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बदरीनाथ धाम में दीप पर्व पर तीन दिनों तक होगी भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा, जानिए महत्व - deepawali 2023

Special worship of Lord Kuber in Badrinath Dham on Deepavali 2023 बदरीनाथ धाम दीपावली के लिए सज चुका है. बदरीनाथ धाम में धनतेरस से लेकर दीपावली तक भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, जिसका बहुत महत्व है. आज इसी पूजा के बारे में ईटीवी भारत आपको विस्तार से बताएगा.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 9, 2023, 3:53 PM IST

Updated : Nov 12, 2023, 6:25 AM IST

देहरादून: देश के चार धामों में से एक हिमालय में बसे भगवान विष्णु के धाम बदरीनाथ में धनतेरस से लेकर दीपावली तक विशेष पूजन का महत्व माना गया है. मंदिर के पुजारी धनतेरस से लेकर दीपावली तक रात्रि में बदरी विशाल की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. इसमें खास तौर पर धन-धान्य के देवता कुबेर की विशेष आराधना होती है.

धन-धान्य के देवता कुबेर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के साथ बदरीनाथ धाम में विराजमान हैं. भगवान कुबेर के मंदिर को तीन दिन तक सुगंधित फूलों की माला से सजाया जाता है. श्रद्धालुओं के लिए भी यह तीन दिन बेहद खास होते हैं. कहा जाता है कि इन तीन दिनों में बदरीनाथ धाम में पूजा अर्चना का विशेष महत्व है.

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दीपावली के लिए सजा बदरीनाथ धाम
पढ़ें-
नौ दशक से दीपावली पर्व पर मिठास घोल रहा ये मुस्लिम परिवार, मां लक्ष्मी को चढ़ाया जाने वाला प्रसाद करता है तैयार

धार्मिक ग्रंथ रामायण के अनुसार भगवान कुबेर रावण के भय से बचने के लिए उत्तर दिशा अलकापुरी में बस गए थे. तभी से भगवान कुबेर की बदरीनाथ धाम में पूजा होती है. मान्यता के अनुसार भगवान कुबेर 6 महीने बदरीनाथ धाम में बाकी के 6 महीने पांडुकेश्वर में निवास करते हैं.

बदरीनाथ धाम में भगवान कुबेर की प्रतिमा भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के साथ ही विराजमान है. भगवान कुबेर हमेशा से माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु के साथ ही रहते हैं. ऐसे में धनतेरस के दिन उनकी विशेष पूजा अर्चना की जाती है. यह पूजा सुबह से शुरू होकर दीपावली से एक दिन पहले छोटी दीपावली तक चलती है और उसके बाद माता लक्ष्मी की पूजा और विशेष अनुष्ठान का महत्व है.

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बदरीनाथ धाम में धनतेरस से लेकर दीपावली तक भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है
पढ़ें- उत्तराखंड के जंगलों में दीपावली से पहले अलर्ट हुआ जारी, तंत्र-मंत्र के कारण खतरे में उल्लू

श्रद्धालु इन तीन दिनों में भी भगवान बदरीनाथ के दर्शन करने अधिक संख्या में आते हैं. धनतेरस के दिन सबसे पहले दक्षिण दिशा में यम का दीप जलाया जाता है. बदरीनाथ धाम में केवल भगवान विष्णु की प्रतिमा ही नहीं बल्कि धाम में भगवान नारद, भगवान उद्धव, माता उर्वशी और कपाट बंद होने पर माता लक्ष्मी उनके साथ ही विराजमान रहती हैं.

भगवान कुबेर भी बैकुंठ धाम के खजाने के साथ रहते हैं. बदरीनाथ धाम में दीपावली से माता लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना शुरू होती है, जो कार्तिक की अमावस्या तक चलती है. बड़ी दीपावली के दिन माता लक्ष्मी की विशेष पूजा अर्चना होती है.

बता दें कि देश के चार धामों में बदरीनाथ धाम को सतयुग का धाम माना गया है और देश के चारों धामों में बदरीनाथ धाम को सर्वश्रेष्ठ धाम भी माना जाता है. इसलिए इस धाम में माता लक्ष्मी और कुबेर की पूजा का विशेष महत्व माना गया. इस दिन जो भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करते हैं, उन्हें धन धान्य की प्राप्ति होती है. छोटी दीपावली के दिन पूरे धाम को कई कुंतल फूलों से सजाया जायेगा.

देहरादून: देश के चार धामों में से एक हिमालय में बसे भगवान विष्णु के धाम बदरीनाथ में धनतेरस से लेकर दीपावली तक विशेष पूजन का महत्व माना गया है. मंदिर के पुजारी धनतेरस से लेकर दीपावली तक रात्रि में बदरी विशाल की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. इसमें खास तौर पर धन-धान्य के देवता कुबेर की विशेष आराधना होती है.

धन-धान्य के देवता कुबेर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के साथ बदरीनाथ धाम में विराजमान हैं. भगवान कुबेर के मंदिर को तीन दिन तक सुगंधित फूलों की माला से सजाया जाता है. श्रद्धालुओं के लिए भी यह तीन दिन बेहद खास होते हैं. कहा जाता है कि इन तीन दिनों में बदरीनाथ धाम में पूजा अर्चना का विशेष महत्व है.

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दीपावली के लिए सजा बदरीनाथ धाम
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धार्मिक ग्रंथ रामायण के अनुसार भगवान कुबेर रावण के भय से बचने के लिए उत्तर दिशा अलकापुरी में बस गए थे. तभी से भगवान कुबेर की बदरीनाथ धाम में पूजा होती है. मान्यता के अनुसार भगवान कुबेर 6 महीने बदरीनाथ धाम में बाकी के 6 महीने पांडुकेश्वर में निवास करते हैं.

बदरीनाथ धाम में भगवान कुबेर की प्रतिमा भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के साथ ही विराजमान है. भगवान कुबेर हमेशा से माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु के साथ ही रहते हैं. ऐसे में धनतेरस के दिन उनकी विशेष पूजा अर्चना की जाती है. यह पूजा सुबह से शुरू होकर दीपावली से एक दिन पहले छोटी दीपावली तक चलती है और उसके बाद माता लक्ष्मी की पूजा और विशेष अनुष्ठान का महत्व है.

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बदरीनाथ धाम में धनतेरस से लेकर दीपावली तक भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है
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श्रद्धालु इन तीन दिनों में भी भगवान बदरीनाथ के दर्शन करने अधिक संख्या में आते हैं. धनतेरस के दिन सबसे पहले दक्षिण दिशा में यम का दीप जलाया जाता है. बदरीनाथ धाम में केवल भगवान विष्णु की प्रतिमा ही नहीं बल्कि धाम में भगवान नारद, भगवान उद्धव, माता उर्वशी और कपाट बंद होने पर माता लक्ष्मी उनके साथ ही विराजमान रहती हैं.

भगवान कुबेर भी बैकुंठ धाम के खजाने के साथ रहते हैं. बदरीनाथ धाम में दीपावली से माता लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना शुरू होती है, जो कार्तिक की अमावस्या तक चलती है. बड़ी दीपावली के दिन माता लक्ष्मी की विशेष पूजा अर्चना होती है.

बता दें कि देश के चार धामों में बदरीनाथ धाम को सतयुग का धाम माना गया है और देश के चारों धामों में बदरीनाथ धाम को सर्वश्रेष्ठ धाम भी माना जाता है. इसलिए इस धाम में माता लक्ष्मी और कुबेर की पूजा का विशेष महत्व माना गया. इस दिन जो भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करते हैं, उन्हें धन धान्य की प्राप्ति होती है. छोटी दीपावली के दिन पूरे धाम को कई कुंतल फूलों से सजाया जायेगा.

Last Updated : Nov 12, 2023, 6:25 AM IST
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