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पहाड़ के गांधी इंद्रमणि बडोनी की पुण्यतिथि, राज्य आंदोलनकारियों ने किया याद, सरकार से की मांग

मसूरी में उत्तराखंड राज्य आंदोलन के प्रणेता और पर्वतीय गांधी इंद्रमणि बडोनी की पुण्यतिथि के मौके पर उन्हें याद किया गया. उत्तराखंड आंदोलनकारी मंच ने इंद्रमणि बडोनी की मूर्ति विधानसभा में स्थापित किए जाने की मांग की है.

indramani badoni
इंद्रमणि बडोनी
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Published : Aug 18, 2022, 3:46 PM IST

Updated : Aug 18, 2022, 4:45 PM IST

मसूरीः पहाड़ के गांधी स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी (Indramani Badoni) की पुण्यतिथि पर मसूरी में इंद्रमणि बडोनी विचार मंच (Indramani Badoni Vichar Manch) के सदस्यों ने उनकी मूर्ति पर पुष्प अर्पित किए. उत्तराखंड आंदोलनकारी मंच के सदस्य जय प्रकाश उत्तराखंडी द्वारा इंद्रमणि बडोनी की मूर्ति विधानसभा में स्थापित (Demand for installation of statue of Indramani Badoni in Uttarakhand Assembly) किए जाने की मांग की गई. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के गांधी कहे जाने वाले इंद्रमणि बडोनी की लगातार राज्य सरकार उपेक्षा करती रही है, जो अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी. उन्होंने कहा कि अगर 2 अक्टूबर से पहले विधानसभा में इंद्रमणि बडोनी की मूर्ति स्थापित नहीं की गई तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा.

बता दें कि 1994 के उत्तराखंड राज्य आंदोलन के सूत्रधार और 2 अगस्त 1994 को पौड़ी प्रेक्षागृह के सामने आमरण अनशन पर बैठ कर राजनीतिक हलकों में खलबली मचाने वाले उत्तराखंड के गांधी कहे जाने वाले इंद्रमणि बडोनी की पूण्य तिथि के अवसर पर मसूरी के समाजिक संगठनों ने इद्रंमणि बडोनी चौक पर उनकी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उनके द्वारा किए गए कार्यों को याद किया गया.

पहाड़ के गांधी इंद्रमणि बडोनी की पुण्यतिथि.
ये भी पढ़ेंः दून मेडिकल कॉलेज में लाइफ स्टाइल क्लीनिक का लोकार्पण, कैथ लैब का हुआ शिलान्यास

वक्ताओं ने कहा कि इंद्रमणि बडोनी जीवन के प्रारंभिक काल से बडोनी सामाजिक परिवर्तन की प्रकृति के थे. उन दिनों टिहरी रियासत में प्रवेश करने के लिए चवन्नी टैक्स वसूले जाने का भी उनके द्वारा विरोध किया गया. वक्ताओं ने कहा कि जिस उत्तराखंड की कल्पना स्व. इंद्रमणि बडोनी ने की थी, वह उत्तराखंड नहीं बन पाया और आज भी उत्तराखंड पूर्व की ही भांति अपेक्षित है. पहाड़ से पलायन के कारण गांव खाली हो गए है. शिक्षा का हाल बेहाल है, युवा बेरोजगार घूम रहे हैं, परंतु प्रदेश की सरकार द्वारा इस दिशा में कोई भी सार्थक कार्य नहीं किया गया.

वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड के इस सच्चे सपूत ने 72 वर्ष की उम्र में 1994 में राज्य निर्माण की निर्णायक लड़ाई लड़ी और आज उनके की देन है कि उत्तराखंड राज्य का निर्माण हो सका. उन्होंने कहा कि अपने अंतिम समय इलाज कराते हुए भी बडोनी हमेशा उत्तराखंड की बात करते थे. 18 अगस्त 1999 को उत्तराखंड का यह सपूत हमेशा के लिए सो गया.

मसूरीः पहाड़ के गांधी स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी (Indramani Badoni) की पुण्यतिथि पर मसूरी में इंद्रमणि बडोनी विचार मंच (Indramani Badoni Vichar Manch) के सदस्यों ने उनकी मूर्ति पर पुष्प अर्पित किए. उत्तराखंड आंदोलनकारी मंच के सदस्य जय प्रकाश उत्तराखंडी द्वारा इंद्रमणि बडोनी की मूर्ति विधानसभा में स्थापित (Demand for installation of statue of Indramani Badoni in Uttarakhand Assembly) किए जाने की मांग की गई. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के गांधी कहे जाने वाले इंद्रमणि बडोनी की लगातार राज्य सरकार उपेक्षा करती रही है, जो अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी. उन्होंने कहा कि अगर 2 अक्टूबर से पहले विधानसभा में इंद्रमणि बडोनी की मूर्ति स्थापित नहीं की गई तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा.

बता दें कि 1994 के उत्तराखंड राज्य आंदोलन के सूत्रधार और 2 अगस्त 1994 को पौड़ी प्रेक्षागृह के सामने आमरण अनशन पर बैठ कर राजनीतिक हलकों में खलबली मचाने वाले उत्तराखंड के गांधी कहे जाने वाले इंद्रमणि बडोनी की पूण्य तिथि के अवसर पर मसूरी के समाजिक संगठनों ने इद्रंमणि बडोनी चौक पर उनकी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उनके द्वारा किए गए कार्यों को याद किया गया.

पहाड़ के गांधी इंद्रमणि बडोनी की पुण्यतिथि.
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वक्ताओं ने कहा कि इंद्रमणि बडोनी जीवन के प्रारंभिक काल से बडोनी सामाजिक परिवर्तन की प्रकृति के थे. उन दिनों टिहरी रियासत में प्रवेश करने के लिए चवन्नी टैक्स वसूले जाने का भी उनके द्वारा विरोध किया गया. वक्ताओं ने कहा कि जिस उत्तराखंड की कल्पना स्व. इंद्रमणि बडोनी ने की थी, वह उत्तराखंड नहीं बन पाया और आज भी उत्तराखंड पूर्व की ही भांति अपेक्षित है. पहाड़ से पलायन के कारण गांव खाली हो गए है. शिक्षा का हाल बेहाल है, युवा बेरोजगार घूम रहे हैं, परंतु प्रदेश की सरकार द्वारा इस दिशा में कोई भी सार्थक कार्य नहीं किया गया.

वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड के इस सच्चे सपूत ने 72 वर्ष की उम्र में 1994 में राज्य निर्माण की निर्णायक लड़ाई लड़ी और आज उनके की देन है कि उत्तराखंड राज्य का निर्माण हो सका. उन्होंने कहा कि अपने अंतिम समय इलाज कराते हुए भी बडोनी हमेशा उत्तराखंड की बात करते थे. 18 अगस्त 1999 को उत्तराखंड का यह सपूत हमेशा के लिए सो गया.

Last Updated : Aug 18, 2022, 4:45 PM IST
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