सरकार को चाहिए कि 8 फरवरी के बजाय नए शैक्षणिक सत्र से ही दोबारा स्कूलों को सभी छात्र-छात्राओं के लिए खोलें. इससे छात्र-छात्राओं के साथ ही उनके अभिभावकों को भी सहूलियत होगी.

ये भी पढ़ेंः कैबिनेट बैठक: 5 मार्च को गैरसैंण में पेश होगा प्रदेश का बजट, कुंभ पर SOP जल्द

गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के खतरे के चलते 22 मार्च 2020 से प्रदेश में पूर्ण लॉकडाउन जारी हो गया था. जिसके बाद से ही छात्र-छात्राओं की दिनचर्या में काफी ज्यादा बदलाव आ चुका है. सबसे अहम बदलाव यह रहा कि छात्र-छात्राओं में जो सुबह उठकर स्कूल के लिए तैयार होने की प्रवृत्ति थी, वह पूरी तरह से इन 10 महीनों में खत्म हो गई है. वहीं दूसरी तरफ लॉकडाउन के चलते घरों में कैद होने की वजह से कई छात्र-छात्राओं के वजन में भी 3 से 4 किलो की बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है.

वहीं, स्कूलों को छात्र-छात्राओं के लिए 8 फरवरी से दोबारा खोले जाने के सरकार के निर्णय को लेकर देहरादून के जाने-माने मनोवैज्ञानिक डॉ. मुकुल शर्मा ने बताया कि छात्र-छात्राओं के लिए आगामी 08 फरवरी से स्कूलों को दोबारा खोला जाना, राज्य सरकार का सही निर्णय है. अभिभावकों को इस निर्णय को मानना चाहिए, जिससे कि उनके बच्चों की बदली हुई दिनचर्या दोबारा पटरी पर लौट सके. वहीं दूसरी तरफ कोरोना से घबराने के बजाय विशेष एहतियात बरतते हुए अभिभावकों को छात्र-छात्राओं को स्कूल भेजने की तैयारी करनी चाहिए.

देहरादून: कोरोना संकटकाल में जारी पूर्ण लॉकडाउन के बाद से ही प्रदेश के सभी स्कूल पिछले 10 महीनों से बंद चल रहे हैं. हालांकि नवंबर माह से बोर्ड परीक्षाओं को देखते हुए कक्षा 10वीं और 12वीं के छात्रों के लिए स्कूलों को खोल दिया गया है. लेकिन अब कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में कमी आने के चलते प्रदेश सरकार ने आगामी 8 फरवरी से कक्षा 6 से लेकर कक्षा 9 तक के छात्रों के लिए भी स्कूलों को खोले जाने का निर्णय ले लिया है. ऐसे में छात्र-छात्राओं के अभिभावकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती कोरोना संक्रमण का खतरा और दूसरी तरफ बच्चों की इन 10 महीनों के अंतराल में बदली हुई दिनचर्या को दोबारा पटरी पर लाना है.

10 महीने बाद 8 फरवरी से खुलेंगे स्कूल.

स्कूलों को 8 फरवरी से कक्षा 6 से लेकर 9वीं तक के छात्रों के लिए खोले जाने को लेकर अभिभावकों की अलग-अलग राय है. ईटीवी भारत से बात करते हुए नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरंट्स एंड स्टूडेंट राइट्स( एनपीएसआर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरिफ खान ने बताया कि इन 10 महीनों के अंतराल में स्कूली छात्र-छात्राओं की दिनचर्या काफी बदली है. जहां बच्चे पिछले लंबे समय से घरों में कैद हैं, तो वहीं बच्चों में स्कूल के लिए तैयार होकर निकलने की प्रवृत्ति भी काफी हद तक खत्म हो चुकी है. ऐसे में वह चाहते हैं कि सरकार को छोटे बच्चों के लिए स्कूलों को 8 फरवरी से खोले जाने पर एक बार फिर विचार करने की जरूरत है. सरकार को चाहिए कि 8 फरवरी के बजाय नए शैक्षणिक सत्र से ही दोबारा स्कूलों को सभी छात्र-छात्राओं के लिए खोलें. इससे छात्र-छात्राओं के साथ ही उनके अभिभावकों को भी सहूलियत होगी.

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गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के खतरे के चलते 22 मार्च 2020 से प्रदेश में पूर्ण लॉकडाउन जारी हो गया था. जिसके बाद से ही छात्र-छात्राओं की दिनचर्या में काफी ज्यादा बदलाव आ चुका है. सबसे अहम बदलाव यह रहा कि छात्र-छात्राओं में जो सुबह उठकर स्कूल के लिए तैयार होने की प्रवृत्ति थी, वह पूरी तरह से इन 10 महीनों में खत्म हो गई है. वहीं दूसरी तरफ लॉकडाउन के चलते घरों में कैद होने की वजह से कई छात्र-छात्राओं के वजन में भी 3 से 4 किलो की बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है.

वहीं, स्कूलों को छात्र-छात्राओं के लिए 8 फरवरी से दोबारा खोले जाने के सरकार के निर्णय को लेकर देहरादून के जाने-माने मनोवैज्ञानिक डॉ. मुकुल शर्मा ने बताया कि छात्र-छात्राओं के लिए आगामी 08 फरवरी से स्कूलों को दोबारा खोला जाना, राज्य सरकार का सही निर्णय है. अभिभावकों को इस निर्णय को मानना चाहिए, जिससे कि उनके बच्चों की बदली हुई दिनचर्या दोबारा पटरी पर लौट सके. वहीं दूसरी तरफ कोरोना से घबराने के बजाय विशेष एहतियात बरतते हुए अभिभावकों को छात्र-छात्राओं को स्कूल भेजने की तैयारी करनी चाहिए.

Last Updated : Feb 2, 2021, 8:50 PM IST

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