ऋषिकेश: एसपीएस राजकीय चिकित्सालय को देशभर में आदर्श अस्पताल के रूप में स्थापित करने के लिए स्वास्थ्य महकमा जुटा है, लेकिन स्थानीय स्तर पर अस्पताल प्रशासन की लापरवाही विभाग की इन कोशिशों को पलीता लगाती नजर आ रही है.
दरअसल, नेशनल हेल्थ मिशन के तहत एसपीएस राजकीय चिकित्सालय को दवाओं के लिए 20 करोड़ रुपए मिले थे, लेकिन वित्तिय वर्ष खत्म होने के कुछ ही दिन बचे हुए है और अस्पताल प्रशासन उसमें से सिर्फ 7 करोड़ का बजट भी खर्च नहीं कर पाया.
पढ़ें- धर्म संसद विवाद: जितेंद्र त्यागी जमानत याचिका मामले को हाईकोर्ट ने दूसरी एकलपीठ में भेजा
बता दें कि ऋषिकेश का सरकारी अस्पताल राष्ट्रीय गुणवत्ता मापदंड (एनक्यूएएस) सर्वे में शामिल हैं. अस्पताल के आधा दर्जन विभागों को सर्वे के तहत केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की कसौटी पर खरा उतरना है. बेहतर रैंकिंग मिलने पर अस्पताल को नेशनल लेवल के सर्टिफिकेट के साथ ही मूल बजट से अतिरिक्त कई वित्तीय सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी है.
शनिवार को केंद्रीय टीम के सर्वे से पहले नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) की निदेशक डॉ. सरोज नैथानी भी अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंची थीं. उन्होंने चिकित्सकों व स्टाफ से चिन्हित विभागों के संबंध में आवश्यक जानकारी ली. बैठक लेकर उन्हें खामियों को तत्काल दूर करने के निर्देश दिए. बजट खर्च में हीलाहवाली पर नाराजगी भी जाहिर की.
पढ़ें- हरिद्वार: दवा कंपनी में कंप्रेसर फटने से बड़ा धमाका, बाल-बाल बचे कर्मचारी
निदेशक ने बजट खर्च करने में कमी को गंभीर से लिया. इस पर उन्होंने कहा कि ऐसे करने से अगले बजट के लिए आवेदन को लेकर दिक्कतें पेश आ सकती हैं. उन्होंने इस मामले में हॉस्पिटल के अधिकारियों हिदायत भी दी है.
निदेशक ने सीएमएस डॉ राजेश सिंह राणा के साथ 3 माह के भीतर अस्पताल की सभी जरूरतों को पूरा करने का संकल्प लिया है. बताया कि 10 मार्च को केंद्रीय टीम सरकारी अस्पताल में चिन्हित विभागों का निरीक्षण करेंगी. इसके बाद अस्पताल को राष्ट्रीय स्तर पर निरीक्षण के मुताबिक रैंकिंग प्रदान की जाएगी.