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कमर्शियल वाहनों की टैक्स माफी के लिए बनाया गया सॉफ्टवेयर फेल, दिक्कतों को दूर करने में जुटा विभाग - Tax waiver of commercial vehicles

एनआईसी द्वारा टैक्स माफी के लिए बनाये गये सॉफ्टवेयर में कई तरह की दिक्कतें आ रही हैं. जिसके कारण कमर्शियल वाहन चालकों को टैक्स माफी का लाभ नहीं मिल रहा है. आरटीओ अब इसकी दिक्कतों को दूर करने में लगा है.

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कमर्शियल वाहनों की टैक्स माफी के लिए बनाया गया सॉफ्टवेयर फेल
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Published : Oct 28, 2020, 6:30 PM IST

देहरादून: राज्य सरकार के कमर्शियल वाहनों के तीन महीने के टैक्स माफी की घोषणा के बाद परिवहन विभाग ने ऑनलाइन टैक्स जमा करने की व्यवस्था करने की बात कही. जिसके लिए एनआईसी को एक सॉफ्टवेयर बनाने लिए कहा गया. मगर अब आरटीओ विभाग के ऑनलाइन सॉफ्टवेयर में आ रही तकनीकी दिक्क्तों के चलते कमर्शियल वाहन स्वामियों का टैक्स माफ नहीं हो रहा है. पिछले तीन महीने की पेनाल्टी जुड़ कर आ रही है. ऐसे में कमर्शियल वाहन स्वामियों को दिक्क्तों का सामना करना पड़ रहा है.आरटीओ को कहना है कि इसके लिए नई व्यवस्था बनाई जा रही है जल्द ही इस तरह की दिक्कतों को दूर किया जायेगा.

कमर्शियल वाहनों की टैक्स माफी के लिए बनाया गया सॉफ्टवेयर फेल

आरटीओ दिनेश पठोई ने जानकारी देते हुए बताया कि राज्य सरकार ने परिवहन व्यवसायियों की परेशानी और आर्थिक दिक्कतों को देखते हुए तीन महीने का टैक्स माफ करने के आदेश दिया खा. उसके बाद परिवहन विभाग को टैक्स माफी के लिए निर्देशित किया गया. जिसमें मैनुअल बड़ी दिक्कतें थी, इसलिए इसे आनलाइन करने का फैसला लिया गया. ऑनलाइन व्यवस्था के लिए वाहन नाम से एनआईसी ने एक सॉफ्टवेयर बनाया था. जिसके द्वारा टैक्स जमा होता है. उसी के द्वारा जुर्माना व छूट प्रदान दी जाती है.

पढ़ें- 'कानून की गलती' सुधारने के लिए SC गई उत्तराखंड सरकार, एसएलपी दायर

उन्होंने बताया कि अभी उत्तराखंड में करीब दो लाख परिवहन वाहन हैं. उन सभी को टैक्स माफी का लाभ दिया गया है. हमने एनआईसी को प्रस्ताव भेजा था लेकिन उसमें तकनीकी दिक्कतें आ रही हैं. साइट पर ऐसी कोई व्यवस्था नहीं बन पाई है कि सभी वाहनों को ऑनलाइन सॉफ्टवेयर से वाहन स्वामी खुद ही टैक्स की छूट प्राप्त कर सकें. जिसके बाद ये दिक्कत विभाग को बताई गई.

पढ़ें-नैनीताल हाईकोर्ट से सीएम त्रिवेंद्र को बड़ा झटका, भ्रष्टाचार के आरोपों की होगी CBI जांच

आरटीओ ने बताया की कोरोना काल के कारण आरटीओ कार्यालय में पूरा स्टाफ नहीं है. साथ ही अगर सभी वाहन स्वामी कार्यालय आएंगे तो गाइडलाइन्स का पालन नहीं कर पाएंगे. इसलिए प्रयास चल रहा है कि एनआईसी के द्वारा सॉफ्टवेयर में ही ऐसी व्यवस्था कर दी जाए कि वाहन स्वामी को कार्यालय न आना पड़े. इसके लिए दो दिन पहले एक बैठक भी हुई है. बैठक के बाद एक नई व्यवस्था बनाई है. जिससे यह संभव है कि तीन दिनों में तकनीकी रूप से संभव हुआ इसे लांच कर दिया जाएगा.

देहरादून: राज्य सरकार के कमर्शियल वाहनों के तीन महीने के टैक्स माफी की घोषणा के बाद परिवहन विभाग ने ऑनलाइन टैक्स जमा करने की व्यवस्था करने की बात कही. जिसके लिए एनआईसी को एक सॉफ्टवेयर बनाने लिए कहा गया. मगर अब आरटीओ विभाग के ऑनलाइन सॉफ्टवेयर में आ रही तकनीकी दिक्क्तों के चलते कमर्शियल वाहन स्वामियों का टैक्स माफ नहीं हो रहा है. पिछले तीन महीने की पेनाल्टी जुड़ कर आ रही है. ऐसे में कमर्शियल वाहन स्वामियों को दिक्क्तों का सामना करना पड़ रहा है.आरटीओ को कहना है कि इसके लिए नई व्यवस्था बनाई जा रही है जल्द ही इस तरह की दिक्कतों को दूर किया जायेगा.

कमर्शियल वाहनों की टैक्स माफी के लिए बनाया गया सॉफ्टवेयर फेल

आरटीओ दिनेश पठोई ने जानकारी देते हुए बताया कि राज्य सरकार ने परिवहन व्यवसायियों की परेशानी और आर्थिक दिक्कतों को देखते हुए तीन महीने का टैक्स माफ करने के आदेश दिया खा. उसके बाद परिवहन विभाग को टैक्स माफी के लिए निर्देशित किया गया. जिसमें मैनुअल बड़ी दिक्कतें थी, इसलिए इसे आनलाइन करने का फैसला लिया गया. ऑनलाइन व्यवस्था के लिए वाहन नाम से एनआईसी ने एक सॉफ्टवेयर बनाया था. जिसके द्वारा टैक्स जमा होता है. उसी के द्वारा जुर्माना व छूट प्रदान दी जाती है.

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उन्होंने बताया कि अभी उत्तराखंड में करीब दो लाख परिवहन वाहन हैं. उन सभी को टैक्स माफी का लाभ दिया गया है. हमने एनआईसी को प्रस्ताव भेजा था लेकिन उसमें तकनीकी दिक्कतें आ रही हैं. साइट पर ऐसी कोई व्यवस्था नहीं बन पाई है कि सभी वाहनों को ऑनलाइन सॉफ्टवेयर से वाहन स्वामी खुद ही टैक्स की छूट प्राप्त कर सकें. जिसके बाद ये दिक्कत विभाग को बताई गई.

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आरटीओ ने बताया की कोरोना काल के कारण आरटीओ कार्यालय में पूरा स्टाफ नहीं है. साथ ही अगर सभी वाहन स्वामी कार्यालय आएंगे तो गाइडलाइन्स का पालन नहीं कर पाएंगे. इसलिए प्रयास चल रहा है कि एनआईसी के द्वारा सॉफ्टवेयर में ही ऐसी व्यवस्था कर दी जाए कि वाहन स्वामी को कार्यालय न आना पड़े. इसके लिए दो दिन पहले एक बैठक भी हुई है. बैठक के बाद एक नई व्यवस्था बनाई है. जिससे यह संभव है कि तीन दिनों में तकनीकी रूप से संभव हुआ इसे लांच कर दिया जाएगा.

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