देहरादून: पहाड़ की संस्कृति और दर्द को अपने गीतों के माध्यम से बयां करने वाले लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी को संगीत नाट्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा जा रहा है. इस सम्मान को पाकर गढ़रत्न नेगी भी खासे उत्साहित हैं. वहीं, सूबे के लोकगायक को संगीत नाट्य अकादमी जैसे राष्ट्रीय सम्मान से नवाजे जाना प्रदेश वासियों के लिये भी गर्व की बात है. ऐसे में पुरस्कार को लेकर ईटीवी भारत ने नरेंद्र सिंह नेगी से की खास बातचीत...
नाट्य अकादमी पुरस्कार मिलने पर अपने सरल और सादगी भरे अंदाज में 'नेगीदा' ने ईटीवी से बातचीत खुशी जाहिर की है. नरेंद्र सिंह नेगी का कहना है कि हमेशा से ही उनके प्रशंसक चाहते थे कि उन्हें किसी राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा जाए. ऐसे में उन सभी प्रशंसकों की ये मुराद पूरी करने वाला सम्मान है.
गौरतलब है कि उत्तराखंड के जाने-माने लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी अपने गीतों के माध्यम से समय-समय पर पहाड़ की पीड़ा, पहाड़वासियों की राजमर्रा की जिंदगी और सामाजिक सरोकारों से जुड़े विषय को उठाते रहे हैं. इनमें पलायन भी एक प्रमुख समस्या है.
ये भी पढ़ेंः जागेश्वर मंदिर में शुरू हुआ श्रावण मेला, भक्तों का लगा तांता
ऐसे में ईटीवी भारत ने पलायन के खिलाफ चलाई जा रही खास मुहिम पर अपने विचार रखते हुए कहा कि सूबे में पलायन एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है. उन्होंने अपने कई गीतों में पहाड़ों से हो रहे पलायन का दर्द तो बयां जरूर किया है, लेकिन अब उन्हें यह महसूस होता है कि अपने गीतों में उन्हें आखिर पहाड़ों से इतनी तेजी से पलायन क्यों हो रहा है वह भी दर्शना चाहिए था.
पलायन पर लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी का साफ शब्दों में कहना था कि यदि पहाड़ों से पलायन रोकना है तो इसके लिए सरकार को जरूरी कदम उठाने होंगे. यदि पहाड़ों में रोजगार, सड़क, बिजली, पानी और अस्पताल जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं होंगी तो आखिर पहाड़ में कोई क्यों रहेगा?
वहीं, युवा लोकगायकों द्वारा पहाड़ी गीतों को मॉडर्न तरीके के पेश करने पर भी गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी ने अपनी राय बेबाकी से रखी. उन्होंने कहा कि अच्छा लगता है जब युवा गायक नए अंदाज में लोकगीतों को प्रस्तुत करते हैं. लेकिन इस युवा गायकों को इस बात का भी जरूर ख्याल रखना चाहिए कि जब वह लोकगीतों का नया रंग देते हैं, तो उसकी मौलिकता बनी रहे.