देहरादून: साल 2015 में पंजाब के अमृतसर की रहने वाली दिलराज प्रीत कौर को तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रदेश की योग ब्रांड एंबेसडर बनाया था. ऐसे में बीते चार सालों में दिलराज प्रीत कौर का जिंदगी में क्या बदलाव आए और वो इस समय क्या कर ही हैं? ईटीवी भारत के साथ अंतरराष्ट्रीय दिवस पर दिलराज प्रीत कौर ने की दिल की बात.
जब साल 2015 में 21 जून को पूरा विश्व अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मना रहा था. उस दिन दिलराज प्रीत कौर के जिंदगी में वो मोड़ आया जिसकी उन्होंने सपने में भी कल्पना नहीं की थी. ईटीवी भारत से खास बातचीत में दिलराज प्रीत कौर ने अपने योग ब्रेंड एम्बेसडर बनने के सफर से जुड़ी कई बातें साझा की. दिलराज बताती हैं कि जब 4 साल की थी तब वह अपने स्कूल में योग सीखा करती थीं. तो उनके माता-पिता की इच्छा थी कि वह योग में ही अपना करियर बनाएं. इसलिए उन्होंने हरिद्वार स्थित देव संस्कृति विश्वविद्यालय में एडमिशन लेकर वहां योग अभ्यास शुरू किया.
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दिलराज बताती हैं कि साल 2015 को 21 जून यानी अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर वह एक कार्यक्रम में परफॉर्म करने अपने कॉलेज की तरफ से देहरादून पहुंची थी. इस दौरान मौके पर मौजूद तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उनके योग अभ्यास की सराहना करते हुए उन्हें प्रदेश का योग ब्रेंड एम्बेसडर घोषित कर दिया. जिसकी उन्होंने सपने में भी कल्पना नहीं की थी.
वहीं, योग ब्रेंड एम्बेसडर बनाए जाने के बाद दिलराज की जिंदगी में कई सकारात्मक बदलाव भी आए. दिलराज बताती हैं कि उनकी पढ़ाई पूरी होने तक हर माह उन्हें राज्य सरकार की तरफ से 25,000 रुपए बतौर छात्रवृत्ति दी जाती थी. इसके साथ ही पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्हें हर्रावाला के आयुर्वेदिक कॉलेज में संविदा पर बतौर योग शिक्षिका नौकरी भी मिल गई.
ईटीवी भारत से बातचीत में दिलराज बताती है कि साल 2018 से उनका पूरा परिवार कुछ हताश चल रहा है. जिसका प्रमुख कारण 2018 से वह कॉलेज में बतौर योग शिक्षिका जा तो रही हैं. मगर उन्हें इसका वेतन नहीं दिया जा रहा है. इस बाबत वह कई बार सचिवालय के चक्कर भी लगा चुकी है. लेकिन उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं निकला. वहीं, योग की ब्रांड एंबेसडर दिलराज प्रीत कौर ने ईटीवी भारत के माध्यम से पिछले एक साल से वेतन न मिलने की परेशानी बयां करते हुए सूबे के मुख्यमंत्र त्रिवेंद्र सिंह रावत से दरख्वास्त की कि वह उनकी समस्या का कोई हल निकाले.