देहरादून: प्रदेश के दिव्यांगों के हित के लिए बनाई गई राज्य दिव्यांग सलाहकार बोर्ड इन दिनों बुरे दौर से गुजर रहा है. क्योंकि सरकार पिछले दो सालों से दिव्यांग सलाहकार बोर्ड की सुध नहीं ले रही है. जिसके चलते अब राज्य दिव्यांग सलाहकार बोर्ड के सदस्य ही सवाल उठाने लगाने हैं. क्योंकि उनका मानना है कि मात्र सलाहकार बोर्ड बना देने से दिव्यांगों के लिए चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाएं धरातल पर उतारी नहीं जा सकती हैं.
राज्य में दिव्यांगों के हित के लिए कागजों में बनाए गए राज्य दिव्यांग सलाहकार बोर्ड को दो साल होने वाले हैं. अक्टूबर 2018 में त्रिवेंद्र सरकार ने बोर्ड का गठन किया गया था. जिसके बाद बोर्ड में सदस्य भी शामिल कर लिए गए. लेकिन बावजूद इसके दो साल में बोर्ड की एक बैठक तक नहीं हो पाई.
आयोग के सदस्यों का आरोप है कि नियम के अनुसार हर 6 महीने में एक बार राज्य दिव्यांग सलाहकार बोर्ड की बैठक का प्रावधान है. लेकिन बीते दो साल में एक भी बैठक नहीं हो पाई. जबकि बोर्ड के सदस्यों ने कई बार बैठक कराने की मांग बोर्ड अध्यक्ष और समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य से की है. लेकिन नतीजा सिफर ही रहा.
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सदस्यों का कहना है कि उत्तराखंड में दिव्यांग सलाहकार बोर्ड का गठन दिव्यांगों की बेहतरी के लिए किया गया था. ताकि बोर्ड, दिव्यांगों की सुविधा पेंशन, प्रमाणपत्र बनाने में आ रही परेशानियों को दूर करने में मदद करेगा. वहीं, बोर्ड के सदस्य अमित डोभाल ने बताया कि इस संबंध में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को ज्ञापन सौंपा गया था. जिसके बाद मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जल्द ही बोर्ड की बैठक करने और एक पूर्णकालिक उपाध्यक्ष बनाने का आश्वासन दिया था. लेकिन इस बात को भी बीते लंबा समय हो गया है, न तो बोर्ड की बैठक हुई और न ही कोई कार्यक्रम तय किया गया.