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शीतकालीन सत्रः एक बार फिर सड़क पर उतरे राज्य आंदोलनकारी, पुलिस ने रोका

उत्तराखंड शीतकालीन सत्र के दौरान राज्य आंदोलनकारियों ने विधानसभा भवन का घेराव करने की कोशिश की. लेकिन पहले से मुस्तैद पुलिस कर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को बैरिकेडिंग लगाकर रिस्पना पर ही रोक लिया.

protest dehradun
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Published : Dec 23, 2020, 4:44 PM IST

Updated : Dec 23, 2020, 5:07 PM IST

देहरादून: सपनों का उत्तराखंड दिल में संजोए राज्य आंदोलनकारियों ने एक बार फिर सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद कर दी है. उत्तराखंड शीतकालीन सत्र के दौरान राज्य आंदोलनकारियों ने विधानसभा भवन का घेराव करने की कोशिश की. अपनी आठ सूत्रीय मांगों को सरकार के सामने पेश रखने की कोशिश की. लेकिन सरकार का कोई नुमांइदा न आने की सूरत में भीड़ उग्र हो गई और पुलिस से हाथापाई तक की नौबत आ गई. नतीजन पुलिस को बल प्रयोग कर प्रदर्शनकारियों को शांत करना पड़ा.

सड़क पर उतरे राज्य आंदोलनकारी

राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि बीते लगभग 4 साल से वे सरकार से राज्य हित व राज्य आंदोलनकारियों की 8 सूत्रीय मांगों को लेकर लगातार ज्ञापन, धरने, रैलियां कर रहे हैं. लेकिन सरकार लगातार उनकी मांगों को अनसुना कर रही है. राज्य आंदोलनकारी मंच के प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन नेगी ने कहा कि सरकार की तरफ से मीडिया प्रभारी और सहकारिता मंत्री के आश्वासन के बावजूद सरकार उनकी मांगों को लेकर गंभीर नहीं है.

उन्होंने कहा कि इससे प्रदेश के राज्य आंदोलनकारियों में गहरा रोष है. राज्य आंदोलनकारियों ने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि पूर्व की सरकारों द्वारा आंदोलनकारियों को दी गई सुविधाओं को धीरे-धीरे समाप्त किया जा रहा है. राज्य आंदोलनकारियों ने सम्मान परिषद का कार्यालय बंद करने, बीते 4 सालों से राज्य आंदोलनकारियों के चिन्हीकरण का मामला, एक समान पेंशन, शहीद स्मारक के उचित रखरखाव व संरक्षण आदि को लेकर सरकार की लापरवाही बताया और नाराजगी व्यक्त करते हुए समस्याओं के शीघ्र निराकरण की मांग की.

पढ़ेंः मनीष सिसोदिया के 'चैलेंज' को मदन कौशिक ने स्वीकारा, कहा- जगह चुनो मैं हो जाऊंगा हाजिर

राज्य आंदोलनकारियों की प्रमुख मांगे

  • मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा कांड व राज्य आंदोलन के दौरान हुए विभिन्न कांडों पर न्याय.
  • शहीद परिवारों और राज्य आंदोलनकारियों के आश्रितों की पेंशन का शासनादेश पुनः लागू किया जाए.
  • स्थायी राजधानी गैरसैंण घोषित की जाए.
  • उपनल द्वारा नियुक्तियों में केवल मूल निवासियों को प्राथमिकता दी जाए.
  • राज्य में 2025 को होने वाला परिसीमन क्षेत्रफल के आधार पर हो.
  • राज्य का जन विरोधी भू कानून वापस लिया जाए.
  • समूह ग भर्ती हेतु रोजगार कार्यालय पंजीकरण में स्थायी निवास प्रमाण पत्र की अनिवार्यता पुनः बहाल की जाए.

देहरादून: सपनों का उत्तराखंड दिल में संजोए राज्य आंदोलनकारियों ने एक बार फिर सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद कर दी है. उत्तराखंड शीतकालीन सत्र के दौरान राज्य आंदोलनकारियों ने विधानसभा भवन का घेराव करने की कोशिश की. अपनी आठ सूत्रीय मांगों को सरकार के सामने पेश रखने की कोशिश की. लेकिन सरकार का कोई नुमांइदा न आने की सूरत में भीड़ उग्र हो गई और पुलिस से हाथापाई तक की नौबत आ गई. नतीजन पुलिस को बल प्रयोग कर प्रदर्शनकारियों को शांत करना पड़ा.

सड़क पर उतरे राज्य आंदोलनकारी

राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि बीते लगभग 4 साल से वे सरकार से राज्य हित व राज्य आंदोलनकारियों की 8 सूत्रीय मांगों को लेकर लगातार ज्ञापन, धरने, रैलियां कर रहे हैं. लेकिन सरकार लगातार उनकी मांगों को अनसुना कर रही है. राज्य आंदोलनकारी मंच के प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन नेगी ने कहा कि सरकार की तरफ से मीडिया प्रभारी और सहकारिता मंत्री के आश्वासन के बावजूद सरकार उनकी मांगों को लेकर गंभीर नहीं है.

उन्होंने कहा कि इससे प्रदेश के राज्य आंदोलनकारियों में गहरा रोष है. राज्य आंदोलनकारियों ने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि पूर्व की सरकारों द्वारा आंदोलनकारियों को दी गई सुविधाओं को धीरे-धीरे समाप्त किया जा रहा है. राज्य आंदोलनकारियों ने सम्मान परिषद का कार्यालय बंद करने, बीते 4 सालों से राज्य आंदोलनकारियों के चिन्हीकरण का मामला, एक समान पेंशन, शहीद स्मारक के उचित रखरखाव व संरक्षण आदि को लेकर सरकार की लापरवाही बताया और नाराजगी व्यक्त करते हुए समस्याओं के शीघ्र निराकरण की मांग की.

पढ़ेंः मनीष सिसोदिया के 'चैलेंज' को मदन कौशिक ने स्वीकारा, कहा- जगह चुनो मैं हो जाऊंगा हाजिर

राज्य आंदोलनकारियों की प्रमुख मांगे

  • मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा कांड व राज्य आंदोलन के दौरान हुए विभिन्न कांडों पर न्याय.
  • शहीद परिवारों और राज्य आंदोलनकारियों के आश्रितों की पेंशन का शासनादेश पुनः लागू किया जाए.
  • स्थायी राजधानी गैरसैंण घोषित की जाए.
  • उपनल द्वारा नियुक्तियों में केवल मूल निवासियों को प्राथमिकता दी जाए.
  • राज्य में 2025 को होने वाला परिसीमन क्षेत्रफल के आधार पर हो.
  • राज्य का जन विरोधी भू कानून वापस लिया जाए.
  • समूह ग भर्ती हेतु रोजगार कार्यालय पंजीकरण में स्थायी निवास प्रमाण पत्र की अनिवार्यता पुनः बहाल की जाए.
Last Updated : Dec 23, 2020, 5:07 PM IST
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