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संगीत नाट्य अकादमी पुरस्कार पर गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी से खास बातचीत...

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि पहाड़ों से पलायन रोकना है, तो इसके लिए सरकार को जरूरी कदम उठाने होंगे. पहाड़ों में रोजगार, सड़क, बिजली, पानी और अस्पताल जैसी मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने की जरुरत है.

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Published : Jul 17, 2019, 6:45 PM IST

Updated : Jul 17, 2019, 7:21 PM IST

Folk Singer Narendra singh Negi

देहरादून: पहाड़ की संस्कृति और दर्द को अपने गीतों के माध्यम से बयां करने वाले लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी को संगीत नाट्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा जा रहा है. इस सम्मान को पाकर गढ़रत्न नेगी भी खासे उत्साहित हैं. वहीं, सूबे के लोकगायक को संगीत नाट्य अकादमी जैसे राष्ट्रीय सम्मान से नवाजे जाना प्रदेश वासियों के लिये भी गर्व की बात है. ऐसे में पुरस्कार को लेकर ईटीवी भारत ने नरेंद्र सिंह नेगी से की खास बातचीत...

ईटीवी भारत से गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी की खास बातचीत.

नाट्य अकादमी पुरस्कार मिलने पर अपने सरल और सादगी भरे अंदाज में 'नेगीदा' ने ईटीवी से बातचीत खुशी जाहिर की है. नरेंद्र सिंह नेगी का कहना है कि हमेशा से ही उनके प्रशंसक चाहते थे कि उन्हें किसी राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा जाए. ऐसे में उन सभी प्रशंसकों की ये मुराद पूरी करने वाला सम्मान है.

गौरतलब है कि उत्तराखंड के जाने-माने लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी अपने गीतों के माध्यम से समय-समय पर पहाड़ की पीड़ा, पहाड़वासियों की राजमर्रा की जिंदगी और सामाजिक सरोकारों से जुड़े विषय को उठाते रहे हैं. इनमें पलायन भी एक प्रमुख समस्या है.

ये भी पढ़ेंः जागेश्वर मंदिर में शुरू हुआ श्रावण मेला, भक्तों का लगा तांता

ऐसे में ईटीवी भारत ने पलायन के खिलाफ चलाई जा रही खास मुहिम पर अपने विचार रखते हुए कहा कि सूबे में पलायन एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है. उन्होंने अपने कई गीतों में पहाड़ों से हो रहे पलायन का दर्द तो बयां जरूर किया है, लेकिन अब उन्हें यह महसूस होता है कि अपने गीतों में उन्हें आखिर पहाड़ों से इतनी तेजी से पलायन क्यों हो रहा है वह भी दर्शना चाहिए था.

पलायन पर लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी का साफ शब्दों में कहना था कि यदि पहाड़ों से पलायन रोकना है तो इसके लिए सरकार को जरूरी कदम उठाने होंगे. यदि पहाड़ों में रोजगार, सड़क, बिजली, पानी और अस्पताल जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं होंगी तो आखिर पहाड़ में कोई क्यों रहेगा?

वहीं, युवा लोकगायकों द्वारा पहाड़ी गीतों को मॉडर्न तरीके के पेश करने पर भी गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी ने अपनी राय बेबाकी से रखी. उन्होंने कहा कि अच्छा लगता है जब युवा गायक नए अंदाज में लोकगीतों को प्रस्तुत करते हैं. लेकिन इस युवा गायकों को इस बात का भी जरूर ख्याल रखना चाहिए कि जब वह लोकगीतों का नया रंग देते हैं, तो उसकी मौलिकता बनी रहे.

देहरादून: पहाड़ की संस्कृति और दर्द को अपने गीतों के माध्यम से बयां करने वाले लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी को संगीत नाट्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा जा रहा है. इस सम्मान को पाकर गढ़रत्न नेगी भी खासे उत्साहित हैं. वहीं, सूबे के लोकगायक को संगीत नाट्य अकादमी जैसे राष्ट्रीय सम्मान से नवाजे जाना प्रदेश वासियों के लिये भी गर्व की बात है. ऐसे में पुरस्कार को लेकर ईटीवी भारत ने नरेंद्र सिंह नेगी से की खास बातचीत...

ईटीवी भारत से गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी की खास बातचीत.

नाट्य अकादमी पुरस्कार मिलने पर अपने सरल और सादगी भरे अंदाज में 'नेगीदा' ने ईटीवी से बातचीत खुशी जाहिर की है. नरेंद्र सिंह नेगी का कहना है कि हमेशा से ही उनके प्रशंसक चाहते थे कि उन्हें किसी राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा जाए. ऐसे में उन सभी प्रशंसकों की ये मुराद पूरी करने वाला सम्मान है.

गौरतलब है कि उत्तराखंड के जाने-माने लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी अपने गीतों के माध्यम से समय-समय पर पहाड़ की पीड़ा, पहाड़वासियों की राजमर्रा की जिंदगी और सामाजिक सरोकारों से जुड़े विषय को उठाते रहे हैं. इनमें पलायन भी एक प्रमुख समस्या है.

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ऐसे में ईटीवी भारत ने पलायन के खिलाफ चलाई जा रही खास मुहिम पर अपने विचार रखते हुए कहा कि सूबे में पलायन एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है. उन्होंने अपने कई गीतों में पहाड़ों से हो रहे पलायन का दर्द तो बयां जरूर किया है, लेकिन अब उन्हें यह महसूस होता है कि अपने गीतों में उन्हें आखिर पहाड़ों से इतनी तेजी से पलायन क्यों हो रहा है वह भी दर्शना चाहिए था.

पलायन पर लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी का साफ शब्दों में कहना था कि यदि पहाड़ों से पलायन रोकना है तो इसके लिए सरकार को जरूरी कदम उठाने होंगे. यदि पहाड़ों में रोजगार, सड़क, बिजली, पानी और अस्पताल जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं होंगी तो आखिर पहाड़ में कोई क्यों रहेगा?

वहीं, युवा लोकगायकों द्वारा पहाड़ी गीतों को मॉडर्न तरीके के पेश करने पर भी गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी ने अपनी राय बेबाकी से रखी. उन्होंने कहा कि अच्छा लगता है जब युवा गायक नए अंदाज में लोकगीतों को प्रस्तुत करते हैं. लेकिन इस युवा गायकों को इस बात का भी जरूर ख्याल रखना चाहिए कि जब वह लोकगीतों का नया रंग देते हैं, तो उसकी मौलिकता बनी रहे.

Intro:Special interview With Folk singer Narendra singh Negi

देहरादून- अपने गीतों के माध्यम से उत्तराखंड के पहाड़ों की संस्कृति और दर्द को बयां करने वाले लोकनायक नरेंद्र सिंह नेगी को संगीत नाट्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा जा रहा है। जिसे लेकर लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी खासे उत्साहित हैं । वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के 1 लोक गायक को संगीत नाट्य अकादमी पुरस्कार जैसा राष्ट्र सम्मान से नवाजे जाना समस्त उत्तराखंड वासियों के लिए भी गर्व की बात है।

संगीत नाट्य अकादमी पुरस्कार से नवाजे जा रहे उत्तराखंड रत्न नरेंद्र सिंह नेगी से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की । इस दौरान संगीत नाट्य अकादमी पुरस्कार से नवाजे जाने पर अपने सरल और सादगी भरे अंदाज़ में खुशी जाहिर करते हुए उनका कहना था कि हमेशा से ही उनके प्रशंसक चाहते थे कि उन्हें किसी राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा जाए । ऐसे में कहीं न कहीं यह सम्मान उनके सभी प्रशंसकों की दिली तमन्ना को पूरा करने वाला सम्मान है।




Body:गौरतलब है कि उत्तराखंड के जाने-माने लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी अपने गीतों के माध्यम से पहाड़ की कठिन जिंदगी और पलायन जैसी समस्याओं पर भी रोशनी डाल चुके हैं। ऐसे में ईटीवी भारत द्वारा पलायन के खिलाफ चलाई जा रही खास मुहिम पर अपने विचार रखते हुए उनका कहना था की पूरे प्रदेश के लिए पलायन एक बड़ी खतरनाक समस्या बनती जा रही है । उनका कहना था कि उन्होंने अपने कई गीतों में पहाड़ों से हो रहे पलायन का दर्द तो जरूर बयां किया । लेकिन अब उन्हें यह महसूस होता है कि अपने गीतों में उन्हें आखिर पहाड़ों से इतनी तेजी से पलायन क्यों हो रहा है वह भी दर्शना चाहिए था ।

पलायन पर लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी साफ शब्दों में कहना था कि यदि पहाड़ों से पलायन रोकना है तो इसके लिए सरकार को जरूरी कदम उठाने होंगे यदि पहाड़ों में रोजगार, सड़क बिजली, पानी और अस्पताल, जैसी मूलभूत सुविधाएं ही नहीं होंगी तो आखिर पहाड़ में में कोई रहेगा क्यों ?

किसीचलाई जा रही मुहिम पर बात करते हुए लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने प्रदेश में तेज़ी से हो रहे पलायन पर अपनी बात रखी ।


Conclusion:इसके साथ ही प्रदेश के युवा लोक गायकों द्वारा तैयार किए जा रहे हैं मॉडर्न पहाड़ी गीतों को लेकर भी नरेंद्र सिंह नेगी ने अपने विचार रखे । युवा गायकों को लेकर उत्तराखंड रत्न नरेंद्र सिंह नेगी का कहना था कि उन्हें अच्छा लगता है जब युवा गायक नए अंदाज में लोक गीतों को प्रस्तुत करते हैं । लेकिन इस दौरान प्रदेश के युवा गायकों को इस बात का भी ख्याल रखना चाहिए कि जो गीत वह तैयार कर रहे हैं । वह गीत एक लोकगीत होने के बावजूद भी कहीं एक लोकगीत की पहचान तो नहीं खो रहा ।
Last Updated : Jul 17, 2019, 7:21 PM IST
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