देहरादून: उत्तराखंड में एक बार फिर बिजली संकट की स्थिति पैदा होने लगी है. ऐसा राज्य में विद्युत उत्पादन में आई कमी के कारण देखा जा रहा है. अधिकारियों की मानें तो प्रदेश में करीब 7 से 8 मिलियन यूनिट तक बिजली की कमी हो रही है. इसको पूरा कर पाना काफी मुश्किल हो रहा है. उधर यूपीसीएएल एक बार फिर कुछ नए प्रस्ताव के साथ जनता पर बोझ बढ़ाने की तैयारी में है.
उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड की दिक्कतें आने वाले समय में कुछ और बढ़ने जा रही हैं. दरअसल, राज्य में विद्युत उत्पादन को लेकर आई कमी के कारण रोस्टिंग का खतरा बढ़ गया है. प्रदेश में एक तरफ जहां डिमांड बढ़ी है तो दूसरी तरफ उत्पादन में भी कमी आ रही है. सबसे बड़ी बात यह है कि प्रदेश में बिजली का उत्पादन करीब 8 mu तक गिर गया है, इसका सीधा असर घरेलू उपभोक्ताओं के साथ इंडस्ट्री पर भी दिखाई दे रहा है.
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जानकारी के अनुसार करीब 2 घंटे ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की कटौती की जा रही है. यही नहीं इंडस्ट्री में भी 2 घंटे की कटौती करना यूपीसीएल की मजबूरी हो गया है. खास बात यह है कि उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग को उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड की तरफ से एक नया प्रस्ताव भी भेज दिया गया है, जिसमें उत्पादन कम होने और महंगी बिजली बाजार से खरीदने के चलते बाजार से खरीदी जाने वाली बिजली के दामों में कुछ प्रतिशत उपभोक्ताओं से वसूलने की तैयारी की जा रही है.
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इस सबके बीच अधिकारी मौजूदा स्थितियों को लेकर होमवर्क करने में जुटे हुए हैं, लेकिन, उत्पादन कम होने के कारण खुले बाजार से बिजली खरीदना भी यूपीसीएल की मजबूरी है. चौंकाने वाली बात यह है कि खुले बाजार से बिजली खरीदने के बावजूद भी करीब एक से 2 मिलियन यूनिट तक की कमी यूपीसीएल को झेलनी पड़ रही है. इसीलिए प्रदेश के तमाम क्षेत्रों में रोस्टिंग की जा रही है. हालांकि, ऊर्जा विभाग के अधिकारी इस मामले में लोगों को पर्याप्त बिजली दिए जाने की कोशिश किए जाने की बात कह रहे हैं. इसके लिए खुले बाजार से अधिक से अधिक बिजली खरीदने की कोशिश करने की बात कही जा रही है.